गुरुवार, 7 जनवरी 2016
लवशाला - डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा
डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा देश के ख्याति प्राप्त भाषाविद रह चुके हैं। उनके निर्देशन में पॉंच डी.लिट एवं करीब साठ पी-एच.डी हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया। उनका मानना है कि 'लवशाला' को आप प्रतिदिन 'हनुमान चालिसा'की तरह सुनें, जिससे पति-पत्नी के बीच सामंजस्य बना रहे।
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लवशाला के लेखक ने रचा ऐसा अद्भुत साहित्य याद करेगा यह जग उनको जब तक है अस्तित्व I
जवाब देंहटाएंलवशाला....अद्भुत और सामायिक आज की पीढ़ी के लिए प्रेरक और पुरानी पीढ़ी के लिए यादों के खूबसूरत दरीचे .....मैं तो लवशाला का आजीवन छात्र बना रहूंगा....
जवाब देंहटाएंलवशाला....अद्भुत और सामायिक आज की पीढ़ी के लिए प्रेरक और पुरानी पीढ़ी के लिए यादों के खूबसूरत दरीचे .....मैं तो लवशाला का आजीवन छात्र बना रहूंगा....
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