शनिवार, 16 अप्रैल 2022

डिजिटल म्युजियम यानी भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों की जानकारी

 

14 अप्रैल 2022 को लोकस्वर में प्रकाशित





डिजिटल म्युजियम यानी भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों की जानकारी
देश में अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें से सबसे अधिक चर्चित यदि किोई रहे हैं, तो वे हैं जवाहर लाल नेहरू। शेष प्रधानमंत्रियों की चर्चा उतनी नहीं होती। आज की पीढ़ी नेहरू को बतौर प्रधानमंत्री जानती है, पर लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह, हरदन हल्ली डोड्‌डेगौड़ा देवगौड़ा को नहीं जानती। इन्हें यदि जान भी जाए, तो कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में दो बार कार्य करने वाले गुलजारी लाल नंदा को कोई नहीं जानता। ऐसे में युवा पीढ़ी हमारे देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को न भूले, उनके भाषण को याद रखे, इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों की याद को संजोने के लिए नेहरू मेमोरियल म्युजियम एवं लायब्रेरी का निर्माण किया गया है, जिसका उद्घाटन 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह एक अच्छा प्रयास है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रयास की सराहना भले ही न हो, पर इसका विरोध निश्चित रूप से होगा, यह तय है। इसके पहले यह घोषणा की गई थी कि 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन पर इस म्युजियम का उद्घाटन किया जाएगा। किंतु अब इसे बाबा साहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर सभी के लिए खोल दिया जाएगा। इस म्युजियम के माध्यम से यह बताने की कोशिश की जाएगी कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों की क्या-क्या उपलब्धियां रहीं। उनके विचार कैसे थे। देश के बारे में उनकी क्या सोच थी आदि। केंद्र के सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री जी कृष्णा रेड्‌डी ने बताया कि म्युजियम अब पूरी तरह से तैयार है। इस प्रोजेक्ट की लागत 226.20 करोड़ है। इसका बजट 271 करोड़ रुपए था। इसमें कांटेक्ट जेनरेशन, डिस्पले, टेक्नालॉजी आदि का समावेश किया गया है। डिजिटल स्टोरी, थ्री डी मेपिंग टेकनिक, ऑडियो, विजुअल प्रोजेक्शन, होलोग्राम आदि आकर्षण का केंद्र होंगे।
तीन मूर्ति भवन के बाजू में ही स्थित है नेहरू मेमोरियल म्युजियम। दस हजार वर्गमीटर भूमि पर तैयार इस म्युजियम में पूर्व प्रधानमंत्रियों की तस्वीरें, स्पीच, वीडियो क्लीप, समाचार पत्र, साक्षात्कार आदि उपलब्ध हैं। इसके अलावा उनका जीवन चरित्र, उनके विदेश प्रवास की जानकारी भी होगी। पहले यह योजना थी कि इसका उद्घाटन 2020 में किया जाए, किंतु कोविड महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। तीन मूर्ति भवन 1930 में अंग्रेजों ने बनवाया था। बाद में यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का निवास स्थान हो गया। नेहरु जी वहां 1964 तक रहे। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की किताब के विमोचन समारोह के प्रसंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह टिप्पणी की थी कि कुछ विघ्नसंतोषियों ने यह प्रयास किया है कि देशवासी पूर्व प्रधानमंत्रियों को भूल जाएं। उनकी मंशा यह थी कि लोग हमारे किसी भी पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद न करें। इस दौरान मोदी ने सभी प्रधानमंत्रियों के नामों का उल्लेख किया, किंतु उन्होंने जवाहर लाल नेहरू का नाम नहीं लिया।
हमारे देश में नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्रियों की गलतियों का जमकर प्रचार-प्रसार किया है। इससे वे वोट बटोरने में भी कामयाब हुए हैं। इसके बाद भी कई प्रधानमंत्रियों के नामों का उल्लेख तक नहीं किया जाता। लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह, एच.डी.देवगौड़ा आदि का नाम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं लिया जाता। आज की पीढ़ी को हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों से रू-ब-रू कराने के लिए इस म्युजियम की स्थापना की गई है। इस म्युजियम के उद्घाटन के अवसर पर दो पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा और डॉ. मनमोहन सिंह को भी आमंत्रित किया गया है। देखा जाए, तो यह म्युजियम आज की पीढ़ी के लिए मील का एक पत्थर साबित होगा। युवा पीढ़ी हमारे पूर्व प्रधानमंत्रियों को अच्छी तरह से जानेगी, ऐसी आशा की जा सकती है।
डॉ. महेश परिमल 



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