डॉ. महेश परिमल
यूं तो आम आदमी हमेशा अपनी ही समस्याओं से जूझता रहता है। वह चाहकर भी अपनी समस्याओं से निजात नहीं पा सकता। लेकिन यही आम आदमी यदि कुछ ईग करने की सोच ले, तो वह क्या नहीं कर सकता। यही आम आदमी चाहे तो राजनेताओं को भी धूल चटा सकता है। महाराष्ट्र का सिचांई घोटाला सामने आया है, उसमें दो आम आदमी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सत्य की ताकत अंजलि दमनिया और विजय पंढारे की हिम्मत के कारण महाराष्ट्र के भ्रष्ट नेताओं के चेहरे बेनकाब हुए हैं। इससे यह साबित होता है कि एक छोटा सा दीया किस तरह से अंधेरे को चीरकर उस स्थान को प्रकाशवान बना सकता है। शायद इसीलिए कहा गया है कि असत्य जितना भी शक्तिशाली हो, पर सत्य की ताकत के आगे कभी टिक नहीं सकता। भ्रष्टाचारी कितने भी बलशाली हों, पर थोड़ी-सी हिम्मत और थोड़ी-सी निडरता के आगे वे नेस्तनाबूत हो जाते हैं। महाराष्ट्र में सिंचाई योजनाओं के 35 हजार करोड़ के घोटाले को लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को इस्तीफा देना पड़ा। उसके पीछे अंजलि दमनिया और विजय पंढारे जैसे आम आदमी ही हैं, जिनके सत्याग्रह ने इस घोटाले को उजागर किया।
अंजलि और विजय का नाम हममें से शायद ही किसी ने सुना होगा। उनकी तस्वीरें भी अखबारों के पहले पन्ने पर कभी नहीं आई। टीवी पर भी उन्हें कभी किसी चर्चा के लिए नहीं बुलाया गया। पर जब उन्हें अपने ही राज्य में सिंचाई घोटाले की गंध आई, तो वे दोनों एक तरह से हाथ-धोकर उसके पीछे पड़ गए। इस काम में दोनों ने जबर्दस्त हिम्मत और धर्य का प्रदर्शन किया। इन्हीं दोनों के साहस से सरकारी फाइलों में दबा सिंचाई घोटाला सामने आया। इस घोटाले ने महाराष्ट्र सरकार की नींव ही हिलाकर रख दी। विजय पेशे से इंजीनियर हैं। वे महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई विभाग में ही पिछले 32 वर्ष से नौकरी कर रहे हैं। सिंचाई योजनाओं में कांट्रेक्टर और मंत्री मिलकर किस तरह से भ्रष्टाचार करते हैं, उसकी पूरी जानकारी वे रखते हैं। इसे हम आद्योपांत ज्ञान कह सकते हैं। विजय पंढारे को जब अमरावती और जलगांव जिला पंचायत में काम करने का अवसर मिला, तो उनके हाथ में जिल पंचायत की सिंचाई का काम देखने को कहा गया। काम के दौरान उनके सामने जो दस्तावेज आए, उससे उन्हें लगा कि आखिर क्या बात है कि सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन में जितना अधिक कांट्रेक्टर दिलचस्पी लेते हैं, उससे अधिक मंत्री की दिलचस्पी होती है। सिंचाई योजनाओं के जल्द से जल्द पूरे होने में इनकी दिलचस्पी होती, तो विजय को कतई बुरा नहीं लगता। पर इनकी दिलचस्पी प्रोजेक्ट के पूरे नहीं होने में अधिक होती थी। इससे उनका माथा ठनका। उन्होंने बारीकी से दस्तावेज का अध्ययन किया, तो स्पष्ट हुआ कि इसमें तो जबर्दस्त घोटाले ही घोटाले हैं। उनका पहला प्रोजेक्ट तापी डेम था। इसमें उन्होंने देखा कि डेम के निर्माण कार्य में सीमेंट के बदले मिट्टी का इस्तेमाल किया गया। इस पर उन्होंने 500 पेज की रिपोर्ट सरकार को भेजी। पर उस रिपोर्ट को अनदेखा कर दिया गया। विजय ने हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने अपना काम जारी रखा। इस दौरान उन्होंने पाया कि कांट्रेक्टर को जितनी राशि दी जाती है, उसका आधा हिस्सा मंत्रियों को जा रहा है। उन्हें समझ में आ गया कि यह हालत केवल इस क्षेत्र की ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र की है। उन्होंने राज्य की अन्य सिंचाई योजनाओं का अध्ययन करना शुरू किया। उन्होंने राज्यपाल को भी पत्र लिखा, पर कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री ने विजय पंढारे के पत्र को गंभीरता से लेते हुए राज्य की सिंचाई योजनाओं पर एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की।
अब जानते हैं अंजलि दमनिया के बारे में। मूल रूप से गुजरात की 42 वर्षीय अंजलि महाराष्ट्र की बहू बनीं हैं। वे एक साधारण सी गृहिणी हैं। कर्जत तहसील में उनका 59 एकड़ का फार्म हाउस है। अपनी 18 वर्षाे के परिश्रम से उन्होंने फार्म हाउस को तैयार किया था। एक सुबह अंजलि को पता चला कि उनके फार्म हाउस वाली जगह पर सरकारी बांध बन रहा है। उन्हें बहुत आघात लगा। तब फार्म हाउस बचाने के लिए उन्होंने सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने शुरू कर दिए। दूसरी ओर वह बांध के बारे में जानकारी भी इक-ा करने लगी। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कर्जत इलाके में जो बांध बनने वाला था, पहले उसकी लागत केवल 59 करोड़ रुपए थी। एक महीने में यह लागत बढ़कर 328 करोड़ रुपए हो गई। तब अंजलि ने बांध के निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। उसके आधार पर हाईकोर्ट ने यह योजना ही रद्द कर दी। उसके बाद अंजलि को खयाल आया कि महाराष्ट्र में बनने वाले तमाम बांधों में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। साथ ही प्रजा के अरबों रुपए बेकार जा रहे हैं। उन्होंने सूचना का अधिकार का सहारा लिया। अब उनके पास राज्य के अनेक बांधों के बारे में जानकारी थी। जिसमें भ्रष्टाचार का पूरा-पूरा अंदेशा था। इस जानकारी को उन्होंने अखबारों में प्रकाशित करवाया। तब महाराष्ट्र सरकार हड़बड़ा गई। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि आखिर उपमुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। अंजलि के अभियान के कारण ही राज्य की 5 हजार करोड़ की विवादास्पद सिंचाई योजनाएं अटक गई।
अपनी इस सफलता पर अंजलि कहती हैं कि अभी तक उनके पास 9 बांधों के बारे में जानकारी है। इसमें कोंकण क्षेत्र में चल रही कुल 70 सिंचाई योजनाओं के बारे में जानकारी सिंचाई विकास निगम से मांगी है। यही निगम ही सभी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसकी रिपोर्ट आ जाए, तो वे एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण में होंगी। उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा कि सूचना का अधिकार एक ऐसा हथियार है, जिससे छोटे लोग बड़ी लड़ाई लड़ सकते हैं। आजाद भारत में प्रशासन भले ही भ्रष्ट हो, पर न्यायालय अभी भी ऐसे मंदिर हैं, जहां से हमें इंसाफ मिल सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भी सूचना का अधिकार रूपी हथियार से भ्रष्टाचार को नेस्तनाबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। आवश्यकता है हिम्मत और धर्य की।
विजय पंढारेऔर अंजलि दमनिया ने बता दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में साहस और धर्य की आवश्यकता होती है। इस घटना के बाद बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि दमानिया को कानूनी नोटिस भेजा है। अंजलि ने नितिन गडकरी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले को दबाने का प्रयास किया है। अंजलि ने दावा किया है कि वह तीन बार सिंचाई घोटाले को लेकर गडकरी से मिलीं थी लेकिन गडकरी मे अंजलि को यह घोटाला उजागर करने से मना किया था।
गडकरी ने भेजा नोटिस
उनके इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें नोटिस भेजकर माफी मांगने के लिए कहा है और ऐसा नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। गडकरी ने अपने वकील एस एस शमशेरी के माध्यम से अंजलि को नोटिस भेजा जिसकी प्रति मीडियाकर्मियों को भी दी गई। नोटिस में लिखा है कि गडकरी की देश में और जनता में व्यापक तौर पर अच्छी छवि है. उन्होंने देश में कृष के क्षेत्र में काफी काम किया है लेकिन अंजलि ने उन पर झूठा, निराधार और अपमानजनक बयान देकर उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया है। जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी होगी।
अंजलि ने दिया था बयान
अंजलि नेएक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा था कि वह इस मामले में एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष से मिली थीं, लेकिन उन्होंने शरद पवार से रिश्तों की दुहाई देते हुए इस मामले को दबाने की बात की थी। बाद में एक निजी चौनल पर उन्होंने इस मामले में नितिन गडकरी का नाम लिया और साफ तौर पर कहा कि वह बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिली थीं. अंजलि के मुताबिक गडकरी ने कहा कि शरद पवार उनके कुछ काम करते हैं, तो वह भी शरद पवार के कुछ काम करते हैं, लिहाजा इस मामले को दबाने में ही फायदा है। इस सिंचाई घोटाले के कारण महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को इस्तीफा देना पड़ा है।
डॉ. महेश परिमल
यूं तो आम आदमी हमेशा अपनी ही समस्याओं से जूझता रहता है। वह चाहकर भी अपनी समस्याओं से निजात नहीं पा सकता। लेकिन यही आम आदमी यदि कुछ ईग करने की सोच ले, तो वह क्या नहीं कर सकता। यही आम आदमी चाहे तो राजनेताओं को भी धूल चटा सकता है। महाराष्ट्र का सिचांई घोटाला सामने आया है, उसमें दो आम आदमी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सत्य की ताकत अंजलि दमनिया और विजय पंढारे की हिम्मत के कारण महाराष्ट्र के भ्रष्ट नेताओं के चेहरे बेनकाब हुए हैं। इससे यह साबित होता है कि एक छोटा सा दीया किस तरह से अंधेरे को चीरकर उस स्थान को प्रकाशवान बना सकता है। शायद इसीलिए कहा गया है कि असत्य जितना भी शक्तिशाली हो, पर सत्य की ताकत के आगे कभी टिक नहीं सकता। भ्रष्टाचारी कितने भी बलशाली हों, पर थोड़ी-सी हिम्मत और थोड़ी-सी निडरता के आगे वे नेस्तनाबूत हो जाते हैं। महाराष्ट्र में सिंचाई योजनाओं के 35 हजार करोड़ के घोटाले को लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को इस्तीफा देना पड़ा। उसके पीछे अंजलि दमनिया और विजय पंढारे जैसे आम आदमी ही हैं, जिनके सत्याग्रह ने इस घोटाले को उजागर किया।
अंजलि और विजय का नाम हममें से शायद ही किसी ने सुना होगा। उनकी तस्वीरें भी अखबारों के पहले पन्ने पर कभी नहीं आई। टीवी पर भी उन्हें कभी किसी चर्चा के लिए नहीं बुलाया गया। पर जब उन्हें अपने ही राज्य में सिंचाई घोटाले की गंध आई, तो वे दोनों एक तरह से हाथ-धोकर उसके पीछे पड़ गए। इस काम में दोनों ने जबर्दस्त हिम्मत और धर्य का प्रदर्शन किया। इन्हीं दोनों के साहस से सरकारी फाइलों में दबा सिंचाई घोटाला सामने आया। इस घोटाले ने महाराष्ट्र सरकार की नींव ही हिलाकर रख दी। विजय पेशे से इंजीनियर हैं। वे महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई विभाग में ही पिछले 32 वर्ष से नौकरी कर रहे हैं। सिंचाई योजनाओं में कांट्रेक्टर और मंत्री मिलकर किस तरह से भ्रष्टाचार करते हैं, उसकी पूरी जानकारी वे रखते हैं। इसे हम आद्योपांत ज्ञान कह सकते हैं। विजय पंढारे को जब अमरावती और जलगांव जिला पंचायत में काम करने का अवसर मिला, तो उनके हाथ में जिल पंचायत की सिंचाई का काम देखने को कहा गया। काम के दौरान उनके सामने जो दस्तावेज आए, उससे उन्हें लगा कि आखिर क्या बात है कि सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन में जितना अधिक कांट्रेक्टर दिलचस्पी लेते हैं, उससे अधिक मंत्री की दिलचस्पी होती है। सिंचाई योजनाओं के जल्द से जल्द पूरे होने में इनकी दिलचस्पी होती, तो विजय को कतई बुरा नहीं लगता। पर इनकी दिलचस्पी प्रोजेक्ट के पूरे नहीं होने में अधिक होती थी। इससे उनका माथा ठनका। उन्होंने बारीकी से दस्तावेज का अध्ययन किया, तो स्पष्ट हुआ कि इसमें तो जबर्दस्त घोटाले ही घोटाले हैं। उनका पहला प्रोजेक्ट तापी डेम था। इसमें उन्होंने देखा कि डेम के निर्माण कार्य में सीमेंट के बदले मिट्टी का इस्तेमाल किया गया। इस पर उन्होंने 500 पेज की रिपोर्ट सरकार को भेजी। पर उस रिपोर्ट को अनदेखा कर दिया गया। विजय ने हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने अपना काम जारी रखा। इस दौरान उन्होंने पाया कि कांट्रेक्टर को जितनी राशि दी जाती है, उसका आधा हिस्सा मंत्रियों को जा रहा है। उन्हें समझ में आ गया कि यह हालत केवल इस क्षेत्र की ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र की है। उन्होंने राज्य की अन्य सिंचाई योजनाओं का अध्ययन करना शुरू किया। उन्होंने राज्यपाल को भी पत्र लिखा, पर कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री ने विजय पंढारे के पत्र को गंभीरता से लेते हुए राज्य की सिंचाई योजनाओं पर एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की।
अब जानते हैं अंजलि दमनिया के बारे में। मूल रूप से गुजरात की 42 वर्षीय अंजलि महाराष्ट्र की बहू बनीं हैं। वे एक साधारण सी गृहिणी हैं। कर्जत तहसील में उनका 59 एकड़ का फार्म हाउस है। अपनी 18 वर्षाे के परिश्रम से उन्होंने फार्म हाउस को तैयार किया था। एक सुबह अंजलि को पता चला कि उनके फार्म हाउस वाली जगह पर सरकारी बांध बन रहा है। उन्हें बहुत आघात लगा। तब फार्म हाउस बचाने के लिए उन्होंने सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने शुरू कर दिए। दूसरी ओर वह बांध के बारे में जानकारी भी इक-ा करने लगी। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कर्जत इलाके में जो बांध बनने वाला था, पहले उसकी लागत केवल 59 करोड़ रुपए थी। एक महीने में यह लागत बढ़कर 328 करोड़ रुपए हो गई। तब अंजलि ने बांध के निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। उसके आधार पर हाईकोर्ट ने यह योजना ही रद्द कर दी। उसके बाद अंजलि को खयाल आया कि महाराष्ट्र में बनने वाले तमाम बांधों में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। साथ ही प्रजा के अरबों रुपए बेकार जा रहे हैं। उन्होंने सूचना का अधिकार का सहारा लिया। अब उनके पास राज्य के अनेक बांधों के बारे में जानकारी थी। जिसमें भ्रष्टाचार का पूरा-पूरा अंदेशा था। इस जानकारी को उन्होंने अखबारों में प्रकाशित करवाया। तब महाराष्ट्र सरकार हड़बड़ा गई। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि आखिर उपमुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। अंजलि के अभियान के कारण ही राज्य की 5 हजार करोड़ की विवादास्पद सिंचाई योजनाएं अटक गई।
अपनी इस सफलता पर अंजलि कहती हैं कि अभी तक उनके पास 9 बांधों के बारे में जानकारी है। इसमें कोंकण क्षेत्र में चल रही कुल 70 सिंचाई योजनाओं के बारे में जानकारी सिंचाई विकास निगम से मांगी है। यही निगम ही सभी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसकी रिपोर्ट आ जाए, तो वे एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण में होंगी। उन्होंने विश्वासपूर्वक कहा कि सूचना का अधिकार एक ऐसा हथियार है, जिससे छोटे लोग बड़ी लड़ाई लड़ सकते हैं। आजाद भारत में प्रशासन भले ही भ्रष्ट हो, पर न्यायालय अभी भी ऐसे मंदिर हैं, जहां से हमें इंसाफ मिल सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भी सूचना का अधिकार रूपी हथियार से भ्रष्टाचार को नेस्तनाबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। आवश्यकता है हिम्मत और धर्य की।
विजय पंढारेऔर अंजलि दमनिया ने बता दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में साहस और धर्य की आवश्यकता होती है। इस घटना के बाद बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि दमानिया को कानूनी नोटिस भेजा है। अंजलि ने नितिन गडकरी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले को दबाने का प्रयास किया है। अंजलि ने दावा किया है कि वह तीन बार सिंचाई घोटाले को लेकर गडकरी से मिलीं थी लेकिन गडकरी मे अंजलि को यह घोटाला उजागर करने से मना किया था।
गडकरी ने भेजा नोटिस
उनके इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें नोटिस भेजकर माफी मांगने के लिए कहा है और ऐसा नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। गडकरी ने अपने वकील एस एस शमशेरी के माध्यम से अंजलि को नोटिस भेजा जिसकी प्रति मीडियाकर्मियों को भी दी गई। नोटिस में लिखा है कि गडकरी की देश में और जनता में व्यापक तौर पर अच्छी छवि है. उन्होंने देश में कृष के क्षेत्र में काफी काम किया है लेकिन अंजलि ने उन पर झूठा, निराधार और अपमानजनक बयान देकर उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया है। जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी होगी।
अंजलि ने दिया था बयान
अंजलि नेएक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा था कि वह इस मामले में एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष से मिली थीं, लेकिन उन्होंने शरद पवार से रिश्तों की दुहाई देते हुए इस मामले को दबाने की बात की थी। बाद में एक निजी चौनल पर उन्होंने इस मामले में नितिन गडकरी का नाम लिया और साफ तौर पर कहा कि वह बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिली थीं. अंजलि के मुताबिक गडकरी ने कहा कि शरद पवार उनके कुछ काम करते हैं, तो वह भी शरद पवार के कुछ काम करते हैं, लिहाजा इस मामले को दबाने में ही फायदा है। इस सिंचाई घोटाले के कारण महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को इस्तीफा देना पड़ा है।
डॉ. महेश परिमल