डॉ. महेश परिमल
हममें से शायद ही ऐसा होगा, जिसने अपने घर के आँगन में तुलसी का बिरवा न देखा होगा। आज कांक्रीट के जंगल में रहते हुए शायद आज की पीढ़ी को यह पता ही नहीं होगा कि तुलसी का बिरवा किस तरह से हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। आज की पीढ़ी तो इसके महत्व से पूरी तरह से अनजान है। पर हम जानते हैं कि किस तरह से घर में सुबह-सुबह माँ, भाभी, दादी, नानी या फिर दीदी आँगन में लगे तुलसी के बिरवे की पूजा करती थीं। सचमुच उसका महत्व था हमारे जीवन में। आज जब कुछ पुरानी फिल्मों में इस तरह के गाने देखने-सुनने को मिल जाते हैं, तब पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। देखा जाए तो फिल्मों एवं धारावाहिकों में ही आज तुलसी का बिरवा जीवित है। इसके अलावा इसे नर्सरी में भी देखा जा सकता है।
फिल्मों में तुलसी, इसके लिए हमें याद करना होगा मीना कुमारी को, जो फिल्म भाभी की चूड़ियाँ में उसी बिरवे के आगे गाती हैं, ज्योति कलश छलके। इस गीत की शूटिंग के पहले मीनाकुमारी जी ने काफी मेहनत की थी। सुबह-सुबह उठकर हिंदू महिलाओं को पूजा करते देखना उनके लिए एक अलग ही अनुभव था। स्वयं मुस्लिम रीति-रिवाजों में पढ़ी-बढ़ी मीना कुमारी इस गीत को परफैक्ट करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने हिंदू महिलाओं की एक-एक गतिविधि को ध्यान से देखा। काफी मशक्कत के बाद यह गीत पूरा ह़आ। पंडित नरेंद्र शर्मा द्वारा लिखा गया यह गीत लता जी के बेहतर गीतों में से एक है। देखा जाए तो आज यदि तुलसी जीवित है, तो वह केवल गाँवों में या फिर फिल्मों में। तुलसी के बिरवे का अपना अलग ही महत्व है। घर बनाने के पहले ही यह तय हो जाता था कि बिरवा कहाँ होगा। तुलसी के पत्तों का अपना अलग ही महत्व है। उसका उपयोग कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी के पत्तों की चाय का स्वाद ही कुछ अलग होता है।
खैर पहले की फिल्मों में तुलसी के चौरे के दृश्य यदा-कदा दिखाई दे जाते थे। जिन फिल्मों की शूटिंग ग्रामीण अंचलों में होती हैं, वहां हिंदू पृष्ठभूमि वाली कहानी में तुलसी का चौरा कहीं न कही आ ही जाता है। फिल्म ईश्वर में अनिल कपूर को अपना घर बदलना होता है, तो वे ट्रक पर तुलसी का चौरा ही उखड़वाकर ले जाते हैं। सन् 1978 में आई फिल्म मैं तुलसी तेरे आँगन की में फिल्म की कहानी तुलसी चौरे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। राज खोसला द्वारा निर्मित इस फिल्म में नूतन और आशा पारेख ने गजब का अभिनय किया है। इस फिल्म के एक दृश्य में नायक विनोद खन्ना जब अपनी मां नूतन के सामने किसी बात पर तुलसी की कसम खाते हैं, तब नूतन उसे बहुत डाँटती हैं कि इसकी शपथ मत लेना। यह हम सबके लिए पवित्र है। वास्तव में तुलसी का वह चौरा उनकी सौत की याद में लगाया जाता है, ताकि वह सदैव सामने रहे और उसकी पूजा होती रहे। इस भावना के साथ फिल्मों में तुलसी का चित्रण हुआ करता था।
वास्तव में देखा जाए, तो तुलसी केवल एक पौधा ही नहीं, बल्कि एक विचार है। सात्विक विचार। जिसमें घर के सभी की भावनाएँ जुड़ी रहती हैं। तुलसी के साथ जुड़े विचार धीरे-धीरे पुख्ता होते हैं। जिस तरह से तुलसी से घर की शुद्धि होती है, ठीक उसी तरह से जिस घर में तुलसी हो, उस घर के सदस्यों के विचार भी शुद्ध होते हैं। तुलसी से होकर आने वाली बयान की शुद्धता के कहने ही क्या? फिल्मों में भले इस पर विशेष चर्चा न हो, पर यह सच है कि घर में तुलसी का एक पौधा तो होना ही चाहिए। अब तो सीमेंट का चौरा रेडीमेड मिलने लगा है। घर के उत्तरी कोने या छत पर इसे रखकर इसमें बोया जाता है तुलसी का रोपा। इसके साथ कुछ नियम भी होते हैं, जिस घर में यह होता है, वहाँ की महिलाएँ इसे पूरी तन्मयता से मानती हैं। अनजाने में तुलसी का यह बिरवा हमें अनुशासन भी सिखाता है। तुलसी में पानी सुबह-शाम डाला जाता है। सुबह पूजा होना आवश्यक है। शाम को चौरे में दीया जलाना आवश्यक है। फिल्मों में इतना कुछ नहीं दिखाया गया है, पर इतना अवश्य बताया गया है कि यह बिरवा पूरे परिवार के लिए बहुत ही उपयोगी है। विशेषकर महिलाओं के लिए।
फिल्मों में तुलसी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के दर्शन कराए जाते रहे हैं। ताकि विदेशों तक भारतीय संस्कृति की महक इस तरह से भी पहुँचे। आज की फिल्मों में तुलसी का दिखाया जाना भले ही कम हो गया है, पर जब भी तुलसी के बिरवे से जुड़े दृश्य आते हैं, तो मन रोमांचित हो उठता है। ऐसे दृश्य देखकर एक विचार-प्रक्रिया शुरू होती है। जिसमें समभाव के साथ सर्व हिताय की भावनाएँ होती हैं। भारतीय संस्कृति में इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता, उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आँगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आँगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।
अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को देवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है। यह तो है तुलसी का धार्मिक महत्व, परंतु विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं, जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टिरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्नी रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्नी खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।
पुराणों में कहा गया है कि भगवान विष्णु को लक्ष्मी से भी प्रिय तुलसी है। इसे भगवान ने अपने सिर पर स्थान दिया है। बिना तुलसी पत्ता अर्पित किए भगवान भोग भी स्वीकार नहीं करते। तुलसी के प्रति इस प्रकार का आदर भाव बताता है कि तुलसी गुणों की खान है। वैज्ञानिक शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि तुलसी में कई रोगों के उपचार की क्षमता है। तुलसी जिस घर आँगन में होती है, वहाँ के वातावरण में मौजूद नकारात्मक तत्वों को सोख लेती है और सकारात्मक उर्जा का संचार करती है। वास्तु विज्ञान कहता है कि घर में तुलसी का एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। पुराण के मुताबिक तुलसी के पौधे पर गुरु और लक्ष्मी दोनों की कृपा है। तुलसी का पौधा लगाने के लिए उत्तर पूर्व दिशा उत्तम है। उत्तर पूर्व में स्थान नहीं होने पर उत्तर अथवा पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। इन दिशाओं में तुलसी का पौधा लगाने से परिवार में सामंजस्य एवं धन वृद्घि होती है। ऐसी मान्यता है कि घर की छत पर तुलसी का पौधा रखने से घर पर बिजली गिरने का भय नहीं रहता। घर में किसी प्रकार के वास्तु दोष से बचने के लिए घर में तुलसी के पांच पौधे लगाकर उनकी नियमित सेवा करने से वास्तु दोष से मुक्ति मिलती है।
डॉ. महेश परिमल
हममें से शायद ही ऐसा होगा, जिसने अपने घर के आँगन में तुलसी का बिरवा न देखा होगा। आज कांक्रीट के जंगल में रहते हुए शायद आज की पीढ़ी को यह पता ही नहीं होगा कि तुलसी का बिरवा किस तरह से हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। आज की पीढ़ी तो इसके महत्व से पूरी तरह से अनजान है। पर हम जानते हैं कि किस तरह से घर में सुबह-सुबह माँ, भाभी, दादी, नानी या फिर दीदी आँगन में लगे तुलसी के बिरवे की पूजा करती थीं। सचमुच उसका महत्व था हमारे जीवन में। आज जब कुछ पुरानी फिल्मों में इस तरह के गाने देखने-सुनने को मिल जाते हैं, तब पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। देखा जाए तो फिल्मों एवं धारावाहिकों में ही आज तुलसी का बिरवा जीवित है। इसके अलावा इसे नर्सरी में भी देखा जा सकता है।
फिल्मों में तुलसी, इसके लिए हमें याद करना होगा मीना कुमारी को, जो फिल्म भाभी की चूड़ियाँ में उसी बिरवे के आगे गाती हैं, ज्योति कलश छलके। इस गीत की शूटिंग के पहले मीनाकुमारी जी ने काफी मेहनत की थी। सुबह-सुबह उठकर हिंदू महिलाओं को पूजा करते देखना उनके लिए एक अलग ही अनुभव था। स्वयं मुस्लिम रीति-रिवाजों में पढ़ी-बढ़ी मीना कुमारी इस गीत को परफैक्ट करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने हिंदू महिलाओं की एक-एक गतिविधि को ध्यान से देखा। काफी मशक्कत के बाद यह गीत पूरा ह़आ। पंडित नरेंद्र शर्मा द्वारा लिखा गया यह गीत लता जी के बेहतर गीतों में से एक है। देखा जाए तो आज यदि तुलसी जीवित है, तो वह केवल गाँवों में या फिर फिल्मों में। तुलसी के बिरवे का अपना अलग ही महत्व है। घर बनाने के पहले ही यह तय हो जाता था कि बिरवा कहाँ होगा। तुलसी के पत्तों का अपना अलग ही महत्व है। उसका उपयोग कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी के पत्तों की चाय का स्वाद ही कुछ अलग होता है।
खैर पहले की फिल्मों में तुलसी के चौरे के दृश्य यदा-कदा दिखाई दे जाते थे। जिन फिल्मों की शूटिंग ग्रामीण अंचलों में होती हैं, वहां हिंदू पृष्ठभूमि वाली कहानी में तुलसी का चौरा कहीं न कही आ ही जाता है। फिल्म ईश्वर में अनिल कपूर को अपना घर बदलना होता है, तो वे ट्रक पर तुलसी का चौरा ही उखड़वाकर ले जाते हैं। सन् 1978 में आई फिल्म मैं तुलसी तेरे आँगन की में फिल्म की कहानी तुलसी चौरे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। राज खोसला द्वारा निर्मित इस फिल्म में नूतन और आशा पारेख ने गजब का अभिनय किया है। इस फिल्म के एक दृश्य में नायक विनोद खन्ना जब अपनी मां नूतन के सामने किसी बात पर तुलसी की कसम खाते हैं, तब नूतन उसे बहुत डाँटती हैं कि इसकी शपथ मत लेना। यह हम सबके लिए पवित्र है। वास्तव में तुलसी का वह चौरा उनकी सौत की याद में लगाया जाता है, ताकि वह सदैव सामने रहे और उसकी पूजा होती रहे। इस भावना के साथ फिल्मों में तुलसी का चित्रण हुआ करता था।
वास्तव में देखा जाए, तो तुलसी केवल एक पौधा ही नहीं, बल्कि एक विचार है। सात्विक विचार। जिसमें घर के सभी की भावनाएँ जुड़ी रहती हैं। तुलसी के साथ जुड़े विचार धीरे-धीरे पुख्ता होते हैं। जिस तरह से तुलसी से घर की शुद्धि होती है, ठीक उसी तरह से जिस घर में तुलसी हो, उस घर के सदस्यों के विचार भी शुद्ध होते हैं। तुलसी से होकर आने वाली बयान की शुद्धता के कहने ही क्या? फिल्मों में भले इस पर विशेष चर्चा न हो, पर यह सच है कि घर में तुलसी का एक पौधा तो होना ही चाहिए। अब तो सीमेंट का चौरा रेडीमेड मिलने लगा है। घर के उत्तरी कोने या छत पर इसे रखकर इसमें बोया जाता है तुलसी का रोपा। इसके साथ कुछ नियम भी होते हैं, जिस घर में यह होता है, वहाँ की महिलाएँ इसे पूरी तन्मयता से मानती हैं। अनजाने में तुलसी का यह बिरवा हमें अनुशासन भी सिखाता है। तुलसी में पानी सुबह-शाम डाला जाता है। सुबह पूजा होना आवश्यक है। शाम को चौरे में दीया जलाना आवश्यक है। फिल्मों में इतना कुछ नहीं दिखाया गया है, पर इतना अवश्य बताया गया है कि यह बिरवा पूरे परिवार के लिए बहुत ही उपयोगी है। विशेषकर महिलाओं के लिए।
फिल्मों में तुलसी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के दर्शन कराए जाते रहे हैं। ताकि विदेशों तक भारतीय संस्कृति की महक इस तरह से भी पहुँचे। आज की फिल्मों में तुलसी का दिखाया जाना भले ही कम हो गया है, पर जब भी तुलसी के बिरवे से जुड़े दृश्य आते हैं, तो मन रोमांचित हो उठता है। ऐसे दृश्य देखकर एक विचार-प्रक्रिया शुरू होती है। जिसमें समभाव के साथ सर्व हिताय की भावनाएँ होती हैं। भारतीय संस्कृति में इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता, उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आँगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आँगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।
अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को देवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है। यह तो है तुलसी का धार्मिक महत्व, परंतु विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं, जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टिरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्नी रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्नी खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।
पुराणों में कहा गया है कि भगवान विष्णु को लक्ष्मी से भी प्रिय तुलसी है। इसे भगवान ने अपने सिर पर स्थान दिया है। बिना तुलसी पत्ता अर्पित किए भगवान भोग भी स्वीकार नहीं करते। तुलसी के प्रति इस प्रकार का आदर भाव बताता है कि तुलसी गुणों की खान है। वैज्ञानिक शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि तुलसी में कई रोगों के उपचार की क्षमता है। तुलसी जिस घर आँगन में होती है, वहाँ के वातावरण में मौजूद नकारात्मक तत्वों को सोख लेती है और सकारात्मक उर्जा का संचार करती है। वास्तु विज्ञान कहता है कि घर में तुलसी का एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। पुराण के मुताबिक तुलसी के पौधे पर गुरु और लक्ष्मी दोनों की कृपा है। तुलसी का पौधा लगाने के लिए उत्तर पूर्व दिशा उत्तम है। उत्तर पूर्व में स्थान नहीं होने पर उत्तर अथवा पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है। इन दिशाओं में तुलसी का पौधा लगाने से परिवार में सामंजस्य एवं धन वृद्घि होती है। ऐसी मान्यता है कि घर की छत पर तुलसी का पौधा रखने से घर पर बिजली गिरने का भय नहीं रहता। घर में किसी प्रकार के वास्तु दोष से बचने के लिए घर में तुलसी के पांच पौधे लगाकर उनकी नियमित सेवा करने से वास्तु दोष से मुक्ति मिलती है।
डॉ. महेश परिमल
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