स्वराज्य करुण
कहते हैं कि शिक्षा मानव को मानवता सिखाती है , वह मनुष्य को सत्य, अहिंसा, सदाचार और शांति से जीवन जीने और प्रत्येक मानव के जीवन को अपने जीवन की तरह अनमोल समझने की सीख देती है. हमारे इस महान देश में भगवान गौतम बुद्ध ,महावीर ,गुरु नानक ,कबीर और महात्मा गांधी सहित अनेक महान विभूतियों ने अपने सदविचारों से पूरी दुनिया को जियो और जीने दो का प्रेरणादायक सन्देश दिया है. लेकिन आज की दुनिया में हो क्या रहा है ? दुनिया को रहने दें और यह देखें कि अपने ही देश में क्या हो रहा है ? कहीं नक़ली दवाईयों के काले कारोबार के जरिये मरीजों के जीवन से खुले आम खिलवाड़ चल रहा है ,तो कहीं मिलावटी दूध ,मिलावटी खोवा , मिलावटी तेल के घिनौने व्यापार से पूरे मानव समाज को बीमार बनाया जा रहा है .जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों ने अब तो सब्जियों को घातक रासायनिक रंगों से रंग कर बेचना शुरू कर दिया है . छतीसगढ़ के पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय की रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला में बाज़ार से खरीदी गयी परवल और खेक्सी को जब पानी में डाल कर जाँच की गयी तो विशेषज्ञ यह देख कर चौंक गए कि पानी का रंग हरा हो गया कारण यह था कि स्वाद और विटामिनों का भण्डार समझी जाने वाली इन हरी सब्जियों को मेल्काईट ग्रीन नामक जहरीले रसायन से रंगा गया था . प्रायोगिक जाँच में यह भी पाया गया कि बाज़ारों में बिक रही इस प्रकार की सब्जियों में कापर सल्फेट ,ब्रिलियंट ग्रीन और आक्सीटोसिन नामक इजेक्शन से भी ऐसे जहरीले रसायन डाल कर उन्हें ग्राहकों को थमाया जा रहा है,कच्चे टमाटर को पकाने के लिए एथेफोन और एक अन्य रसायन का इस्तेमाल हो रहा है. केले और आम के कच्चे फलों को जल्दी पकाने के लिए मौत के सौदागरों ने कार्बाइड नामक जानलेवा रसायन का उपयोग शुरू कर दिया है . यह किसी एक शहर की बात नहीं है. देश के अनेक शहरों की सब्जी मंडियों से ऐसी ख़बरें लगभग हर हफ्ते -दस दिन में अखबारों और छोटे परदे के समाचारों में पढ़ते -पढ़ते और देखते -देखते हम थक गए हैं .डॉक्टर सचेत करते हैं कि ऐसी जहर बुझी सब्जियों के जरिये शरीर में घातक रसायनों के पहुँचने पर किडनी ,दिल और लीवर की प्राण घातक बीमारियाँ हो सकती हैं ,लेकिन ग्राहक बेचारा करे भी तो क्या ? रोजी -रोटी के लिए शहरी जीवन में रहने की मजबूरी ,छोटे -छोटे घरों में रहने की मजबूरी भाग -दौड़ से भरी ज़िंदगी में असली सब्जियों के धोखे में लोग इन मिलावटी,नकली और जहरीली सब्जियों को खरीद कर और खाकर खुद बीमार हो रहें है और अनजाने में उनके परिवारों के सदस्य और घर आने वाले मेहमान भी अनजाने में ऐसी बीमारियों को शरीर में डाल रहें है , जिनका नतीज़ा उन्हें निर्दोष होने के बावजूद आज नहीं तो कल भोगना ही पड़ेगा. भोले -भाले इंसानों को नकली दवा,मिलावटी दूध ,मिलावटी घी , नकली खोवा और जहरीली सब्जियां बेच कर उनकी जेबों से लाखो -करोड़ों रुपयों की लूट-पाट करने और उन्हें मौत के मुंह में धकेलने वाले लोग मानव के वेश में दानव नहीं तो और क्या हैं ? ऐसे लोग मानवता के शत्रु और देश और दुनिया के दुश्मन नहीं तो और क्या हैं ? इनके साथ वही सलूक होना चाहिए जो हत्या के अपराधियों के साथ होता है. लेकिन सवाल यह है कि मौत के सौदागर , हमारे ये दुश्मन क्या ब्रम्हांड के किसी दूसरे ग्रह से आये हैं ,जिन्हें हम पृथ्वी ग्रह के निवासी अपनी खुली आँखों से नहीं देख पा रहे हैं और जो मौत का ऐसा घिनौना खेल हमारे बीच छुप कर खेल रहें हैं ? सब कुछ हमारे आस- पास, हमारे ही खिलाफ खुलकर हो रहा है , फिर भी हम अगर अपने इन दुश्मनों को नहीं पहचान पा रहे हैं, तो इसमें गलती आखिर किसकी है ?
स्वराज्य करुण
मंगलवार, 17 अगस्त 2010
देश के दुश्मन : मौत के सौदागर
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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सब जीने की मजबूरी है आजादी के बाद इंसान के लिए जिन्दा रहना इतना दूभर कभी नहीं था जितना पिछले पांच सालों में हो गया है | टाटा,अम्बानी,बिरला इन राजनेताओं के साथ मिलकर कड़ोरों लूट रहें हैं तो ये सब्जी वाले लोगों के जान से खेलकर उनको लूट रहें हैं | सरकार और सरकारी व्यवस्था सिर्फ लूट और घोटाले करने के लिए है | शर्मनाक अवस्था है इस देश और समाज की ...
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