शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

अंतिम होना अंत नहीं होता

अंतिम होना अंत नहीं होता
अंग्रेजी में एक कहावत है लास्ट बट नॉट द लीस्ट, यानी जो आखिरी है वह न्यूनतम या सबसे कम नहीं, वह भी मूल्यवान है। अक्सर लोग आखिरी होने को, अंतिम होने को खराब, व्यर्थ या निरर्थक समझ बैठते हैं...
यह शब्द भले ही मिलते-जुलते लगते हैं, लेकिन इनमें जमीन- आसमान का फर्क है। और शब्दों में भेद न समझने के कारण इंसान अपनी सोच और कृत्यों में भी भेद पैदा कर लेता है। अंतिम होना इस बात का सबूत है कि यह स्थिति स्थाई नहीं, क्योंकि यह स्थिति क्रम से गुजरी है और क्रम परिवर्तनशील है। जो आज पहला है, वह कल आखिरी हो सकता है और जो आज आखिरी है वह कल पहला हो सकता है। अंतिम होना यह बताता है कि अभी भी परिवर्तन की गुंजाइश है। जिन कारणों के चलते हम इस स्थिति पर पहुंचे हैं, उनको समझकर कल होने वाले परिणाम में फेरबदल कर सकते हैं।

जिसे हम अंतिम कहते हैं या समझते हैं, वह आदि भी हो सकता है, अंत भी, अथ भी और इति भी। छोर का फर्क है, किनारे का अंतर है। हर बिंदु, यानी कि छोर मिल जाते हैं तो एक वर्तुल बनता है। वर्तुलाकार यानी की गोला। गोलाकार प्रतीक है पूर्णता का, शून्यता का, गर्भ का, पृथ्वी का, आत्मा रूपी बिंदु का। यह आकार, यह अवस्था बिना रेखा से गुजरे संभव नहीं और रेखा होने के लिए अंतिम बिंदु को छूना जरूरी है।

दिन-रात भी ऐसे ही हैं। जो रात के करीब हैं इसका अर्थ यह नहीं कि वह अंतिम है। इसका अर्थ यह है कि वह सुबह के करीब है। यह सोचकर की अंतिम होना अंत है, तो घड़ी की सुइयां बारह के बाद आगे ही न बढ़ें। बारह अंक का अपना महत्व है, यदि बारह नहीं बजेंगे तो कभी एक भी नहीं बजेगा।

इसलिए समय हो या संबंध, हमें अंतिम होने से नहीं घबराना चाहिए। आखिरी होने का मलाल नहीं करना चाहिए। अंतिम होने का भी अपना अर्थ है, अपना स्वाद है, अपना आनंद है अगर उसे बोधपूर्ण रूप से देख लिया जाए तो।

मन का ध्यान हमेशा बनाए रखें
हमारा मन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, यही हमारे सारे काम करता है, पर तथ्य यह भी है कि सफलता और संपन्नता पाने के लिए अपने मन और मस्तिष्क को अधिकतम १० प्रतिशत ही उपयोग में लाते हैं। यह भी तथ्य है कि एक बेजोड़ सफल व्यक्ति केवल १५ प्रतिशत अपने मन और मस्तिष्क का प्रयोग कर जीवन में बेजोड़ सफलता प्राप्त कर लेता है, लेकिन अगर आप विशेष सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन के प्रत्येक पहलू से मन की एकाग्रता बनाए रखने का लक्ष्य स्थापित करना चाहिए। उस समय, जब आप महसूस करते हैं कि आपके मन को बोलना चाहिए, तो इसे पूर्ण एकाग्रता से आपके आदेशानुसार बोलना चाहिए। स्मरण रहे कि एकाग्रता केवल मन को प्रशिक्षित करने से ही संभव है। इसलिए अपने मन को प्रशिक्षित करने का प्रयास कीजिए। याद रखें कि यही मन की एकाग्रता आपको जीवन में एक सफल व्यक्ति बनाने के लिए जिम्मेदार होगी।
प्रसन्नता! हर पल, हर समय, हर क्षण यही आपके जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। जब आप अपने हृदय में और अपने आस-पास असीमित प्रसन्नता पाते हैं, तो निश्चित रूप से आप अपने आपको एक उत्कृष्ट सफल व्यक्ति का टाइटल देने की क्षमता रखते हैं। केवल धन और प्रसिद्धि आपके लिए सफलता का द्वार खोल सकती है। हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए कि आज, कल और हर दिन उसका जीवन प्रसन्नता से भरा रहे। हम सभी इस जीवन के नाटक के एक भाग हैं, जहां हम कभी निर्देशक, कभी निर्माता, कभी अभिनेता, कभी कैमरामैन होते हैं। इसलिए हमें यह देखना चाहिए कि हम जीवन रूपी नाटक में कोई भूमिका निभा भी रहे हों, तो हमें उस भूमिका में से असीमित प्रसन्नता पानी और निकालनी है। हमें अपनी एक हैप्पीनेस डायरी बनानी चाहिए, ताकि जब कभी भी किसी तरह के दुख या अवसाद के शिकार हों, तो उसकी मदद से खुश हो सकें।

मेरे एक और ब्‍लॉग का पता है
http://aajkasach.blogspot.com/

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