डॉ. महेश परिमल
सुरक्षा बलों द्वारा आतंकी अबु दुजाना मारा गया। कश्मीर घाटी में जाकिर मूसा के बाद अबु दुजाना ही खूंखार आतंकी था। यह बरसों तक लश्करे तोएबा के कमांडर के रूप में काम करता था। हाल ही में उसने जाकिर मूसा से हाथ मिलाकर अल-कायदा की भारतीय शाखा के रूप में काम करना शुरू किया था। इसे अंसार गजवट अल हिंद के नाम से भी जाना जाता है। जाकिर मूसा पहले हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था। पर उससे अलग होकर उसने कश्मीर में इस्लामिक स्टेट की स्थापना के लिए जंग लड़ना शुरू किया था। जाकिर मूसा के गुट में हिजबुल मुजाहिदीन और लश्करे तोएबा के करीब एक दर्जन आतंकी शामिल हुए हैं। अबु दुजाना के मारे जाने से जाकिर के गुट को भारी झटका लगा है। अब जाकिर मूसा अपनी जान बचाने में लगा है।
जाकिर मूसा के पिता अब्दुल राशिद बट जम्मू-कश्मीर सरकार में एक्जिक्यूटिव इंजीनियर के रूप में नौकरी करते हैं। जाकिर मूसा का जन्म 1994 में कश्मीर के पुलवामा जिले के पूरपोरा गांव में हुआ था। जाकिर के पिता उसे अपनी तरह इंजीनियर बनाना चाहते थे। इसके लिए उसे चंडीगढ़ की कॉलेज भेजा। सन् 2013 में जाकिर मूसा छुट्टियों में अपने गांव आया, तब उसकी भेंट हिजबुल मुजाहिदीन के कुछ आतंकियों से हुई। जाकिर उनके विचारों से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि पढ़ाई छोड़कर हाथ में बंदूक थाम ली। हिजबुल का कमांडर बुरहान वानी सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया। इसके बाद 22 वर्षीय मूसा को कमांडर बनाया गया। लोग उसे महमूद गजनवी के उपनाम से पुकारते।
दो महीने पहले ही जाकिर मूसा ने वीडियो से यह संदेश दिया था कि कश्मीर की आजादी की जंग को धर्मनिरपेक्ष मानने वाले का कत्ल कर दिया जाएगा। इसके बाद उसने हिजबुल का साथ छोड़ दिया। गुप्तचर संस्था के अनुसार पाकिस्तान में रहने वाले इस्लामिक स्टेट के जो आतंकी कश्मीर में विद्रोह करना चाहते हैं, उनका भरपूर सहयोग जाकिर मूसा को मिल रहा है। कश्मीर में हिजबुल और जाकिर मूसा के समर्थकों के बीच जंग छिड़ जाए, इसकी भी पूरी संभावना है। हाल ही में बुरहान वानी का वारिस बना हिजबुल का कमांडर सब्जार बट सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में मारा गया, उसकी टिप भी जाकिर मूसा के किसी साथी ने दी थी, ऐसा माना जा रहा है। कश्मीर के युवाओं में इस्लामिक आतंकवाद का प्रचार करने के लिए जाकिर मूसा सोशल मीडिया का व्यापक उपयोग कर रहा है। जाकिर मूसा समय-समय पर आडियो-वीडियो के माध्यम से संदेश देता रहता है। इससे वह कश्मीर के युवाओं को जेहाद के लिए प्रेरित करता रहता है। कश्मीर में वहाबी संप्रदाय द्वारा चलाई जाने वाली मस्जिदों और मदरसों में भी जुनूनी इस्लाम का उपदेश दिया जाता है। मस्जिदों-मदरसों को चलाने के लिए धन की व्यवस्था सऊदी अरब से होती है। हाल ही में जाकिर मूसा ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मुस्लिम महिला से हुए कथित गेंगरेप का बनावटी वीडियो जारी किया था, जिसमें भारत के मुस्लिमों को बिना रीढ़ की हड्डी वाला बताया गया था। दूसरे वीडियो में मुस्लिमों को सताने वाले गोरक्षकों को कत्ल करने की नसीहत दी गई।
जाकिर मूसा किसी मदरसे में जाकर कुरान का भी उल्टा-सीधा अध्ययन कर आया है। अपने आतंकी कारनामों को वह वाजिब ठहराता है। वह बार-बार इस्लाम के पवित्र ग्रंथों का हवाला देता है। जाकिर मूसा ने एक वीडियो में कहता है कि पैगम्बर साहब ने कहा है कि जो हिंदुस्तान पर फतह प्राप्त करेगा, उसे जन्नत मिलेगी। जाकिर मूसा ने हिजबुल मे साथ नाता तोड़ने के बाद उसने हिजबुल के 10 से 15 आतंकियों को अपने गुट में शामिल कर लिया था। इसमें से अधिकांश आतंकी कश्मीर के त्राल इलाके के हैं। यही इलाका है, जिसे आतंकी पैदा करने के लिए कुख्यात माना जाता है। जाकिर के बढ़ते प्रभाव से पाकिस्तान में रहने वाला हिजबुल मुजाहिदीन का प्रमुख सैयद सलाउद्दीन भी बहुत चिंतित है। उसने अपने साथियों से कह दिया है कि जाकिर मूसा को न छोड़ें, उसे देखते ही मार डालें। उधर पाकिस्तान की जासूसी संस्था आईएसआई भी उसके बढ़ते प्रभाव से व्याकुल है। क्योंकि जाकिर उसके इशारे पर नाचने को कतई तैयार नहीं है। जाकिर पर सीरिया के इस्लामिक स्टेट का वरदहस्त है। बुरहान वानी के स्थान पर आने वाले जाकिर मूसा ने हिजबुल से नाता तोड़ा, तो उसके बाद सब्जार बट को कश्मीर में हिजबुल का नया कमांडर घोषित किया गया। जाकिर मूसा के इशारे में ही सब्जार को मारा गया। अब उसके स्थान पर 29 वर्षीय रियाज नाईक को हिजबुल का नया कमांडर बनाया गया है। यह भी कंप्यूटर का जानकार है, इसलिए सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं में लोकप्रिय होगा, इसमें कोई दो मत नहीं। कश्मीर घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन और जाकिर मूसा के समर्थकों के बीच जंग होती ही रहेगी। इन हालात में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर में सक्रिय करीब 250 आतंकियों की हिट लिस्ट तैयार कर उसमें से एक के बाद एक को मारा जा रहा है।
केंद्र सरकार ने कश्मीर में सैनिकों को पूरी स्वतंत्रता दे रखी है। सुरक्षा बलों की योजना ठंड शुरू होने के पहले कश्मीर घाटी से तमाम आतंकियों को मार गिराने की है। जबर्दस्त आक्रमण के कारण आक्रामक बने आतंकी एक बार फिर अमरनाथ जैसी घटना की पुनरावृत्ति करें, इसमें कोई दो मत नहीँ। सुरक्षा बलों का कसता शिकंजा आतंकियों के लिए काल बन गया है। ऐसे में जाकिर मूसा भी कभी भी सुरक्षा बलों की गोली का शिकार हो सकता है। आतंक के आका अब खुद आतंक में जी रहे हैं, ऐसे में जल्दबाजी में वे कोई गलती कर सकते हैं। संभव है यही गलती उनके लिए काल बन जाए। इसलिए भारतीय सुरक्षा बलों को इस बात का खयाल रखना होगा कि बिफरे हुए आतंकी कभी भी कुछ भी अनहोनी कर सकते हैं, इसके लिए उनकी मुस्तैदी जरूरी है। अमेरिका, इजराइल जैसे देशों द्वारा आतंकवाद के सफाए के लिए अपनाए जाने वाली ‘रिवर्स टेरर’ की पद्धति भारतीय सैनिक भी सफलता पूर्वक आजमा रहे हैं।
डॉ. महेश परिमल
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