गुरुवार, 3 अप्रैल 2008
सुमीत की शरारत
भारती परिमल
आज उसका स्कूल का पहला दिन था।मैं उसके वापस लौटने का बेताबी से इंतजार कर रही थी।जैसे ही वह शाम को चार बजे घर लौटा कि मैंने उसे गले लगा लिया और उसका माथा चूमते हुए उसके दिन भर के क्रिया-कलापों के बारे में पूछा, और जानना चाहा कि आज स्कूल में क्या हुआ?
उस शरारती ने कुछ नहीं बताया। हाँ, इतना कहा कि एक लड़के ने उसे मारा। थोड़ी देर कुछ सोचकर फिर वह बोला- अमित, हाँ उसका नाम अमित है और वह बहुत शरारती लड़का है। उसने मुझे मारा और इसलिए टीचर ने उसे सजा भी दी।
मैंने पूछा- उसने तुम्हें क्यों मारा?
किंतु मेरे प्रश्न को जैसे उसने सुना ही नहीं और खेलने चला गया।
दूसरे दिन जब मैंने उससे फिर स्कूल के बारे में पूछा तो उसने बताया- आज फिर अमित ने शरारत की और टीचर के ऊपर चॉक फेंकी। टीचर ने सभी बच्चों से कह दिया कि कोई भी अमित के साथ नहीं खेलेगा, लेकिन सभी बच्चे उसके साथ खेले।
तीसरे दिन फिर उसने मुझसे अमित के बारे में बात की और बताया कि आज उसने लंच टाईम में एक लड़की को झूला झूलते हुए गिरा दिया और इससे उस लड़की को चोट लगी, खून भी निकला। टीचर ने उसे खूब डाँटा और एक चपत भी लगाई।
अब वह रोज मुझे अमित के बारे में कुछ न कुछ बताता ही रहता। मैं सुनना चाहूँ तो भी और न सुनना चाहूँ तो भी। कभी अमित ने किसी का लंच ले लिया, तो कभी टीचर की चेयर पर कचरा डाल दिया।करीब पंद्रह दिन तक लगातार उसके पास से अमित की शरारतों को सुनने के बाद मैं यह सोचने पर विवश हो गई कि इस शरारती लड़के का साथ सुमीत के लिए ठीक नहीं है।हमने गलती की जो उसे इस स्कूल में एडमिशन दिलवाया। अब मुझे जल्दी से जल्दी उसकी टीचर से मिलकर उसके विशय में बात करनी पड़ेगी। वरना अमित जैसे शरारती लड़के के साथ रहकर तो मेरा सुमीत भी बिगड़ जाएगा। किंतु क्या दूसरे स्कूलों में ऐसे शरारती लड़के नहीं होंगे? वहाँ भी तो यही परेशानी आ सकती है। नहीं, नहीं, ऐसा कैसे चलेगा? मुझे उसकी टीचर से मिलना ही होगा।
एक दिन उसने स्कूल से लौटकर अमित के बारे में एक नई बात बताई कि आज अमित ने कोई शरारत नहीं की और क्लास में भी शांत बैठा रहा। दूसरे दिन उसने फिर अमित की तारीफ करते हुए कहा कि आज उसने टीचर की टेबल से गिरे हुए सामान को अच्छी तरह जमा दिया, जिससे टीचर ने खुश होकर उसकी पीठ थपथपाई। इस तरह अब उसकी बातों से लगने लगा कि अमित एक अच्छा लड़का बन रहा है। फिर भी मैंने तय किया कि एक बार स्कूल जाकर उसकी टीचर से मिल ही लिया जाए।
शनिवार को पेरेन्ट्स मिटिंग पर मैं सुमीत के स्कूल गई और उसकी टीचर से भेंट की। टीचर ने सुमीत के बारे में बताते हुए कहा कि आपका लड़का पहले बहुत शरारती था, अब वह पहले से अच्छा बन गया है।वरना पहले तो मैं उसकी शरारतों से ही परेशान रहती थी।
मैंने सुमीत की सफाई देते हुए कहा कि वह तो एक सीधा-सादा लड़का है, किंतु आपकी ही क्लास का अमित बहुत शरारती लड़का है। मुझे डर है कि उसकी संगत में पड़कर सुमीत बिगड़ न जाए। कृपया उसे उस शरारती लड़के से दूर रखें।
अमित! ल्ेकिन मेरी क्लास में इस नाम का कोई लड़का तो है ही नहीं!
और अब चौंकने की बारी मेरी थी!!!
भारती परिमल
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बच्चों का कोना
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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कई अनुत्तरित प्रश्नों के बीच छुपा हुआ उत्तर अच्छा लगा.. औपचारिकता वश नहीं कह रहा हूं.. सच में अच्छा लगा.. :)
जवाब देंहटाएंआप की बात से सहमत हे, ओर ज्यादा तर लोग अपने ही बच्चे को इस रुप मे बिष देते हे,ओर बच्चा अपने मां बाप की इसी कमजोरी का लाभ ऊठाता हे,बच्चा घर मे ओर बाहिर अलग अलग होता हे यह हम ने अपने बच्चो से जाना,प्यार ओर डांट भी उतनी जितना खाने मे नमक ना जयादा, ना कम
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