डेटिंग साइट्स का बढ़ता प्रदूषण
डॉ. महेश परिमल
अपनी प्रेमिका श्रद्धा के 35 टुकड़े करने वाला आफताब देश भर में युवाओं का खलनायक बन गया है। चारों तरफ उसकी निंदा हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि आफताब ने जो कृत्य किया है, उसके पीछे एक ऐसा ऐप है, जो इस तरह की प्रवृत्ति को बढ़ाने का काम करता है। यह एक डेटिंग ऐप है। दिल्ली पुलिस ने जांच में आफताब की प्रोफाइल में इस डेटिंग ऐप बम्बल का जिक्र है। यह एप्स और वेबसाइब्स ऑनलाइन व्यभिचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इतना ही नहीं यह वेबसाइब्स उपभोक्ता के लिए पार्टनर की भी व्यवस्था कर देती है।
हमारे देश में इस तरह के ऐप का प्रवेश 2014 में ही हो गया था। इंटरनेट से जुड़े इस ऐप के आज लाखों व्यसनी हमारे देश में हैं। लोग इसके पीछे अपना कीमती समय बरबाद करते देखे गए हैं। यही नहीं, इसके लिए काफी धन भी खर्च करते हैं। इन्हीं ऐप में से एक है बम्बल। इस मोबाइल डेटिंग एप्लिकेशन पर लोग घंटों तक अपना समय देते हैं। यहां आकर वे अपना मनचाहे पात्र की तलाश करते हैं। डेटिंग साइट, मेट्रोमोनियल साइट ओर इरोटिक साइट आदि एक ही वेवलेंथ पर डेवलप हुई है। सभी में फर्जी प्रोफाइल की भरमार है। इसमें रजिस्ट्रेशन मुफ्त में होता है। कुछ साइट्स पर किसी से सम्पर्क करना होता है, तो उसके लिए राशि का भुगतान करना होता है।
इस समय देश भर का खलनायक आफताब ने डेटिंग एप्लिकेशन बम्बल के माध्यम से अन्य युवतियों के सम्पर्क में था। जांच में पता चला है कि जब उसके घर के फ्रिज में श्रद्धा का शव टुकड़ों में रखा था, तब भी वह बम्बल के माध्यम से सम्पर्क में आई युवतियां उससे मिलने आती थीं। आफताब को डेटिंग एप्लिकेशन का नशा था। नितांत अपरिचित लोगों के साथ हर तरह की सुविधाएं देने का प्रलोभन देने वाली ये डेटिंग साइट्स में कोई अपना मूल परिचय देना नहीं चाहता। ऐसी साइट्स यह भी खुलासा करती हैं कि हम अनजान लोगों के साथ अंतरंग संबंधों को प्रोत्साहन नहीं देते। अनजाने लोगों से सम्पर्क करने के पहले इनसे सावधान रहें, इस तरह की बातें शुरुआत में एग्रीमेंट में कही जाती हे। ये साइट्स अलग से चेट रूम की व्यवस्था भी कर देती है।
डेटिंग, यह हमारी भारतीय संस्कृति का विषय नही है। कामचलाऊ फ्रेंडिशिप, वन-साइट स्टैंड आदि विकृति फैलाने वाली प्रवृत्तियां हैं। लोग मेट्रोमोनियल साइट्स पर भी अपनी फर्जी तस्वीर और जानकारी देकर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। शुरुआत में यह माना जा रहा था कि लोग अपनी जिज्ञासओं को शांत करने के लिए ही इस तरह की साइट्स में जाते हैं। परंतु हकीकत यह है कि अधिकांश लोग ऑनलाइन पार्टनर की तलाश करते हैं। जब दो अनजाने इस साइट में मिलते हैं, तो दोनों ही अपना परिचय नहीं देते। यहां तक कि नाम भी गलत बताते हैं। जबकि यह साइट्स कागजों पर अपना उद्देश्य यह बताती हैं कि यह साइट्स लोगों के स्वस्थ मनोरंजन के लिए है। इसके अलावा यह साइट्स प्रेम संबंध या विवाह के बाद होने वाले तनावों को दूर करने में सहायता करने का दावा भी करती है। किंतु यह सब एक औपचारिकता ही है। आजकल ये साइट्स अपनी कुंठित भावनाओं को व्यक्त करने और पार्टनर तलाशने का साधन बन गए हैं। डेटिंग हर समय सभी के लिए खराब होती है, यह कहना गलत होगा। परंतु डेटिंग ऐप को डिजाइन करने वाले यह अच्छी तरह से जानते हैं कि इस साइट पर आने वाले आखिर चाहते क्या हैं? इसके लिए वे तगड़ा चार्ज भी करते हैं, जिसका भुगतान करने के लिए साइट पर आने वाले खुशी-खुशी करते हैं। डेटिंग ऐप काफी समझदारी से तैयार की जाती हैं। वे लोगों की चाहतों को भी अच्छी तरह से समझती हैं। सर्च के आंकड़े बताते हैं कि इस साइट में आने वाले बुजुर्ग युवतियों की तलाश करते हैं और युवा विधवा महिलाओं या बड़ी उम्र की सिंगल रहने वाली महिलाओं की तलाश करते हैं।
एक मान्यता यह है कि लाइफ पार्टनर को तलाशने के लिए डेटिंग साइट्स बहुत अच्छा माध्यम है। मेट्रोमोनियल साइट के बजाए यहां खुले विचारों के लोग अधिक आते हैं। विधुर लोगों के लिए यह दूसरी बार जीवनसाथी चुनने का अवसर देती हैं ये साइट्स। इसके बाद भी इसका दूसरा पहलू यही है कि यह लोगों की कुत्सित भावनाओं को उभारकर उसे प्रोत्साहन देने का काम भी करती है। अनजाने लोगों के साथ अंतरंग बातचीत करने में इंसान खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करता है। इससे बात करते हुए वह अपनी मानसिक विकृति को भी सामने लाकर संतुष्ट होता है। कई बार इस तरह की साइट से अच्छी मित्रता भी हो जाती है, पर ऐसा कम ही हो पाता है। कुल मिलाकर ये साइट लोगों के भीतर की उठने वाली कुत्सित भावनाओं की तरंगों को शांत करने का काम करती हैं।
नेटफ्लिक्स में एक डाक्यूमेंट्री 'स्वींडलर' है, जिसमें ऑनलाइन डेटिंग का स्याह पहलू दिखाया गया है। इसके खतरनाक पहलू पर भी बात रखी गई है। आफताब जैसे लोग डेटिंग ऐप का लाभ उठाकर अपने भीतर के गंदे विचारों को अंजाम देते हैं। इसके लिए हमें सचेत होना होगा। देश में ऐसी साइट्स पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। लोगों का ध्यान कम से कम इस ओर जाए, इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। इस समय देश में एक ऐसे माहौल की जरूरत है, जिसमें इंसान अकेलपन में इस तरह की साइट से बचे। उस पर बुरे विचार हावी न हों। हर कोई उदार हो, किसी की भी भलाई करने में कोई पीछे न रहे। ऐसा तब संभव है, जब इंसान ही इंसान के भीतर के इंसान की पहचान कर ले।
डॉ. महेश परिमल
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