मंगलवार, 10 जनवरी 2012

सेक्स टूरिज्म का स्वर्ग गोवा





डॉ महेश परिमल


गोवा में इन दिनों मस्ती की बहार है। देशी-विदेशी लोगों का जमघट लगा है। समुद्री किनारे लोगों की मस्ती देखते ही बनती है। रात भर तेज आवाजों के साथ ये सभी नाचते रहते हैं। इस दौरान बहुत कुछ हो जाता है। रात भर सेक्स का खुला खेल चलता रहता है। रेव पार्टी के नाम से यहाँ विदेशियों ने एक तरह से सेक्स रैकेट ही चला रखा है। ड्रग्स का खुलेआम क्रय-विक्रय हो रहा है। अब तक गोवा के समुद्र तट रेव पार्टियों और ड्रग्स के लिए जाने जाते थे, पर अब हत्या, बलात्कार जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। यहाँ आने वाले विदेशी अपनी संस्कृति के नाम पर सभी बुराइयों को फैेला रहे हैं। इन विदेशियों के रहने के लिए समुद्री तटों पर इनके आवास बनाए जा रहे हैं। सैकड़ों पॉश हॉटल खुल गए हैं। ये सभी गोवा की जमीन से मीठा पानी निकालकर बरबाद कर रहे हैं और प्रदूषण फैला रहे हैं। विदेशियों से डॉलर प्राप्त करने के मोह में गोवा सरकार राज्य की संस्कृति का नीलाम कर रही है। यदि सरकार और पुलिस तंत्र इसी तरह उदासीन रहा, तो गोवा एक बार फिर विदेशियों के चंगुल में फँस सकता है।पूरे गोवा के लिए यह कमाई का सीजन है। इसलिए पूरा मुबई इन दिनों बेरोजगार हो गया है। यहाँ काम करने वाली तमाम बार गर्ल इन दिनों गोवा में हैं। जो विदेशियों के बीच रहकर रोज 5 से 10 हजार रुपए कमा रही हैं। समुद्री तट पर आयोजित होने वाली रेव पार्टियों की एंट्री फीस ही करीब 500 डॉलर यानी 20 हजार रुपए है। इतनी मोटी रकम विदेशी ही आसानी से दे सकते हैं। इन रेव पार्टियों में रात भर तेज आवाजों के साथ ड्रग्स का नशा करके लोग नाचते रहते हैं। इसलिए यदि गोवा का सेक्स टूरिज्म का स्वर्ग कहा जाए, तो अतिशयोक्ति न होगी। जब से थाइलैंड और कबोडिया सरकार ने सेक्स का आनंद लेने के लिए आने वाले पर्यटकों पर प्रतिबंध लगाया है, तब से गोवा ऐसे लोगों का स्वर्ग बन गया है। यह भी सच है कि अब गोवावासी इस दिशा में प्रयासरत हैं कि ऐसी रेव पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया जाए, इसलिए सरकार कभी-काी दिखावे के लिए कुछ कर लेती है। पर भ्रष्ट पुलिस तंत्र के संरक्षण में यहाँ अब भी बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जो कानून के खिलाफ है। यहाँ आने वाले विदेशी सैलानियों की नजर मासूम बच्चों पर होती है। जिन्हें ये हॉटल ले जाकर इनका आनंद लेते हैं। इसलिए अब यहाँ की कई हॉटलों में यह लिखा जा रहा है कि यहाँ बच्चों को लेकर आना मना है। यहाँ समुद्र किनारे खड़े किए गए तबुओं में युजिक सिस्टम लगाया जाता है, तेज शोर के बीच करीब दस हजार युवक-युवतियाँ डांस करती हैं। चाइल्ड सेक्स टूरिज्म के मामले में गोवा अब थाईलैंड, कबोडिया और वियेतनाम के साथ स्पर्धा में उतर गया है। गोवा एयरपोर्ट पर विदेशी पर्यटकों के चार्टर्ड विमान उतर रहे हैं। ये विदेशी गोवा में केवल ड्रग्स और सेक्स का आनंद लेने के लिए ही आते हैं। सेक्स टूरिज्म के नाम पर यहाँ की 5 स्टार होटलें करोड़ों की कमाई कर रही हैं। विदेशी पर्यटकों में कई पेडोफिल्स होते हैं, जो केवल मासूमों में ही दिलचस्पी लेते हैं। यहाँ इनकी भी आपूर्ति करने वाले लोग हैं, जो विभिन्न तरीके से पुरुषों की इस भूख को शांत करने का जतन करते हैं। समुद्री तट पर भीख माँगने वाले बच्चे भी इनके शिकार हो जाते हैं। विदेशी इन बच्चों को आसानी से उपहार आदि देकर अपने जाल में फँसा लेते हैं।गोवा में चलने वाले चाइल्ड सेक्स रेकेट का खुलासा बीबीसी के पत्रकार एलन पुरी ने किया है। कुछ समय पहले ही वे गोवा तट पर पहुँचे और सैलानियों की तरह घूमते रहे। इन पर वहाँ के एक दलाल की नजर पड़ी, तो युवतियों की आपूर्ति करने का वादा किया। जब पत्रकार ने कहा कि उसे तो 13 वर्ष की किशोरी चाहिए, तो दलाल ने उसकी भी व्यवस्था होने की जानकारी दी। उनके साथ ये सब मापुसा तट पर हुआ। इन दिनों यहाँ छोटी उम्र की लड़कियों की इतनी अधिक माँग है कि मुबई से रोज ही ऐसी कई किशोरियाँ भेजी जा रहीं हैं। कई बार विदेशी सैलानी बच्चे के साथ होटल के रुम में पकड़े भी गए, पर पुलिस ने मोटी रकम लेकर उन्हें छोड़ दिया। अब इसका दूसरा रूप भी सामने आने लगा है। मसाज पॉर्लर के रूप में। समुद्री तट पर सैकड़ों मसाज पार्लर हैं, जहाँ अर्धनग्न युवतियों पुरुषों का मसाज करती हैं। एक घंटे के मसाज का 2 से 5 हजार रुपए लिए जाते हैं। कालंगुृटा बीच के आसपास ऐसे अनेक मसाज पॉर्लर चल रहे हैं। एक बार गोवा के एक नागरिक ने फोन पर पुलिस को यह सूचना दी कि इन मसाज पॉर्लरों में दो आतंकवादी छिपे हुए हैं। तब पुलिस ने इन पॉर्लरों पर छापा मारा। इस दौरान अनेक युवतियों को पुरुषों के साथ अर्धनग्न अवस्था में बाहर कर तलाशी ली। पर पुलिस ने किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की। देश के अनेक राज्यों से भागे हुए बच्चे भी यहीं मिल जाएँगे। यहाँ आकर वे मूँगफल्ली या चूड़ियाँ बेचते हुए पाए जाते हैं। ये आसानी से विदेशियों का शिकार बन जाते हैं। डॉलर और रुबल के लालच में गोवा सरकार अब विदेशियों के हाथों खेल रही है। इन दिनों समुद्रीतट पर रुसियों को विशेष सुविधाएँ दी जा रही हैं। यहाँ रुसी अपने लिए बंगले बनवा रहे हैं। इसके लिए वे रुस से ही कारीगरों को बुलवा रहे हैं। जो बंगला नहीं बनवा पा रहे हैं, वे किराए से ले रे हैं। वास्तव में इनके माध्यम से ड्रग्स का कारोबार चल रहा है। गोवा के समुद्रीतट पर तबू तानकर अनेक होटलें बन गई हैं, सरकार ने केवल 25 को ही लायसेंस दिया है, पर बिना लायसेंस के कई होटलें चल रहीं हैं। यहाँ आकर विदेशी भारतीय बच्चों को गोद लेने का नाटक करते हैं। उसके बाद उन बच्चों के साथ सेक्स करते हैं। कई तो झूठे दस्तावेज के आधार पर बच्चों को अपने साथ विदेश ले जाते हैं ओर वहाँ पर उनका शारीरिक शोषण करते हैं।पिछले दस वर्षो में गोवा में रशियन सैलानियों की संया में जिस तरह से इजाफा हुआ है, वह विचारणीय है। 1997 में गोवा में 400 रुसी सैलानी आए थे। पिछले वर्ष यह आँकड़ा 31 हजार 293 तक पहुँच गया है। इस वर्ष यह आँकड़ा 40 हजार पार कर जाने की पूरी संभावना है। गोवा एयरपोर्ट में रुसी भाषा में होर्डिग देखकर ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ जितने चार्टर्ड प्लेन आते हैं, उनमें से 75 प्रतिशत रुस से ही आते हैं। कई तो अपने निजी जेट विमान से यहाँ आ रहे हैं। कइयों ने यहाँ की 5 स्टार होटलों में एक-एक साल के लिए रुम बुक करवा रखे हैं। इसके एडवांस की रकम भी चुका दी गई है। आखिर इतने अधिक रुसियों के आने का मतलब क्या है? वजह साफ है कि इनके माध्यम से यहाँ ड्रग्स और अवैध शस्त्र का व्यापार किया जा रहा है। गोवा के कई इलाके तो ऐसे हैं, जहाँ रुसियों की संया इतनी अधिक है कि लोग उस स्थान को मिनी रुस के नाम से जानते हैं। इन सारी गतिविधियों से राज्य सरकार अनभिज्ञ है, ऐसा हो नहीं सकता। यदि लगातार ऐसा चलता रहा, तो इसकी पूरी संभावना है कि गोवा एक बार फिर विदेशियों के हाथों में चला जाए।






डॉ महेश परिमल

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