गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

फिल्‍मी नायकों की बनती बिगड़ती जोडि़यॉं


हिन्दी सिनेमा जगत में फिल्मों को हिट कराने में नायकों की जोडियां बनाने का फार्मूला बेहद कामयाब रहा है लेकिन कई बार कलाकारों के बीच अहम के टकराव और अन्य कारणों से उनकी जोडियां बन नहीं पाती और दर्शक अपनी मनपसंद जोडियों को फिल्म में देखने से वंचित रह जाते हैं। बालीवुड का इतिहास देखे तो नायकों की जोडियों को परदे पर उतारने की शुरआत पचास के दशक में हुई, जब निर्माता निर्देशक महबूब खान ने अपनी फिल्म अंदाज दिलीप कुमार और राजकपूर को पहली बार एक साथ पेश किया था। प्रेम त्रिकोण पर आधारित इस फिल्म में नरगिस ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। बेहतरीन गीत,संगीत से सजी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। बाद में कई फिल्म निर्माताओं ने दिलीप कुमार और राजकपूर को अपनी फिल्म के जरिए पेश करना चाहा लेकिन उनका यह प्रयास असफल रहा। इसी तरह पचास के दशक में दिलीप कुमार और देवानंद को निर्माता, निर्देशकों ने अपनी फिल्मों में जोड़ी बनाकर पेश करना चाहा लेकिन यहां भी उन्हें कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई। हांलाकि ये दोनों कलाकार निर्माता निर्देशक एस,एस,वासन की 1955 में प्रदशत फिल्म इंसानियत में नजर आए थे लेकिन इसके बाद उन्होंने कभी एक साथ काम नही किया। इसी तरह राजकपूर और देवानंद को एक साथ रूपहले पर्दे पर लाने का प्रयास कई फिल्म निर्माताओ ने किया लेकिन उन्हें सफलता नही मिली। लोकप्रियता के लिहाज से लगभग बराबरी पर रहने वाले इन कलाकारों के बीच अहम का टकराव उन्हें परदे पर एक साथ लाने में बाधक बना रहा। फिल्म निर्माताओं ने अभिनय सम्राट दिलीप कुमार और संवाद अदायगी के बेताज बादशाह राजकुमार की जोड़ी बनाने का भी प्रयास किया। आरंभिक दौर में फिल्म पैगाम के जरिए दोनों कलाकार एक साथ नजर आए लेकिन बाद में उनके बीच कुछ मनमुटाव हो गया। बाद में नब्बे के दशक में निर्माता निर्देशक सुभाष घई के बहुत जोर देने पर दिलीप कुमार और राजकुमार एक साथ काम करने के लिए राजी हुए। नतीजा यह हुआ कि दोनों की जोड़ी वाली फिल्म सौदागर बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। पचास के दशक में ही राजकपूर, राज कुमार, देवानंद, राजकुमार राजेन्द्र कुमार राजकुमार राजेन्द्र कुमार देवानंद की जोड़ी बनाने के लिए प्रयास किए गए लेकिन अधिकतर मौके पर निर्माता-निर्देशकों को नाकामी ही हासिल हुई। देवानंद और राजकुमार और राजकपूर राजकुमार ने कभी एक साथ काम नहीं किया। साठ के दशक में फिल्म दिलीप कुमार और संजीव कुमार 1968 में प्रदशत फिल्म संघर्ष में एक साथ दिखाई दिए। हालांकि पूरी फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार छाए हुए थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका में दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे । फिल्म में एक दो मौके पर तो संजीव कुमार अपने अभिनय से दिलीप कुमार पर हावी नजर आते हैं। सत्तर के दशक में भी दिलीप कुमार और संजीव कुमार की जोड़ी को रूपहले पर्दे पर एक साथ उतारने का प्रयास किया गया लेकिन यह प्रयास नाकाम रहा । बाद में सुभाष घई ने अपनी फिल्म विधाता के जरिए दोनों को एक साथ पेश किया। इस फिल्म में उनका टकराव देखने लायक था। जाहिर है कि फिल्म ने सफलता के नए कीतमान स्थापित किए । इसके बाद दिलीप कुमार और संजीव कुमार की जोड़ी फिल्मी पर्दे पर नहीं दिखाई दी। दिलीप कुमार और राजेन्द्र कुमार ने केवल एक फिल्म जोगन में एक साथ काम किया था। साठ के दशक में राजकपूर और जुबली कुमार राजेन्द्र कुमार को भी रूपहले पर्दे पर पेश करने का प्रयास किया गया लेकिन यह प्रयास भी नाकाम रहा। बाद में राजकपूर ने अपनी ही निमत फिल्म संगम के जरिए राजेन्द्र कुमार के साथ जोड़ी बनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया। इसके बाद राज कपूर और राजेन्द्र कुमार राज कपूर निमत फिल्म, मेरा नाम जोकर, में एक साथ नजर आए लेकिन वास्तविक तौर पर यह राज कपूर की केन्द्रीय भूमिका वाली फिल्म थी न कि उनकी जोड़ी वाली फिल्म।
इसके बाद काफी अरसे तक सिने दर्शक दोनों की जोड़ी वाली फिल्म देखने से वंचित रहे। बाद में दोनों कलाकार एक साथ फिल्म दो जासूस में नजर आए। इस दशक में फिल्मकारो ने मनोज कुमार, दिलीप कुमार, राजकुमार, राजेन्द्र कुमार जैसे सितारों की जोडी बनानी चाही लेकिन कुछ मौको को छोड़कर ये जोडियां कायम नहीं रह सकी। दिलीप कुमार को अपना आदर्श मानकर फिल्म इंडस्ट्री का रूख करने वाले मनोज कुमार ने जब कभी उनके साथ काम किया, फिल्म सुपरहिट रही। सबसे पहले यह जोड़ी फिल्म आदमी में एक साथ दिखाई दी बाद में मनोज कुमार ने अपनी निमत फिल्म क्रांति में दिलीप कुमार के साथ काम किया लेकिन इसके बाद दोनो कलाकारो ने कभी एक साथ काम नहीं किया। मनोज कुमार और राजकुमार ने फिल्म नील कमल की कामयाबी के बाद कभी सुपरहिट जोड़ी के रूप में काम नही किया। हालांकि फिल्म पंचायत में दोनों कलाकारो ने साथ काम किया लेकिन फिल्म कब आई और कब गई, पता ही नही चला। इसी तरह मनोज कुमार और राजेन्द्र कुमार को रूपहले पर्दे पर जोड़ी के रूप में एक साथ देखने की दर्शकों की हसरत अधूरी ही रही हांलाकि एक फिल्म क्लर्क में दोनो एक साथ नजर आए लेकिन फिल्म में मनोज कुमार केन्द्रीय भूमिका में थे जबकि राजेन्द्र कुमार के हिस्से महज चरित्र भूमिका आई। सत्तर के दशक में ही देवानंद, राजेन्द्र कुमार राजकुमार, संजीव कुमार और देवानंद, संजीव कुमार की जोड़ी बनाने के लिए निर्माता-निर्देशकों द्वारा प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं बनी और दर्शक इन कलाकारो की जोड़ी वाली फिल्म देखने से सदा के लिए वंचित रह गए। सत्तर और अस्सी का दशक अमिताभबगान, राजेश खन्ना जितेन्द्र धर्मेन्द्र, फीरोज खान और विनोद खन्ना जैसे सितारो का था। अमिताभ बगान और जितेन्द्र ने केवल एक फिल्म ,गहरी चाल, में एक साथ काम किया। अमिताभ बगान और राजेश खन्ना की जोड़ी केवल दो फिल्मों आनंद और नमक हराम में एक साथ नजर आई। दर्शको ने भी इस जोड़ी को सर आंखों पर लिया लेकिन इसके बाद दोनों कलाकार ने कभी एक साथ काम नहीं किया। इन सबके साथ ही संवाद अदायगी में माहिर अमिताभ और राजकुमार को पर्दे पर एक साथ देखने की दर्शकों की तमन्ना अधूरी ही रह गई।
सिने दर्शक अमिताभ बगान राजकपूर और अमिताभ देवानंद राजेश खन्ना दिलीप कुमार और राजेश खन्ना देवानंद की जोड़ी वाली फिल्मों का लुत्फ नहीं उठा पाए। राजकपूर और राजेश खन्ना ने केवल एक फिल्म नौकरी मे एक साथ काम किया। दर्शक दिलीप कुमार और अमिताभ बगान को एक साथ देखना चाहते थे। दोनों कलाकार फिल्म शक्ति में एक साथ नजर आए। पिता और पुत्र के बीच अंतर्द्वद्व को दिखाने वाली इस फिल्म को सिने दर्शको ने सर आंखों पर लिया। लेकिन इसके बाद दोनों कलाकार एक साथ कभी काम नहीं कर सके। अस्सी और नब्बे का दशक में सन्नी देओल, संजयदत्त, जैकी श्राफ और अनिल कपूर जैसे सितारे आए। इस दशक में मैचो मैन संजय दत्त और रफ टफ अनिल कपूर को एक साथ देखने की दर्शकों की तमन्ना अधूरी ही रही। हालांकि निर्माता,निर्देशकों के काफी प्रयास के बाद अरसे बाद फिल्म मुसाफिर में दोनों कलाकार एक साथ नजर आए। नब्बे और 2000 का दशक आमिर खान सलमान खान शाहरूख खान और अक्षय कुमार जैसे सितारों का रहा। आमिर खान ने शाहरूख खान के साथ कभी काम नहीं किया। जबकि सलमान खान और आमिर खान केवल एक फिल्म अंदाज अपना अपना में एक साथ नजर आए। अक्षय कुमार ने जोड़ी बनाकर न तो आमिर खान, सलमान खान और न ही शाहरुख खान के साथ कभी काम किया।

2 टिप्‍पणियां:

  1. चुकेन झगड़ेनि वंदे कुंडल उपजय दिए ठोसम ट् इकॉन उमड़ना

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