सोमवार, 5 जून 2017
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस - कविता - उदास नदी
5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर
स्व. अनुपम मिश्र जी की स्मृति में….
कविता - उदास नदी…
नदी उदास है
और खामोश भी।
उसका मसीहा उससे
बहुत दूर चला गया है।
इतनी दूर कि
लौटकर नहीं आ सकता
और इसीलिए
नदी उदास है।
दूर कहीं आसमान से,
मसीहा भी निहार रहा है
उदास नदी को…
पर वह विवश है,
नहीं छीन सकता उसकी उदासी,
नहीं तोड़ सकता उसकी खामोशी,
जीवन भर स्वयं को,
जल यज्ञ में होम करता रहा,
कि नदी खिलखलाती रहे,
इठलाती रहे, बलखाती रहे…
और एकाएक
शून्य में समा गया वो।
अपने सारे सपने
तट पर ही छोड़ गया वो।
रोज एकांत में खाली आँखों से
निहारता है नदी को
और नदी देखती है उसे
उन्हीं रिक्त लहरों से…
मगर एक दिन,
मसीहा को दिखे कुछ युवा
नदी के मुहाने पर
उसकी उम्मीद जाग उठी
वे युवा किसी गंभीर विषय पर
चर्चा कर रहे थे।
आज के समय में
प्रदूषण से बढ़कर
गंभीर विषय और क्या हो सकता है?
लेकिन उनकी चर्चा सुनकर
उम्मीद टूटती गई
क्योंकि केवल चर्चा करना
समय बिताने का साधन ही तो है!
क्या करेंगे ये? क्या कर पाएँगे ये?
सोच ही रहा था वह मसीहा
कि वहीं पर
कुछ नन्हे मासूम खेलते नजर आए
वो उन्हें देख ही रहा था
कि एक मासूम
उन युवाओं के पास आया
एक युवा जब सिगरेट की राख
नदी में बार-बार डाल रहा था
कि मासूम ने कहा –
भैया, ऐसा न करो।
इससे पानी गंदा हो जाएगा।
और फिर उसने
अपनी नन्हीं हथेली में
वह राख तैरता पानी भर लिया
और उसे धरती पर उड़ेल दिया।
मुस्कराता हुआ फिर
दूसरे मासूमों से जा मिला।
जब मसीहा ने देखा
मासूम की इस हरकत को
उसकी उम्मीद
यकींन में बदल गई
कोई तो है
जो उसके अधूरे काम को पूरा करेगा
उसका स्वप्न साकार करेगा
सुकून की साँसे लेकर
करवट बदल ली उसने
और उसके चेहरे पर सुकून देखकर
कई दिनों से उदास नदी
हौले से मुस्करा दी।
इस कविता का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए...
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें