गुरुवार, 7 जनवरी 2016
लवशाला - डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा
डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा देश के ख्याति प्राप्त भाषाविद रह चुके हैं। उनके निर्देशन में पॉंच डी.लिट एवं करीब साठ पी-एच.डी हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया। उनका मानना है कि 'लवशाला' को आप प्रतिदिन 'हनुमान चालिसा'की तरह सुनें, जिससे पति-पत्नी के बीच सामंजस्य बना रहे। 
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क: 
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022. 
ईमेल - 
parimalmahesh@gmail.com
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लवशाला के लेखक ने रचा ऐसा अद्भुत साहित्य याद करेगा यह जग उनको जब तक है अस्तित्व I
जवाब देंहटाएंलवशाला....अद्भुत और सामायिक आज की पीढ़ी के लिए प्रेरक और पुरानी पीढ़ी के लिए यादों के खूबसूरत दरीचे .....मैं तो लवशाला का आजीवन छात्र बना रहूंगा....
जवाब देंहटाएंलवशाला....अद्भुत और सामायिक आज की पीढ़ी के लिए प्रेरक और पुरानी पीढ़ी के लिए यादों के खूबसूरत दरीचे .....मैं तो लवशाला का आजीवन छात्र बना रहूंगा....
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