पढ़ना-लिखना, शाला जाना?
खेल-कूद में मन लगता,
दिन भर घर में धूम मचाना?
क्यों भाती मन को रंगरेली?
सुलझाए यह कौन पहेली?
क्यों पतंग उड़ती है ऊपर?
क्यों न कभी नीचे को आती?
और गेंद फेंको जो ऊपर,
तो वह फौरन नीचे आती।
चोट लगाते ठेला-ठेली
सुलझाए यह कौन पहेली?
कवि - सोहनलाल द्विवेदी
इस अधूरी कविता को पूरा सुनने के लिए ऑडियो की मदद लीजिए...
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