सोमवार, 15 फ़रवरी 2010
नादिरा, जिनकी ऑंखें बोलती थीं
हिन्दी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्नी नादिरा अपने समय से कहीं आगे थीं। लाजवाब खूबसूरती और शाहाना अंदाज की शख्सियत रखने के बावजूद उन्होंने उस दौर में खलनायिका बनना पसंद किया, जब नायिकाएं इस तरह की भूमिकाएं करने से घबराती थीं।
फरहत एजेकेल नादिरा का जन्म ५ दिसम्बर १९३२ को इजराइल में एक यहूदी परिवार में हुआ । उन्होंने अपने पांच दशक लंबे कैरियर में ६क् से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें उन्होंने नायिका, खलनायिका की भूमिका करने के साथ चरित्न भूमिकाएं भी निभाईं। उनके अभिनय कैरियर की शुरुआत महबूब खान की १९५२ में निíमत फिल्म आन से हुई, जिसमें उन्होंने एक बिगडैल राजकुमारी की भूमिका निभाई और उस समय की सहमी हुई नायिकाओं के विपरीत एक बोल्ड ²श्य भी दिया। इस फिल्म में दिलीप कुमार उनके नायक थे। इसके बाद उन्होंने श्री ४२क्, १९५६, दिल अपना और ह्न्रीत पराई १९६क्, पाकीजा १९७१, अमर अकबर एंथनी १९७७, आदि फिल्मों में काम किया, जिनमें उन्होंने अधिकतर ऐसी महिला की भूमिका निभाई, जो नायक को अपनी अदाओं से जाल में फंसाने की कोशिश करती है। उनकी अन्य प्रमुख फिल्में हैं, वारिस, १९५४, डाक बाबू, १९५४, रफ्तार, १९५५, जलन, १९५५, सिपहसालार, १९५६, समुद्री डाकू, १९५६, पाकेटमार, १९५६, गेलियबट कोरीना, १९५६, पुलिस, १९५८, मेरी सूरत तेरी आंखें, १९६३, सपनों का सौदागर, १९६६, तलाश, १९६९, जहां प्यार मिले, १९६९, इंसाफ का मंदिर, १९६९, द गुर, १९६९, सफर, १९७क्, बांबे टाकी, १९७क्, कहीं आर कहीं पार, १९७१, राजा जानी, १९७२, एक नजर, १९७२, हंसते जख्म, १९७३, प्यार का रिश्ता, १९७३, एक नारी दो रूप, १९७३, वो मैं नहीं, १९७४, इश्क इश्क इश्क, १९७४, मेरे सरताज, १९७४, कहते हैं मुझको राजा, १९७५, जूली, १९७५, धर्मात्मा, १९७५, पापी, १९७७, भंवर, १९७७, डाìलग डाìलग, १९७७, आशिक हूं बहारों का, १९७७, आप की खातिर, १९७७, नौकरी, १९७८, मगरूर, १९७९, बिन फेरे हम तेरे, १९७९, दुनिया मेरी जेब में, १९७९, स्वयंवर, १९८0् चालबाज, १९८0्, आसपास, १९८१, दहशत, १९८१, अशांति, १९८२, रास्ते प्यार के, १९८२, सागर, १९८५, मौला बक्श, १९८६, झूठी शान, १९९१, लैला, १९९१, महबूबा, १९९२, गाडफादर, १९९२, तमन्ना, १९९७, आदि। नादिरा ने इस्माइल मर्चेट की एक इंग्लिश फिल्म , काटन मैरी १९९९ में भी काम किया। शाहरुख खान और ऐश्वर्या राय अभिनीत फिल्म , जोश, २0्0्0् उनकी अंतिम फिल्म थी। फिल्म जूली के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहनायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इस फिल्म में उन्होंने नायिका जूली की मां मार्गरेट का किरदार निभाया। नादिरा ने दो बार विवाह किया लेकिन दोनों ही बार वह वैवाहिक सुख से वंचित रहीं। पहले उनका विवाह उर्दू शायर, गीतकार और फिल्म निर्माता नक्शब से हुआ, जिसकी दु:खद परिणति हुई। दूसरी बार उन्होंने एक विवाहित व्यक्ति से शादी की, जो एक सप्ताह ही चल पाई। ज्यादातर रिश्तेदारों के इजरायल चले के जाने के कारण नादिरा अपने जीवन के अंतिम अकेली रह गईं । जीवन के अंतिम तीन वर्षो में तो उन्होंने खुद को घर में कैद सा कर लिया और जमकर शराब पीने लगीं, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियों ने घेर लिया। उन्हें मुम्बई के ताड़देव में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ९ फरवरी २00६ को ७४ वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।
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फिल्म संसार
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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बहुत अच्छा ।
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