रविवार, 26 अगस्त 2007

संवेदनाओ के पंख

संवेदनाओ के पंख

मेरी पहली पोस्ट


साथियो,
अपने इस ब्लाग के माध्यम से मैं आज का सच बताने जा रहा हूँ। सच हमारे आसपास ही बिखरा पड़ा है, पर सभी की दृष्टि उस पर नहीं पड़ती, इसलिए एक लेखक और पत्रकार होने के नाते मैं जो कुछ भी इसमें कहूँगा, वह समाज की कड़वी सच्चाई के रूप में आपके सामने होगा। कई आलेख आपको झकझोर सकते हैं, तो कई गुदगुदा सकते हैं। कई आलेख आपको सोचने के लिए बाध्य कर सकते हैं, तो कई आलेख आपसे उत्तर माँगते दिखाई देंगे। मेरा यह कहना है कि मैं जो कुछ भी लिख रहा हूँ, वह मेरी अपनी पीड़ा नहीं, बल्कि एक आम आदमी की पीड़ा है। हमें इन सबसे उबरना है, इसलिए कहीं-कहीं मैं अंधेरे में एक छोटी-सी किरण भी दिखाता हूँ। मेरे विविध प्रयास इस ब्लाग में आपको दिखाई देंगे। यदि मेरे विचार से आप असहमत हों, तो मैं कोई जर्बदस्ती नहीं करूँगा, मुझे क्षमा कर आप अपने विशाल हृदय का परिचय देंगे, यह विश्वास है।
अमित शुभवांछनाओं सहित
महेश परिमल

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