सोई आत्माओं से एक गुजारिश...
सोई आत्माएं-सिकुड़ती संवेदनाएं
क्या सचमुच आत्मा अमर है....
डॉ. महेश परिमल
बचपन से हमें यही सिखाया जाता रहा है कि आत्मा अजर-अमर है। वह कभी नहीं मरती, वह केवल शरीर ही बदलती है। आत्मा के बिना मानव जीवित ही नहीं रह सकता। आत्मा ही प्राण है। हमें सदैव आत्मा की आवाज को सुनना चाहिए। यह कभी अनैतिक सलाह नहीं देती। इस तरह के उपदेशों को हम आत्मसात करते रहे हैं। यह भी सुना है कि आत्मा ने कई बार बहुत ही अच्छे-अच्छे काम किए हैं। उसने सदैव अन्याय का विरोध किया है। कहानियों और फिल्मों में इस तरह की बातों से हमें बल भी मिला है। इसलिए हमने सदा आत्मा का सम्मान किया है। पर इस महामारी के दौरान हुई बेशुमार मौतों ने आत्मा शब्द से विश्वास को हिला दिया है। लगता है कि इन आत्माओं की आत्मा की भी मौत हो गई। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि इन्हीं आत्माओं के सामने बुरे से बुरे काम हो रहे हैं, पर एक आत्मा ने भी उसका विरोध नहीं किया।
इस विचार से धर्म पर आस्था रखने वालों को ठेस पहुंचेगी, यह जानते हुए भी यह कह रहा हूं कि हमने सदैव माना है कि यह अजर-अमर आत्मा किसी को दिखाई नहीं देती, पर यह सब कुछ देखती है। अगर यह सब कुछ देख रही है, तो फिर अस्पतालों में होने वाली लापरवाही, दवाओं के लिए भटकते लोग, श्मशानों की लंबी कतारें, नदियों में बहते शव, इंजेक्शन की कालाबाजारी आदि ये सब कुछ भी तो आत्माओं को दिखाई दे रहा होगा। तो फिर आत्माएं उसका विरोध क्यों नहीं कर रहीं हैं? क्या ऐसा नहीं हो सकता कि किसी अस्पताल के संचालक ने मरीज से बहुत ज्यादा धनराशि ली और उसका इलाज नहीं किया, तो किसी आत्मा ने उसके भीतर जाकर उसे झंझोड़ा हो, उसे ललकारा हो या फिर उसे किसी प्रकार की चेतावनी दी हो। यदि कहीं भी सचमुच आत्मा का निवास है, तो ऐसी घटनाएं हमारे सामने आनी चाहिए, जिससे लोगों को किसी भी तरह का अनैतिक काम करने में खौफ हो। लोग गलत काम करने से घबराएं, विशेषकर उन परिस्थितियों में, जहां किसी निर्दोष के साथ अत्याचार हो रहा हो। किसी गरीब को लूटा जा रहा हो। किसी की मजबूरी का अनुचित लाभ उठाया जा रहा हो। क्या आत्माओं को इसका विरोध नहीं करना चाहिए?
आत्माओं के बारे में कई ऐसे किस्से भी सामने हैं, जिसमें वह गवाही के लिए अदालत में भी हाजिर हुई है। अपने आसपास भी हम कभी-कभी किसी आत्मा के होने का अनुभव करते हैं। जब कोई दुर्घटना से अचानक बच जाए। या फिर सामने आई हुई मुसीबत कुछ ही पलों में दूर हो जाए। जब कोई सहारा न मिले, तो अचानक ही हमें सहारा मिल जाता है। इस तरह के कई चमत्कारों से लोगों का सामना होता रहता है। जो व्यक्ति ईमानदार हैं, जिनका जीवन ही अपने आराध्य की भक्ति में निकल गया हो, ऐसे लोगों को इस तरह के चमत्कार के दर्शन होते ही रहते हैं। इससे कोई इंकार भी नहीं कर सकता। तो फिर आज इन हालात में किसी आत्मा द्वारा किए गए चमत्कार के दर्शन क्यों नहीं हो रहे हैं?
हमारे सामने ही कई लोगों की मौत हो गई। कोई दवा के अभाव में मरा, तो कोई इलाज के अभाव में। किसी को अस्पताल में बेड नहीं मिला, तो किसी को ऑक्सीजन नहीं मिली। कोई डॉक्टर-नर्स की लापरवाही से अपनी जान गंवा बैठा, तो कोई नकली दवाओं से। हम रोज ही इस तरह की खबरें देख-पढ़ रहे हैं। चारों ओर से आ रही खबरों से ऐसा लगता है, मानवता आज तार-तार हो गई है। सभी उदास होकर एक-दूसरे का मुंह देख रहे हैं। सभी को किसी चमत्कार की आशा है। कोई आए और इन हालात को सुधार जाए। पर ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। जो ईश्वर पर विश्वास रखते हैं, उनका मानना है कि ये सब हमारे प्रारब्ध का नतीजा है। आज हम पर जो कुछ भी बीत रही है, उसके पीछे हमारा प्रारब्ध है। वह तो ठीक, पर एक मासूम जिसने अभी दुनिया में कदम ही रखा है, यदि उसके साथ कुछ अनुचित हो जाता है, तो इसे क्या माना जाए? ऐसे हजारों मामले हैं, जिसमें लोगों ने इंसानियत को शर्मसार किया हो। इनके काम देखकर यही लगता है कि ये लोग किसी दूसरे ग्रह के प्राणी हैं। इंसान तो ऐसा नहीं कर सकता। पर आज बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जिससे लगता है कि इंसान अब इस ग्रह में रहने लायक नहीं बचा। चारों ओर निराशा का अंधकार है। आशा की किरण दिखाई नहीं दे रही है। मानव की करतूतों को देखकर आज मानवता रो रही है। हमारे संस्कार में यह रचा-बसा है कि जो गलत कर रहा है, ईश्वर उसे उसकी सजा अवश्य देंगे। पर आज हम देख रहे हैं कि नेताओं की सम्पत्ति एक साल में ही कई गुना बढ़ जाती है। भ्रष्ट अधिकारी-व्यापारी भी तेजी से अपनी धन-सम्पदा बढ़ाते जा रहे हैं। अस्पताल में लूट-खसोट जारी है। बिना रिश्वत के कहीं कोई काम हो ही नहीं रहा है। तो ऐसे में कैसे बच पाएगी इंसानियत? इन हालात में ईश्वर जो कुछ करेंगे, वह अलग बात है, इस समय उन अतृप्त आत्माओं को अदृश्य रूप में हमारे सामने आना होगा और जहां नाइंसाफी हो रही हो, वहां लोगों को इंसाफ दिलाना होगा। अदृश्य आत्माएं आगे आएं और उन गरीबों का भला करें, जिनके साथ अन्याय हो रहा है। अगर ऐसा नहीं हो पाता, तो हम अपनी संतानों को क्या यह बताएंगे कि एक समय ऐसा भी था, जब लोगों ने आत्माओं पर विश्वास करना छोड़ दिया था। आखिर किसी की मौत होने पर हम सब मिलकर उसे श्रद्धांजलि देते हुए आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते ही हैं। आत्मा की शांति यानी मरकर वह आत्मा कुछ विचलित हो गई। उसके विचलन को कम करने के लिए हम प्रार्थना करते हैं। अब यही आत्माएं अगर अनैतिक कार्यों के खिलाफ आगे आकर लोगों को समझाइश दें, तो पूरे मानव जगत का कल्याण होगा और कराहती हुई मानवता को कुछ राहत मिलेगी। लोग आत्माओं पर विश्वास करने लगेंगे।
डॉ. महेश परिमल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें