शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

भारत के लिए चीन पाकिस्तान से अधिक खतरनाक



डॉ. महेश परिमल

चीन भारत के लिए पाकिस्तान से भी अधिक खतरनाक है। यह बात शायद हमें देर से समझ में आ रही है। चीन ने जिस तेजी से अपना वर्चस्व कायम किया है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि वह भारत के लिए और भी अधिक अवरोध खड़े करेगा। जिस तरह से उसने अपने उत्पाद हमारे देश में निर्यात किए हैं, उससे ही स्पष्ट होता है कि उसकी तैयारी कैसी है। नकली दूध और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खिलौने से हम सब वाकिफ हैं। अब वह अपनी फौजी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
दक्षिण एशिया में व्यूहात्मक डेटरंस के लिए चीन ने भारतीय सीमा पर मिसाइल तैनात की है। सीएसएस फाइव उर्फ दोंग फेंग 21-ए नामक इस मिसाइल से देश के मुम्बई जैसे शहरों पर खतरा बढ़ गया है। चीन अपनी आर्थिक ताकत ही नहीं बढ़ा रहा है, वह तो अपने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की ताकत भी बढ़ा रहा है। भारत से लगी 4057 किलोमीटर सीमा पर चीन अरुणाचल प्रदेश और अक्सई चीन कश्मीर के पूर्व में आने वाले क्षेत्र हैं। जिस तरह से पक्के रास्तों को चीन ले लांघा है, उससे उसकी नीयत साफ पता चलती है। उसके लिए अब दिल्ली दूर नहीं है। भारत की सीमा पर उसकी बार-बार की जाने वाली घुसपैठ यह बताती है कि उसके इरादे नेक नहीं हैं। अब तक उसने 250 बार सीमा का उल्लंघन किया है।
भारत-चीन संबंधों को सुधारने की बात बार-बार की जाती है। इसके जवाब में चीन सदैव ही सीमा पर अपनी सेनाएँ भेजता है। भारत के पास चीन के महानगर बीजिग तक प्रहार करने वाली मिसाइलें हैं, साथ ही अणुबम भी हैं, इसके बाद भी हमारा देश चीन की किसी भी क्षेत्र में बराबरी नहीं कर सकता। इसके बाद भी चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। चीन की सैन्य ताकत और उसकी दगाखोरी नीति के आगे भारत कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। 1961 के युद्ध में भारत ने चीन से हार मान ली थी। इसकी वजह भले ही स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ही क्यों न रहें हों। कहा जाता है कि उनकी संकीर्ण दृष्टि ही इसका मुख्य कारण रही। नेहरु ने बीजिंग की यात्रा कर चीनी-हिंदी भाई-भाई का नारा लगा रहे थे, उधर चीन भारतीय सीमा पर घुस आया था। भारत आकर नेहरु ने बिना किसी तैयारी के सेनाओं को चीनी सैनिको से मुकाबला करने के लिए हिमालय बर्फीली चोटियों पर भेज दिया था।
वर्तमान में वैश्विक स्थिति को देखते हुए चीन-भारत में युद्ध हो, इसकी संभावना काफी कम है। फिर भी भारत को चीन से सचेत रहना ही होगा। वह कभी भी कुछ भी कर सकता है। भारत उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीन ने क्या-क्या नहीं किया। अपने यहाँ नकली दवाएँ बनाकर उसने भारत की सील लगाकर विश्व बाजार में बेचा, ताकि भारत की साख गिर जाए। अपने उत्पादों से उसने भारतीय बाजार पर कब्जा कर रखा है। हमारी कमजोर नीतियाँ उसे इस तरह के काम करने के लिए उकसाती हैं। हमने कभी भी चीन उत्पादों का खुलकर विरोध नहीं किया। चीनी उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया जाता, तो शायद इस दिशा में यह एक ठोस कदम होता। पर हम ऐसा नहीं कर पाए। चीन ने अपनी पूरी तैयारी के साथ भारत पर आíथक रूप से प्रहार किया है। जिसका जवाब हमें देना ही होगा। कैसे देना है यह हमारे नेता और मंत्री बहुत ही अच्छी तरह से जानते हैं।
उधर चीन की सैन्य तैयारियों के बारे में अमेरिकी प्रतिरक्षा-मुख्यालय पेंटागन की ताजा रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि चीन की ताकत को देखते हुए अमेरिका सचमुच चिंतित है। चीन ने भारत से जुड़ी सीमाओं पर तैनात पुरानी मिसाइलों को ज्यादा उन्नत मिसाइलों से बदल दिया है। उसने भारतीय सीमाओं पर सैनिकों को जमा करने की आकस्मिक योजना तैयार की हो। अब उसके निशाने की जद में सिर्फ अपना पास पड़ोस ही नहीं, पूरी दुनिया है। वह अपनी सैन्य तैयारियों को-लेकर भारी गोपनीयता बरत रहा है। सवाल यह है कि आखिर कौन-सा देश है जो यही सब नहीं करेगा या करना चाहेगा। रिपोर्ट के अनुसार चीन दुनिया भर में अपने पैर पसारने में जुटा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपनी सैन्य क्षमता के जो आंकड़े दिये हैं, उनमें पारदर्शिता नहीं है। रिपोर्ट अमेरिका के निचले सदन कांग्रेस में पेश की गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया है भारत और चीन के बीच राजनैतिक और ओर्थक संबंधों में सुधार के बाद भी दोनों देशों की सीमा पर तनाव बरकरार है। चीन की सेना अक्सर सीमा का उल्लंघन और आRामक बॉर्डर पेट्रोलिंग करती है। इससे तनाव और बढ़ जाता है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर सबसे अधिक तनाव है। चीन इसे तिब्बत का हिस्सा मानता है। इसके अलावा तिब्बत के पठार के पश्चिमी छोर पर मौजूद अक्साई चिन पर भी चीन दावा करता है। भारत के लोन रुकवाने की कोशिश की रिपोर्ट में कहा गया है अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन ने अपने-अपने दावों को मजबूती देने के लिए कई कदम उठाये थे।
रिपोर्ट के अनुसार 2009 में ऐशयन डेवलपमेंट बैंक से भारत को करीब 13 हजार अरब रुपये के लोन को रुकवाने की पूरी कोशिश की। चीन का तर्क था कि इस लोन का एक हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में पानी की योजना में लगाया जाएगा। भारत में हमें यह रिपोर्ट पढ़ते हुए भूलना नहीं चाहिए कि यह अमेरिकी रिपोर्ट है। चीन के बढ़ते प्रतिरक्षा खर्च के बारे में-हमें वह देश आगाह कर रहा है, जिसका अपना प्रतिरक्षा बजट-चीन से काफी अधिक और दुनिया में सबसे ज्यादा है। फिर-स्थापित महाशक्ति अमेरिका और उभरती महाशक्ति चीन के बीच कटुता जानी-पहचानी है। इस किस्म की रिपोर्ट से एशिया में चीन की बढ़ती ताकत के प्रति चिंता पैदा करके हथियारों की होड़ को बढ़ावा देना उसका मकसद हो सकता है। इसमें उसका-दोहरा फायदा है। वह चीन के खिलाफ उसके ही पड़ोस में चुनौती खड़ी करेगा और हथियार बेचकर मुनाफा भी कमाएगा। पहला सबक तो यह है कि किसी अमेरिकी रिपोर्ट के आधार-पर दहशतजदा होने या अपनी रणनीति बनाने के बजाय हम खुद अपनी रिपोर्ट तैयार करें।


क्या है रिपोर्ट में ..
- चीन ने भारत से सटी सीमा पर आधुनिक मिसाइल सीएसएस 5 को तैनात किया है
- सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती पर भी विचार कर रहा है
- कम समय में वायुसेना को सीमा के पास पहुंचाने की योजना बनाई
- 2009 में 150 अरब डॉलर सेना पर खर्च किए
- चीन द्वारा बॉर्डर पर रोड और रेल इंफा्रस्ट्रक्चर के विकास पर जोर दे रहा
- सीमा पर रोड और रेल इंफा्रस्ट्रक्चर के विकास पर जोर दे रहा है।
-भारत-चीन की 4057 किलोमीटर लंबी सीमा पर हालात सामान्य नहीं
- अरुणाचल प्रदेश को लेकर सबसे अधिक तनाव
- अक्सई चिन पर भी करता है दावा
-चीन की बढ़ती ताकत- चीन का पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान तियानगोंग-1 तैयार
-8.5 टन वजन वाले इस यान को 2011 में कक्षा में छोड़ा जाएगा
-चीन इस समय दो महिलाओं समेत चीनी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का प्रशिक्षण दे रहा है।
- 2003 में शेनझाव में पहली बार अंतरिक्ष में मानव भेजा था।

डॉ. महेश परिमल

2 टिप्‍पणियां:

  1. महेश जी आपका कहना जयाज है लेकिन इस देश को इस वक्त सबसे बड़ा खतरा गद्दारों का पूरी सरकारी व्यवस्था पर नियंत्रण हो जाने से सबसे ज्यादा है ,पूरा सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार में लीन होकर हर तरफ नकली ही नकली विकाश को अंजाम देकर इस देश की जड़ों को ही खोखला कर रहा है ...दिल्ली में जब इस खेल को नहीं रोक पायी सरकार तो देश के दूर दराज में इसे क्या रोकेगी ...?

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