गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
पाकिस्तान में पुनरागमन के लिए तैयार हैं मुशर्रफ
डॉ. महेश परिमल
पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपनी नई पार्टी के साथ पाकिस्तान लौटना चाहते हैं। इस दौरान उन्होंने काफी अध्ययन किया। विशेषकर मोहम्मद अली जिन्ना के तमाम भाषणों को पढ़ा और समझा। यही नहीं पाकिस्तान की उन तमाम हस्तियों के बारे में गहराई से अध्ययन किया, जिन्होंने पाकिस्तान के लिए उल्लेखनीय काम किए। अपना पूरा ध्यान युवाओं पर देने वाले परवेज मुशर्रफ बहरहाल लंदन में रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा स्कॉटलैंड यार्ड कर रहे हैं। वे बहुत ही कम लोगों से मिलते हैं। लेकिन कंप्यूटर के माध्यम से वे पाकिस्तान ही नहीं, विश्व के कई लोगों से सीधे जुड़े हुए हैं। फेस बुक, ट्विटर आदि माध्यमों से वे लोगों से जीवंत संपर्क बनाए हुए हैं।
एक अक्टूबर को उन्होंने अपनी नई पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग की घोषणा की। मुशर्रफ के करीबी लोगों का कहना है कि इस दौरान वे राजनीति में और भी अधिक परिपक्व हुए हैं। वे अंतमरुखी हो गए हैं। अब तक बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, फैज अनवर फैज इस्कंदर मिर्जा और तारीक अजी जैसी अनेक हस्तियों ने पाकिस्तान के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है। पर मुशर्रफ मियां का किस्सा इन सबसे अलग है। बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ के शासन में सेनाध्यक्ष को देश निकाला दे दिया गया था, लेकिन मियां मुशर्रफ खुद ही पाकिस्तान से भाग गए थे। मुशर्रफके प्रशंसकों का कहना है कि उन्हें निश्चित रूप से पाकिस्तानी अवाम का सहयोग मिलेगा। इसके पीछे उनका तर्क है कि हकीकत में मुशर्रफ पिछले दो वर्षो में जहाँ भी गए, वहाँ के पाकिस्तानी शिक्षकों, विद्यार्थियों और कार्यकत्र्ताओं को साथ में लेने की कोशिश की है।
परवेज मुशर्रफ बहुत ही सयाने हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के साथ पाकिस्तान वापस आने की योजना दो साल पहले ही बना ली थी। सबसे पहले तो उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय संपर्को का उपयोग अपने फायदे के लिए करना शुरू कर दिया। अपनी इमेज बनाने के लिए उन्होंने लोगों के सामने मुद्दे रखने के लिए विश्वविद्यालयों में लेक्चर देना शुरू किया। 2009 में अमेरिका प्रवास के दौरान कुल 17 स्थानों पर लेक्चर दिए। उन्होंने अपने इस प्रवास का भरपूर फायदा उठाया। इसके बाद वे स्वीडन, दुबई, एशियाई देश, हांगकांग तथा सिंगापुर भी गए। यहाँ भी वे अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे। उनके ये सारे प्रयास अब काम आ रहे हैं। पाकिस्तान में भी खुल आम यह माँग उठने लगी है कि उन्हें वापस बुलाया जाए। मुशर्रफ यह अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी तथा मुस्लिम लीग जैसी बड़ी राजनैतिक पार्टियों उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसी वर्ष फरवरी महीने से ही मुशर्रफ अपने मित्रों और परिचितों को ई-मेल और फेस बुक के माध्यम से सम्पर्क करना शुरू कर दिया था। फेस बुक में उनके करीब 3 लाख समर्थक हैं। मीडिया के माध्यम से भी उन्होंने अपने विचारों को पाकिस्तानी अवाम तक पहँुचाने की कोशिश की है। फेस बुक में अपने समर्थकों की बढ़ती संख्या को देखकर उन्हें लगता है कि पाकिस्तान में चुनाव लड़ने पर उन्हें यही युवा काम आएँगे। इसलिए वे अपने भाषणों में नई ताजगी ला रहे हैं। उनके विचारों से युवा उन्हें सुनने लगे हें। कुछ दिनों पहले ही उन्होंेने आतंकवाद पर भाषण किया। उनके भाषण से प्रभावित होकर बिलाल नामक युवक ने बताया कि मुझे परवेज मुशर्रफ अच्छे लगते हैं, क्योंकि वे प्रमाणिक हैं, उनकी एकमात्र चिंता युवाओं को एक बेहतर पाकिस्तान देने की है। पिछले दो सालों में उनमें काफी बदलाव आया है। उनके विचार अधिक इस्लामी हो गए हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि एक समय उनके पास भरपूर सत्ता थी, फिर भी वे भ्रष्टाचार से दूर ही रहे।
मुशर्रफ की कुछ विशेषताएँ हैं, जो पाकिस्तानियों को लुभा रहीं हैं। एक तो वे बचपन में वॉलीबाल, बेडमिंटन और क्रिकेट खेल चुके हैं। इसलिए युवा उन्हें खेल प्रेमी मानते हैं। इसीलिए युवा उन्हें अपने करीब पाते हैं। इसके अलावा वे टर्कीश भाष धाराप्रवाह रूप से बोलते हैं और उन्हें अरबी भोजन पसंद है। उनकी इसी पसंद के कारण लंदन में उन्होंने वही स्थान रहने के लिए चुना, जहाँ अरबी लोग रहते हैं। ताकि वे वहाँ पर घर जैसा महसूस कर सकें। उनकी सुरक्षा की जवाबदारी स्कॉटलैंड यार्ड पर है, इसलिए वह उनकी हर गतिविधि पर नजर रखती है। जब भी वे कहीं बाहर जाते हैं, तब हमेशा काली रंग की आलीशान ओडी कार का इस्तेमाल करते हैं। सुबह जल्दी उठ जाते हैं और दिन भर या तो पढ़ते हैं या फिर लिखते रहते हैं। इसके अलावा में आने वाले मेहमानों से भी मिलते हैं।
परवेज मुशर्रफ अपने भाषणों में उर्दू, हिंदुस्तानी और अंग्रेजी के मिश्रण का उपयोग करते हैं। किसी एक भाषा में लगातार वे भाषण नहीं कर सकते। उनकी यही कमजोरी पाकिस्तानी युवाओं को भा रही है। न केवल पाकिस्तानी, बल्कि विदेशों मंे रहने वाले पाकिस्तानियों को भी उनकी यह भाषा लुभा रही है। अब तक उन्होंने अपना निर्वासित जीवन लंदन में रहकर शांतिपूर्ण रूप से गुजारा है। लेकिन बदले हुए हालात में अब उनकी जीवन संकटपूर्ण हो सकता है। इसलिए दूर की सोचते हुए उन्होंने अपना एक और ठिकाना दुबई में बना लिया है। यही नहीं, सऊदी अरब के शाही परिवार ने उन्हें पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि शाही परिवार उनके राजनैतिक जीवन में कभी दखल नहीं देगा। अभी तो मियां मुशर्रफ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए हैं। पाकिस्तान की निष्फल सरकार को और अधिक डावाडोल करने के लिए वे देश को एक नई संरचना, पानी की समुचित व्यवस्था, कृषि और औद्योगिक विकास, नागरिकों का विकास और पॉवर सेक्टर की समस्याओं को दूर करने के लिए रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि आखिर उनके दिमाग में क्या चल रहा है?
डॉ. महेश परिमल
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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