डॉ. महेश परिमल
अक्सर मीडिया में हम विश्व के टॉप धनिक लोगों की सूची सुनते-देखते रहते हैं। जब भी इसमें किसी भारतीय का नाम आता है, तो हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। कई ऐसे भी होते हैं, जिन्होंने अपने बल पर उक्त सूची में स्थान प्राप्त किया है। ऐसे लोग समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं। ऐसे लोग समाज के सामने एक आदर्श स्थापित करते हैं। कई बार हमें वे विदेशी भी आकर्षित करते हैं, जिन्होंने अपनी पूरी दौलत कड़ी मेहनत से प्राप्त की होती है। इनकी सफलता की कहानी हमें मुंहजबानी याद रहती है। पर हम इनसे कभी प्रेरणा नहीं लेते। सभी यही कहते हैं कि धीरु भाई अंबानी कभी पेट्रोल पंप में काम करते थे, पर उन्होंने किस तरह से अनथक संघर्ष कर अपना अलग व्यापार शुरू किया और सफलता के कीर्तिमान रचे, इसे जानने की आवश्यकता हम नहीं समझते। यदि हम उनके संघर्षो को याद करें, तो हमें हमारे संघर्ष निश्चित रूप से छोटे लगेंगे।
यह तो हुई बड़े लोगों की बड़ी बातें। पर कभी आपने सोचा कि हमारे ही आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें हम टॉप 50 की सूची में शामिल कर सकते हैं। हमारे ही बीच कई लोग ऐसे होंगे, जिन्हें हम विभिन्न श्रेणियों में रख सकते हैं। कोई बहुत अधिक पढ़ा-लिखा होगा, कोई लेखक होगा, कोई पत्रकार होगा, कोई बहुत ही ज्यादा संवेदनशील होगा, कोई खडूस होगा, कोई धनवान होगा, तो कोई कंजूस होगा, कोई बहुत पकाने वाला होगा, कोई चिकना होगा, कोई गुस्सैल होगा आदि। क्या आपने कभी ऐसे लोगों की सूची बनाई हैे?
हमारी सोसायटी में ही कोई रुतबेदार होगा, तो कोई धनवान। धनवान हम उसे कह सकते हैं, जिनके पास सबसे अधिक वाहन हैं। या फिर जिनके घर में बहुत से ए.सी. हैं। किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में वे धन से अधिक से अधिक योगदान देता हो। ऐसों को हम अमीरों की श्रेणी में रख सकते हैं। ध्यान से देखा जाए, तो यह सब ऊपरी अवलोकन ही हैं। वैसे भी हमारे यहां आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति ही हमेशा चर्चा में होता है। कुछ लोग हमारे बीच के ऐसे होते हैं, जो दिखावा करते हैं, हमेशा स्वयं को व्यस्त बताते हुए किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में भले ही शामिल न हों, पर चंदा देने में सबसे आगे होते हैं। पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, तो हर तरह से उन्हें आप अपने साथ पाते हैं, ये दिखावा नहीं करते। अपने काम से कम रखते हैं। वास्त में ऐसे लोग ही समृद्धशाली होते हैं। इन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। धनवान होना और समृद्ध होना दोनों ही अलग-टलग बात है। कई धनपति ऐसे होते हैं, जो अपनी आवक का एक निश्चित भाग दान में देते हैं। कई लोग गुप्तदान में विश्वास रखते हैं। कई कंपनियाँ एक निश्चित राशि कुछ धर्माध संस्था हो हर महीने देती हैं। कई लोग इस तरह की सेवा के प्रतिफल की इच्छा रखते हैं। ताकि उनका नाम हो। धनपति बनने के लिए कई बार कई कड़वे संस्मरणों से गुजरना होता है। ऐसे लोग जीवन में कई तरह के समझौते करते हैं। कई लोग धनपति बनने के बाद अपने मूल पहचान को खो देते हैं, या कहें अपनी औकात ही भूल जाते हैं। ऐसे लोग हमेशा समस्याग्रस्त रहते हैं।
कई लोग अपने पिता-दादा की विरासत संभालते हैं। अपने धंधे को स्थापित करने के लिए उन्हें बहुत पसीना नहीं बहाना पड़ता। दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्होंने अपने खून-पसीने से अपने धंधे को ऊंचाई तक पहुंचाया है। ऐसे लोगों को कदम-कदम पर सबक सीखने को मिलते हैं। इन सबक से वे तेजी से आगे बढ़ते हैं। ऐसे लोग दूसरों के लिए प्रेरणा होते हैं। फोब्र्स द्वारा हर वर्ष विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची जारी करती है। इस बार उनकी सूची में सोनिया गांधी का नाम है। लोगों को यह कुछ अस्वाभाविक लग सकता है। पर जो सच है, वह हमारे सामने है। तो फोब्र्स जो सूची तैयार करता है, उस पर हम अविश्वास करके यदि अपने आसपास के अच्छे लोगों की सूची तैयार कर उसे सार्वजनिक करें, देखो कितने सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। इससे हमें उन सभी को समझने का अवसर मिलेगा। आपकी सूची लोगों में चर्चा का विषय बन सकती है। कुछ लोगों में सुधार भी ला सकती है। दूसरी ओर निश्चित रूप से आपको आलोचना का भी शिकार होना पड़ेगा। पर इससे न घबरा कर आप केवल अपना काम करें, निश्चित रूप से आपके काम को सराहना मिलेगी।
ऐसी सूची सम्पत्ति के आधार पर ही बनती है। विश्व के टॉप 50 में चीन का एक भी अरबपति व्यापारी शामिल नहीं है। इस सूची में अमेरिका के 21 लोग शामिल हैं। टॉप 50 में एकमात्र भारतीय मुकेश अम्बानी का समावेश हुआ है। अपनी 22.9 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ वे 28 नम्बर पर हैं। इस सूची में 6 महिलाएं भी हें। इस सूची में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो 90 वर्ष के हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि विश्व के टॉप 100 अरबपतियों की कुल सम्पत्ति दो ट्रिलियन डॉलर है। डॉलर की कीमत में घटती-बढ़ती के कारण इस सम्पत्ति में भी उतार-चढ़ाव आता रहता है। केवल जुकरबर्ग ही ऐसे अरबपति हैं, जो 20 से 29 वर्ष की आयु के बीच हैं।
डॉ. महेश परिमल
अक्सर मीडिया में हम विश्व के टॉप धनिक लोगों की सूची सुनते-देखते रहते हैं। जब भी इसमें किसी भारतीय का नाम आता है, तो हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। कई ऐसे भी होते हैं, जिन्होंने अपने बल पर उक्त सूची में स्थान प्राप्त किया है। ऐसे लोग समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं। ऐसे लोग समाज के सामने एक आदर्श स्थापित करते हैं। कई बार हमें वे विदेशी भी आकर्षित करते हैं, जिन्होंने अपनी पूरी दौलत कड़ी मेहनत से प्राप्त की होती है। इनकी सफलता की कहानी हमें मुंहजबानी याद रहती है। पर हम इनसे कभी प्रेरणा नहीं लेते। सभी यही कहते हैं कि धीरु भाई अंबानी कभी पेट्रोल पंप में काम करते थे, पर उन्होंने किस तरह से अनथक संघर्ष कर अपना अलग व्यापार शुरू किया और सफलता के कीर्तिमान रचे, इसे जानने की आवश्यकता हम नहीं समझते। यदि हम उनके संघर्षो को याद करें, तो हमें हमारे संघर्ष निश्चित रूप से छोटे लगेंगे।
यह तो हुई बड़े लोगों की बड़ी बातें। पर कभी आपने सोचा कि हमारे ही आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें हम टॉप 50 की सूची में शामिल कर सकते हैं। हमारे ही बीच कई लोग ऐसे होंगे, जिन्हें हम विभिन्न श्रेणियों में रख सकते हैं। कोई बहुत अधिक पढ़ा-लिखा होगा, कोई लेखक होगा, कोई पत्रकार होगा, कोई बहुत ही ज्यादा संवेदनशील होगा, कोई खडूस होगा, कोई धनवान होगा, तो कोई कंजूस होगा, कोई बहुत पकाने वाला होगा, कोई चिकना होगा, कोई गुस्सैल होगा आदि। क्या आपने कभी ऐसे लोगों की सूची बनाई हैे?
हमारी सोसायटी में ही कोई रुतबेदार होगा, तो कोई धनवान। धनवान हम उसे कह सकते हैं, जिनके पास सबसे अधिक वाहन हैं। या फिर जिनके घर में बहुत से ए.सी. हैं। किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में वे धन से अधिक से अधिक योगदान देता हो। ऐसों को हम अमीरों की श्रेणी में रख सकते हैं। ध्यान से देखा जाए, तो यह सब ऊपरी अवलोकन ही हैं। वैसे भी हमारे यहां आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति ही हमेशा चर्चा में होता है। कुछ लोग हमारे बीच के ऐसे होते हैं, जो दिखावा करते हैं, हमेशा स्वयं को व्यस्त बताते हुए किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में भले ही शामिल न हों, पर चंदा देने में सबसे आगे होते हैं। पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, तो हर तरह से उन्हें आप अपने साथ पाते हैं, ये दिखावा नहीं करते। अपने काम से कम रखते हैं। वास्त में ऐसे लोग ही समृद्धशाली होते हैं। इन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। धनवान होना और समृद्ध होना दोनों ही अलग-टलग बात है। कई धनपति ऐसे होते हैं, जो अपनी आवक का एक निश्चित भाग दान में देते हैं। कई लोग गुप्तदान में विश्वास रखते हैं। कई कंपनियाँ एक निश्चित राशि कुछ धर्माध संस्था हो हर महीने देती हैं। कई लोग इस तरह की सेवा के प्रतिफल की इच्छा रखते हैं। ताकि उनका नाम हो। धनपति बनने के लिए कई बार कई कड़वे संस्मरणों से गुजरना होता है। ऐसे लोग जीवन में कई तरह के समझौते करते हैं। कई लोग धनपति बनने के बाद अपने मूल पहचान को खो देते हैं, या कहें अपनी औकात ही भूल जाते हैं। ऐसे लोग हमेशा समस्याग्रस्त रहते हैं।
कई लोग अपने पिता-दादा की विरासत संभालते हैं। अपने धंधे को स्थापित करने के लिए उन्हें बहुत पसीना नहीं बहाना पड़ता। दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्होंने अपने खून-पसीने से अपने धंधे को ऊंचाई तक पहुंचाया है। ऐसे लोगों को कदम-कदम पर सबक सीखने को मिलते हैं। इन सबक से वे तेजी से आगे बढ़ते हैं। ऐसे लोग दूसरों के लिए प्रेरणा होते हैं। फोब्र्स द्वारा हर वर्ष विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची जारी करती है। इस बार उनकी सूची में सोनिया गांधी का नाम है। लोगों को यह कुछ अस्वाभाविक लग सकता है। पर जो सच है, वह हमारे सामने है। तो फोब्र्स जो सूची तैयार करता है, उस पर हम अविश्वास करके यदि अपने आसपास के अच्छे लोगों की सूची तैयार कर उसे सार्वजनिक करें, देखो कितने सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। इससे हमें उन सभी को समझने का अवसर मिलेगा। आपकी सूची लोगों में चर्चा का विषय बन सकती है। कुछ लोगों में सुधार भी ला सकती है। दूसरी ओर निश्चित रूप से आपको आलोचना का भी शिकार होना पड़ेगा। पर इससे न घबरा कर आप केवल अपना काम करें, निश्चित रूप से आपके काम को सराहना मिलेगी।
ऐसी सूची सम्पत्ति के आधार पर ही बनती है। विश्व के टॉप 50 में चीन का एक भी अरबपति व्यापारी शामिल नहीं है। इस सूची में अमेरिका के 21 लोग शामिल हैं। टॉप 50 में एकमात्र भारतीय मुकेश अम्बानी का समावेश हुआ है। अपनी 22.9 अरब डॉलर की सम्पत्ति के साथ वे 28 नम्बर पर हैं। इस सूची में 6 महिलाएं भी हें। इस सूची में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो 90 वर्ष के हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि विश्व के टॉप 100 अरबपतियों की कुल सम्पत्ति दो ट्रिलियन डॉलर है। डॉलर की कीमत में घटती-बढ़ती के कारण इस सम्पत्ति में भी उतार-चढ़ाव आता रहता है। केवल जुकरबर्ग ही ऐसे अरबपति हैं, जो 20 से 29 वर्ष की आयु के बीच हैं।
डॉ. महेश परिमल
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