डॉ. महेश परिमल
आज नरेंद्र मोदी देश के 15 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी एक के बाद एक ऐसा काम कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ। संसद की सीढ़ियों पर अपना माथा रखकर उसे प्रणाम करने का काम अभी तक किसी ने नहीं किया। उनकी यह तस्वीर मीडिया में छा गई। लोगों को लगा कि उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट देकर कुछ भी गलत नहीं किया। 26 मई को मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे, उसके बाद गठन होगा मंत्रिमंडल का। इसमें कौन-कौन होगा, यह एक यक्ष प्रश्न है। पर कयास लगाए जा रहे हैं कि अभी तो मंत्रिमंडल छोटा ही होगा, बाद भी उसका विस्तार किया जाएगा। उनके मंत्रिमंडल से ही देश के अगले 5 वर्षो का भविष्य तय होगा। देश की दिशा और दशा तय होगी। इसलिए मोदी यह काम पूरी सावधानी से ही करेंगे, यह तय है। दस वर्ष पहले अटल मंत्रिमंडल में जो मंत्री थे, उनमें से कई तो राजनीति से दूर जा चुके हैं, या फिर प्रधानमंत्री की नजर से उतर चुके हैं। इसलिए यह तय माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल होंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में लालकृष्ण आडवाणी नम्बर टू थे। उन्हें गृह मंत्रालय के साथ-साथ देश का उपप्रधानमंत्री का पद भी दिया गया था। इस समय आडवाणी की उम्र 86 वर्ष है। अपनी वरिष्ठता को देखते हुए वे अपने से जूनियर नरेंद्र मोदी के केबिनेट में शामिल होंगे, इसकी कोई संभावना दिखाई नहीं देती। उन्हें लोकसभा स्पीकर का सम्मानीय पद दिया जा सकता है। इससे उनकी गरिमा बनी रहेगी। भविष्य में उन्हें राष्ट्रपति भी बनाया जा सकता है। भाजपा में नरेंद्र मोदी से अधिक वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी भी हैं, जो वाजपेयी मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री थे। उनकी अगवानी में भाजपा ने अपना चुनावी घोषणा पत्र तैयार किया था। कानपुर सीट पर उन्होंने भारी मतो से विजयश्री प्राप्त की है। मोदी के केबिनेट में शामिल होने के नाम पर वे अभी भी असमंजस में हैं। यदि वे केबिनेट में शामिल होने के लिए राजी हो जाते हैं, तो उन्हें फिर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया जा सकता है। यदि वे अपने से जूनियर नरेंद्र मोदी के केबिनेट में शामिल नहीं होना चाहते हों, तो उनके लिए दूसरा रास्ता योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद का कार्यभार दिया जाना ही शेष रहता है।
भाजपा की एक और वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज्य ने अपनी नाराजगी पहले ही जाहिर कर दी है कि उन्हें यदि उचित और सम्मानीय पद नहीं मिला, तो सरकार में शामिल नहीं होंगी। वाजपेयी मंत्रिमंडल में वे पहले तो स्वास्थ्य मंत्रालय और बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में काम किया। इसके साथ ही वे दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। लोकसभा में विपक्ष की नेता के रूप में भी काम करने का उन्हें खासा अनुभव है। पहले तो वे स्वयं ही प्रधानमंत्री पद की दावेदार थीं। पर बाद में उन्हें मना लिया गया। उन्हें विदेश मंत्री या सूचना प्रसारण मंत्री का पद देकर मनाया जा सकता है। किसी भी मंत्रिमंडल में वित्त विभाग किसको दिया जाता है, उस पर सबकी नजर होती है। वाजपेयी केबिनेट में वित्त विभाग यशवंत सिन्हा को दिया गया था। उसके बाद जसवंत सिंह को उनके स्थान पर लाया गया था। यशवंत सिन्हा अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जसवंत सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। इसलिए वित्त मंत्री के रूप में अभी सबसे प्रबल दावेदार अरुण जेटली हैं, भले ही वे चुनाव हार चुके हैं, पर मोदी के वे अतिनिकट माने जाते हैं। अरुण जेटली वाजपेयी मंत्रिमंडल में वाणिज्य मंत्री थे, यह अनुभव भी उन्हें काम आएगा। संभवत: नरेंद्र मोदी वित्त मंत्री पद अपने गुजराती भाई दीपक पारेख जैसे अर्थशास्त्री को सौंप सकते हैं।
प्रधानमंत्री के बाद केबिनेट में दूसरे नम्बर का महत्वपूर्ण पद गृहमंत्री का होता है। नरेंद्र मोदी के लिए यह सबसे मुश्किलभरा निर्णय हो सकता है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने यह विभाग अपने ही पास रखा था। बाद में अपने विश्वस्त अमित शाह को उप गृहमंत्री का पद दकर पुलिस विभाग उन्हें दिया था। अमित शाह नकली एनकाउंटर के मामले में आरोपी घोषित होने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में कमाल ही कर दिया। उनके गृह मंत्री बनने की पूरी संभावना थी, पर उन पर तीन हत्याओं का आरोप है, इसलिए आरोपों के चलते उन्हें किसी तरह का पद नहीं दिया जा सकता। इसलिए वे भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह को गृह मंत्री बना सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद संभाला है, इसके अलावा वाजपेयी मंत्रिमंडल के केबिनेट में कृषि और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में काम करने का अनुभव है। नरेंद्र मोदी केबिनेट में पहले तो एक दर्जन मंत्रियों को शामिल करेंगे, उसके बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे, ऐसा माना जा रहा है। गृह, विदेश, रक्षा और वित्त इन चारों महत्वपूर्ण मंत्रालय के आवंटन के बाद जो मंत्रालय बाकी रह जाते हैं, उसके लिए नीतिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, राजीव प्रसाद रुडी, वैंकैया नायडू, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र, गोपीनाथ मुंडे, आदि नेताओं को शामिल किया जा सकता है। अमेठी में राहुल गांधी को कड़ी टक्कर देने वाली स्मृति ईरानी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। मोदी मंत्रिमंडल की पहली सूची घोषित होने के बाद ही देश के आगामी 5 वर्षो की दिशा तय हो जाएगी। देखना यह है कि मोदी कितने सधे कदमों से इस काम को पूरा करते हैं। उनके सामने भले ही विपक्ष नाम की कोई चीज न हो, पर चुनौतियों के रूप में कई समस्याएं हैं। लोगों की यही धारणा है कि जिस तरह से उन्होंने चुनावी रैलियों में स्वयं को स्थापित किया है, ठीक उसी तरह वे देश को भी आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
डॉ. महेश परिमल
आज नरेंद्र मोदी देश के 15 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी एक के बाद एक ऐसा काम कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ। संसद की सीढ़ियों पर अपना माथा रखकर उसे प्रणाम करने का काम अभी तक किसी ने नहीं किया। उनकी यह तस्वीर मीडिया में छा गई। लोगों को लगा कि उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट देकर कुछ भी गलत नहीं किया। 26 मई को मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे, उसके बाद गठन होगा मंत्रिमंडल का। इसमें कौन-कौन होगा, यह एक यक्ष प्रश्न है। पर कयास लगाए जा रहे हैं कि अभी तो मंत्रिमंडल छोटा ही होगा, बाद भी उसका विस्तार किया जाएगा। उनके मंत्रिमंडल से ही देश के अगले 5 वर्षो का भविष्य तय होगा। देश की दिशा और दशा तय होगी। इसलिए मोदी यह काम पूरी सावधानी से ही करेंगे, यह तय है। दस वर्ष पहले अटल मंत्रिमंडल में जो मंत्री थे, उनमें से कई तो राजनीति से दूर जा चुके हैं, या फिर प्रधानमंत्री की नजर से उतर चुके हैं। इसलिए यह तय माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल होंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में लालकृष्ण आडवाणी नम्बर टू थे। उन्हें गृह मंत्रालय के साथ-साथ देश का उपप्रधानमंत्री का पद भी दिया गया था। इस समय आडवाणी की उम्र 86 वर्ष है। अपनी वरिष्ठता को देखते हुए वे अपने से जूनियर नरेंद्र मोदी के केबिनेट में शामिल होंगे, इसकी कोई संभावना दिखाई नहीं देती। उन्हें लोकसभा स्पीकर का सम्मानीय पद दिया जा सकता है। इससे उनकी गरिमा बनी रहेगी। भविष्य में उन्हें राष्ट्रपति भी बनाया जा सकता है। भाजपा में नरेंद्र मोदी से अधिक वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी भी हैं, जो वाजपेयी मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री थे। उनकी अगवानी में भाजपा ने अपना चुनावी घोषणा पत्र तैयार किया था। कानपुर सीट पर उन्होंने भारी मतो से विजयश्री प्राप्त की है। मोदी के केबिनेट में शामिल होने के नाम पर वे अभी भी असमंजस में हैं। यदि वे केबिनेट में शामिल होने के लिए राजी हो जाते हैं, तो उन्हें फिर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया जा सकता है। यदि वे अपने से जूनियर नरेंद्र मोदी के केबिनेट में शामिल नहीं होना चाहते हों, तो उनके लिए दूसरा रास्ता योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद का कार्यभार दिया जाना ही शेष रहता है।
भाजपा की एक और वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज्य ने अपनी नाराजगी पहले ही जाहिर कर दी है कि उन्हें यदि उचित और सम्मानीय पद नहीं मिला, तो सरकार में शामिल नहीं होंगी। वाजपेयी मंत्रिमंडल में वे पहले तो स्वास्थ्य मंत्रालय और बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में काम किया। इसके साथ ही वे दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। लोकसभा में विपक्ष की नेता के रूप में भी काम करने का उन्हें खासा अनुभव है। पहले तो वे स्वयं ही प्रधानमंत्री पद की दावेदार थीं। पर बाद में उन्हें मना लिया गया। उन्हें विदेश मंत्री या सूचना प्रसारण मंत्री का पद देकर मनाया जा सकता है। किसी भी मंत्रिमंडल में वित्त विभाग किसको दिया जाता है, उस पर सबकी नजर होती है। वाजपेयी केबिनेट में वित्त विभाग यशवंत सिन्हा को दिया गया था। उसके बाद जसवंत सिंह को उनके स्थान पर लाया गया था। यशवंत सिन्हा अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जसवंत सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। इसलिए वित्त मंत्री के रूप में अभी सबसे प्रबल दावेदार अरुण जेटली हैं, भले ही वे चुनाव हार चुके हैं, पर मोदी के वे अतिनिकट माने जाते हैं। अरुण जेटली वाजपेयी मंत्रिमंडल में वाणिज्य मंत्री थे, यह अनुभव भी उन्हें काम आएगा। संभवत: नरेंद्र मोदी वित्त मंत्री पद अपने गुजराती भाई दीपक पारेख जैसे अर्थशास्त्री को सौंप सकते हैं।
प्रधानमंत्री के बाद केबिनेट में दूसरे नम्बर का महत्वपूर्ण पद गृहमंत्री का होता है। नरेंद्र मोदी के लिए यह सबसे मुश्किलभरा निर्णय हो सकता है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने यह विभाग अपने ही पास रखा था। बाद में अपने विश्वस्त अमित शाह को उप गृहमंत्री का पद दकर पुलिस विभाग उन्हें दिया था। अमित शाह नकली एनकाउंटर के मामले में आरोपी घोषित होने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में कमाल ही कर दिया। उनके गृह मंत्री बनने की पूरी संभावना थी, पर उन पर तीन हत्याओं का आरोप है, इसलिए आरोपों के चलते उन्हें किसी तरह का पद नहीं दिया जा सकता। इसलिए वे भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह को गृह मंत्री बना सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद संभाला है, इसके अलावा वाजपेयी मंत्रिमंडल के केबिनेट में कृषि और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में काम करने का अनुभव है। नरेंद्र मोदी केबिनेट में पहले तो एक दर्जन मंत्रियों को शामिल करेंगे, उसके बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे, ऐसा माना जा रहा है। गृह, विदेश, रक्षा और वित्त इन चारों महत्वपूर्ण मंत्रालय के आवंटन के बाद जो मंत्रालय बाकी रह जाते हैं, उसके लिए नीतिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, राजीव प्रसाद रुडी, वैंकैया नायडू, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र, गोपीनाथ मुंडे, आदि नेताओं को शामिल किया जा सकता है। अमेठी में राहुल गांधी को कड़ी टक्कर देने वाली स्मृति ईरानी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। मोदी मंत्रिमंडल की पहली सूची घोषित होने के बाद ही देश के आगामी 5 वर्षो की दिशा तय हो जाएगी। देखना यह है कि मोदी कितने सधे कदमों से इस काम को पूरा करते हैं। उनके सामने भले ही विपक्ष नाम की कोई चीज न हो, पर चुनौतियों के रूप में कई समस्याएं हैं। लोगों की यही धारणा है कि जिस तरह से उन्होंने चुनावी रैलियों में स्वयं को स्थापित किया है, ठीक उसी तरह वे देश को भी आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
डॉ. महेश परिमल
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