जहाँ वंशी गूँजे हर शाम |
किशोरी जी का जो छवि धाम
जहाँ पर कृष्ण रूप में राम !
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ भगवान भक्त के दास
सूर ,वल्लभ ,स्वामी हरिदास ,
जहाँ राजा से रंक का मेल
सुदामा कृष्ण का सुंदर खेल ,
जहाँ यमुना का क्रीड़ाधाम
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ बस प्रेम है द्वेष न राग
जहाँ हर मौसम होली ,फाग ,
जहाँ फूलों में इत्र सुवास
जहाँ उद्धव जी का परिहास ,
जहाँ संतो का सुख हरिनाम
वही है वृन्दावन का धाम |
जहाँ गीता का अमृत पान
गोपियों का नर्तन -मधु गान ,
जहाँ मिट जाते दुःख -संताप
पुण्य का उदय ,अस्त हो पाप ,
है जिसके वश में माया ,काम
वही है वृंदावन का धाम |
जहाँ गिरि गोवर्धन का मान
इन्द्र का टूटा था अभिमान ,
जहाँ गायों का पालनहार
जहाँ भक्तों के मोक्ष का द्वार
जहाँ सबसे सुन्दर रंग श्याम
वही है वृन्दावन का धाम |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
इस कविता का आनंद लीजिए, ऑडियो की सहायता से...
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