शनिवार, 13 फ़रवरी 2010
परिपक्व प्रेम का प्रतीक हैं सानिया-सोहराब
भारती परिमल
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है, जो अभिव्यक्ति पाने के बाद अपना रूप बदल देता है। प्रेम में रचे-बसे और पगे लोग यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि प्रेम उनका संबल है। प्रेम के बिना वे किसी अच्छी चीज की कल्पना ही नहीं कर सकते। प्रेम वह साहस देता है, जिसमें डूबकर इंसान बड़े से बड़ा काम कर सकता है। कहते हैं कि प्रेम को अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं, पर सच यही है कि अभिव्यक्त प्यार अपने आप में गहरा अपनापा लिए हुए होता है। हाँ प्यार को देखने और परखने का लोगों का दृष्टिकोण सदैव बदलता रहता है। कुछ लोग पूरा जीवन प्यार करते हुए खामोशी से बिता देते हैं, कुछ लोग इतना हल्ला करते हैं कि पूरे विश्व को पता चल जाता है। इसमें खामोश प्यार इतना संवदेनशील होता है कि वह अभिव्यक्ति का प्यासा नहीं होता। यही है सच्चे प्यार की गहराई।
इस सच्चे प्यार की गहराई की मिसाल हमें पिछले दिनों देखने को मिली, जब सानिया और सोहराब की सगाई टूट गई। दोनों के परिवार परस्पर २५ वर्षो से परिचित थे। इस परिचय को रिश्ते में बदलने की एक कोशिश हुई थी। सानिया ने भी इसे समझा और दोनों ने मिलकर परिवार को साथ लेकर सगाई कर ली। इस सगाई में दोनों की सहमति तो थी ही, साथ ही परिवार वाले भी खुश थे। कुछ महीनों बाद ही यह सगाई टूट गई। इस संबंध में सानिया का कहना था कि हम काफी वर्षो से अच्छे मित्र थे। सगाई के बाद हमें लगा कि हमारे बीच वह प्यार नहीं आ पाया है, जो वास्तव में होना चाहिए। फिर हम दोनों ने ही मिलकर सगाई तोड़ दी। इसके बाद भी मैं यही कहूँगी कि सोहराब हमेशा आगे बढ़ते रहें, मैं उनके सुखद भविष्य की कामना करती हूँ। उधर जब सोहराब को मीडिया ने घेर लिया, तब भी इस तरह से नाराज होते हुए यही कहा कि सोनिया आज भी मेरी अच्छी मित्र है। सगाई टूटने के बाद हमारी मित्रता नहीं टूटेगी। प्लीज आप लोग उस पर कीचड़ न उछालें। यह है सच्च प्यार। उनके लिए भी दुआ, जो उनके नहीं हैं। या फिर जो अपने होते-होते रह गए। बदले में कुछ पाने की चाहत में किया गया प्यार वास्तव में प्यार नहीं है। हाँ उसे वासना अवश्य कहा जा सकता है।
आज की युवापीढ़ी शार्प, फोक्स्ड और क्लियर है। इन पर कोई किसी प्रकार की जबर्दस्ती नहीं कर सकता। पूरी जिंदगी प्यार का नाटक कर उसे ढोते हुए जीना आज की पीढ़ी को जरा भी पसंद नहीं है। यदि प्यार नहीं है, तो उसे प्यार से ही बाय-बाय कर दिया जाए। इस यह पीढ़ी बहुत अच्छे से समझती है। इस मामले में उन्हें समाज का भी डर नही है।जिसे जो कहना है, कहता रहे। अब जमाना देवदास का नहीं रहा। आजादी और प्राइवेसी, ये दो शब्द आज यंगस्टर्स को खूब भाते हैं। यही सच भी है। एक ही बिस्तर पर दो अजनबी जीवन बिताते हुए एक-दूसरे को कोसते रहें, इससे तो अच्छा है कि आजाद होकर अपनी तरह से जीवन बिताएँ। कम से कम परिवार तो तनाव से बच जाएगा।
सानिया एक सेलिब्रिटी हैं, सोहराब को 6 महीने पहले तक कोई नहीं जानता था। गत जुलाई में ही जब दोनों की सगाई हुई, तो लोग उसे पहचानने लगे। सोहराब ब्रिटेन में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रहे हैं। सगाई टूटने के बाद सोहराब के पिता इमरान मिर्जा ने कहा कि दोनों ही मेरे पास आए थे, दोनों ने ही खुशी-खुशी अलग होने के लिए राजी हो गए। उनके इस निर्णय से हमारे परिवार में किसी प्रकार की कटुता नहीं आई है।
इस पूरी घटना में पालकों के लिए सीखने का यह माद्दा है कि आप अपनी संतानों को यह तय करने दो कि वे क्या चाहते हैं? अपना निर्णय उन पर थोपो नहीं। जो भार वे स्वेच्छा से स्वीकार लें, उस भार को वहन करने दो। सानिया-सोहराब जैसे यंगस्टर्स की परिपक्वता की यह पहली मिसाल नहीं है। इसके पहले भी शाहिद कपूर और करीना के मामले में भी ऐसा ही हुआ। दोनों एक-दूसरे के प्यार में पूरी तरह से डूबे थे। कुछ समय बाद उन्हें लगा कि हमारा प्यार अधिक दिनों तक नहीं टिक सकता। इसलिए हँसते-हँसते दोनों ने अपनी राहें अलग बना लीं। आमिर खान ने भी रीना से तलाक लेकर किरण राव से शादी की। आमिर आज भी रीना को ‘लकी मेस्कोट’ मानते हैं। आज भी आमिर की हर नई फिल्म के प्रीमियर में रीना की उपस्थिति होती ही है। दोनों अब पति-पत्नी नहीं हैं, फिर भी उनकी दोस्ती जीवित है। कहाँ तो लोग परस्पर अपशब्दों का प्रयोग करते हुए देख लेने और बता देने से नहीं चूकते, वेसी परिस्थितियों में राजी-खुशी से अलग हो जाएँ, वही दोनों के लिए बेहतर होता है।
सानिया-सोहराब आज के यंगस्टर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों हमारे लिए जाने-पहचाने हैं, इसलिए उनकी यह बात सामने आई। इसके अलावा परिपक्व प्यार की कई मिसाल हमारे आसपास ही होंगी, जिसे हम जानकर भी अनजान हैं। इसका आशय यह कतई नहीं है कि नई पीढ़ी प्यार को गंभीरता से नहीं लेती। यह तो परिपक्वता की निशानी है। जब दिल में एक-दूसरे के लिए प्यार है, तो साथ रहें, बिना प्यार के साथ रहना दिखावा है, विवशता है। फिर क्या मतलब ऐसे प्यार का?
प्रेम संबंध पूरी जिंदगी चले, इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता। कई संबंध कम समय के लिए होते हैं, पर पूरी जिंदगी नहीं भूले जाते। जो हमें अच्छे लगते हैं, वे अच्छे या बुरे कारणों से हमसे अलग हो जाते हैं। कोई नाराज होकर चला जाता है, तो कोई हालात का मारा होता है। एक छोटा सा उदाहरण ही काफी है। यदि आम पर कोई दाग है, तो हम पूरा आम ही फेंक नहीं देते, उस दाग वाले भाग को अलग कर देते हैं और आम की मिठास का रसास्वादन करते हैं। जिस तरह से हमने आम की मिठास को जानने की कोशिश की, ठीक उसी तरह जीवन की सुवास को भी जानने-समझने की कोशिश करनी चाहिए।
आज हालात काफी बदल रहे हैं। प्यार की उम्र कम होने लगी है। वैसे भी प्यार की उम्र नहीं, बल्कि गहराई देखी जाती है। प्यार तो ऐसा होना चाहिए, जिस पर सबको गर्व हो। सच्चे प्यार को अभिव्यक्ति देता यह किस्सा पर्याप्त होगा:- हमेशा के लिए विदेश जाती अपनी गर्लफ्रेंड को विदा करने के लिए युवक ने गुडबाय प्रार्थना सभा रखी। प्रार्थना के बाद दोनों को एकांत मिला। गर्लफेंड्र ने कहा-मुझे तो डर है कि तुम्हारे मोबाइल पर मेरे तमाम संदेशों, तस्वीरों का तुम कहीं गलत इस्तेमाल न करो। तब युवक ने अपना मोबाइल देते हुए कहा, लो अब उसे तुम ही डिलीट कर दो। हम किस तरह से मिल रहे थे, इससे आवश्यक है कि हम किस तरह से जुदा हो रहे हैं। हमारे जुदा होने पर हमारे प्यार, हमारी भावनाओं और हमारे संबंधों का सम्मान होता रहेगा। तो इसे ही कहा जाएगा सच्च प्यार। आवश्यक नहीं है कि सभी का प्यार, दोस्ती और संबंध लंबे समय तक कायम रहे। जब भी किसी को कम समय के लिए भी चाहो, पर दिल से चाहो। फिर चाहे वह आपके करीब हो या दूर। यही है सच्चे प्यार की परिभाष। आज मैं तुमसे अलग हो रहा हूँ, तुम्हारे दिल से नहीं। यदि मेरा प्यार सच्चा है, तो वह कभी भी तुम्हारे जीवन में बाधक नहीं बनेगा। यह है सच्चे प्यार की सच्ची मिसाल!
भारती परिमल
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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Vah guruji kamal ka likthe hai aap,hamesa likhte rahiye sankshitpt satik aur bebak,kyonki tabhi har koi sikhega.aaiye hamare blog par aur taje behas me bhag len.
जवाब देंहटाएंमैं आपसे एकदम सहमत हूं.
जवाब देंहटाएंGood post.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ।
जवाब देंहटाएंअगर आप हिंदी साहित्य की दुर्लभ पुस्तकें जैसे उपन्यास, कहानियां, नाटक मुफ्त डाउनलोड करना चाहते है तो कृपया किताबघर से डाउनलोड करें । इसका पता है:
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