शनिवार, 23 अप्रैल 2011
आज विश्व पुस्तक एवं कॉपरीराइट दिवस
विश्व पुस्तक एवं कॉपरीराइट दिवस : कब, क्यों और कैसे
प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय पुस्तक दिवस या केवल पुस्तक दिवस भी कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक संगठन, यूनेस्को द्वारा पठन एवं प्रकाशन के प्रोन्नयन एवं बौद्धिक संपदा को कॉपीराइट (प्रतिलिप्यधिकार) के द्वारा संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। यह दिवस यूनेस्को के निर्णय के आलोक में पहली बार 1995 में मनाया गया।
आखिर 23 अप्रैल को ही पुस्तक दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे कुछ साहित्यिक कारण हैं। 23 अप्रैल का पुस्तक के साथ पहला संपर्क स्पेन में 1923 में देखने को मिला, जब वहां के पुस्तक विक्रेताओं ने प्रख्यात स्पेनिश लेखक मिगुएल डी सरवॉअेज, डॉन क्विक्जोट उपन्यास के रचनाकार को सम्मान देने के लिए इस दिवस को चुना। सरवॉटेज का इसी दिन 1616 को निधन हो गया था। वैसे, यह सेंट जॉर्ज दिवस (यह भी 23 अप्रैल को) समारोह का भी एक अवसर है। मध्यकालीन समय में कैटालोनिया में यह परंपरा थी कि 23 अप्रैल को पुरुष अपनी प्रेमिकाओं को गुलाब उपहार में देते थे और बदले में प्रेमिकाएं उन्हें पुस्तकें देती थीं।
23 अप्रैल विश्व साहित्य की दुनिया में कई अन्य ख्यात-प्रख्यात लेखकों के जन्म व निधन की तिथि के रूप में भी चर्चित है। यह प्रख्यात लेखक विलियम शेक्सपियर के जन्म व मृत्यु की भी तिथि है, साथ ही इन्का गार्सिलासो डी ला वेगा एवं जोसेप प्ला का निधन भी इसी दिन हुआ। मॉरीस द्रुओं, व्लादिमीर नाबोकोव, मैनुएल मेजिआ वलेजो एवं हॉलदॉर लैक्सनेस जैसे कई अन्य लेखकों का जन्म दिवस भी यह तिथि।
वैसे, 23 अप्रैल को शेक्सपियर एवं सरवांटेज के निधन की तिथि को लेकर कुछ मतभेद भी हैं। सरवांटेज की अप्रैल को मृत्यु ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार मानी जाती है, जबकि उस समय इंग्लैंड मंे जुलियन कैलेंडर का प्रचलन था। शेक्सपियर का निधन 23 अप्रैल को जुलियन कैलेंडर के अनुसार हुआ माना जाता है। इस तरह, शेक्सपियर की मृत्यु सरवांटेज की मृत्यु से 10 दिन बाद हुई। इन गफलतों के बावजूद यूनस्को ने कई कारणों से 23 अप्रैल को ही विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मान्य किया। यूृनेस्को की आम सभा द्वारा पुस्तक एवं लेखकों को इस दिवस पर याद करने तथा आम लोगों, विशेषकर युवाओं में पुस्तक पठन को आनंद के रूप मंे लेने को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य भी इस दिवस को पुस्तक दिवस के रूप मंे मनाने का कारण बना। इस दिवस के आयोजन का विचार, जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है, कैटालोनिया में उभरा, जहां 23 अप्रैल, सेंट जॉर्ज दिवस, पर परंपरानुसार गुलाब का एक फूल उपहार के रूप में दिया जाता था, एक पुस्तक के विक्रय होने पर। आज विश्व पुस्तक दिवस पूरी दुनिया में लेखक, प्रकाशक, पुस्तक विक्रेता एवं पुस्तक प्रेमियों के बीच एक पुस्तक पर्व के रूप मंे समादूत हो चला है। विश्व पुस्तक दिवस पुस्तक गठन एवं पुस्तक प्रोन्नयन के लिए भी अब जाना-पहचाना दिवस बन गया है। 100 से अधिक देशों में यह दिवस मनाया जाता है और इस अवसर पर पुस्तक से संबंधित अनेकानेक गतिविधियां होती हैं। विश्व पुस्तक दिवस प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं और उन इच्छित पक्षों के बीच एक परस्पर भागीदारी और संपर्क सेतु भी है, जिन सबका मूल लक्ष्य पुस्तकोन्नयन एवं पुस्तक गठन रुचि में विस्तार के साथ ही पूरे विश्व में पुस्तक संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार करना भी है।
युनाइटेड किंग्डम (यू.के.) और आयरलंैड में विश्व पुस्तक दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों को किताबों एवं पठन के आनंद की खोज एवं उनके पास अपना एक पुस्तक हो यह अवसर उपलब्ध कराके उन्हें प्रोत्साहित करना है। यू.के. में विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत 1998 में हुई। तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इसका उद्घाटन किया था। यू.के. (ग्रेट ब्रिटेन) में इस अवसर पर लाखों स्कूली बच्चों को एक पौंड विशेष विश्व पुस्तक दिवस टोकन के रूप में दिए जाते हैं जिसे यू.के. के किसी भी पुस्तक विक्रेता को देकर उस मूल्य की पुस्तक ली जा सकती है। यह टोकन राशि प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जाती है। आयरलैंड में भी कुछ इसी तरह का प्रावधान है। इस वर्ष यू.के. एवं आयरलैंड में विश्व पुस्तक दिवस 3 मार्च को ही मना लिया गया। यहां पुस्तक दिवस पर
अभिभावक अपने बच्चों के लिए विशेष रूप से निर्मित पुस्तक दिवस परिधान खरीदते हैं या बनवाते हैं। यह परिधान किसी ऐतिहासिक चरित्र का हो सकता है या आधुनिक समय के किसी चर्चित साहित्यिक चरित्र, जैसे हैरी पॉटर आदि का। सच पूछा जाए तो यू.के. एवं आयरलैंड में पुस्तक दिवस का कुछ विशेष ही महत्व और आकर्षण होता है जो यहां इसे एक त्यौहार का रूप दे देता है।
यूनेस्को प्रतिवर्ष विश्व के किसी एक देश के एक शहर को यूनेस्को विश्व पुस्तक राजधानी का दर्जा प्रदान करता है। वह शहर उस विशेष वर्ग, जो 23 अप्रैल से अगले साल 22 अप्रैल तक होता है, में पुस्तक एवं पुस्तक से जुड़ी अनेकानेक गतिविधियां आयोजित करता है। इससे उस शहर विशेष के बहाने पूरे देश में पुस्तक संस्कृति का विकास होता है। वर्तमान विश्व पुस्तक राजधानी स्लोवानिया का शहर लुबजाना है। अगला विश्व पुस्तक राजधानी ब्यूनस आयर्स (अर्जेटीना) होगा। दिल्ली शहर को 2003 में विश्व पुस्तक राजधानी बनने का गौरव मिला था।
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अभिमत
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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पुस्तकों की स्वस्थ परम्परा।
जवाब देंहटाएंकॉपीराइट पर भी थोड़ी सामग्री अपेक्षित थी.
जवाब देंहटाएंgood articel sir. jaankariyon se ekdam full hai.....
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