शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

भाभी के हाथ की रोटियाँ - के. जयराम

यह कहानी नहीं, हकीकत है। आज से करीब सौ वर्ष पहले की हकीकत। जब भाई-भाई के बीच प्रेम और समर्पण् की एक अनोखी दुनिया होती थी। संबंधों का संसार सजता था और हर संबंध अपने आप में एक अनोखी सुगंध बिखेरता था। आइए, हम चलते हैं समर्पण के इसी संसार में...

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