डॉ महेश परिमल
आईपीएल के लिए खिलाड़ियों की बोली लगना शुरू हो गई है। खिलाड़ी सरेआम बिक रहे। कुछ की बोलियां लगती हैं, कुछ चुपचाप बिक जाते हैं। इसका पता पहले तो नहीं, पर बाद में चल ही जाता है। जब सच्चई सामने आने लगती है, तब पता चलता है कि कौन कितने पानी में है। यह सच है कि आज जिस तरह से क्रिकेट का राजनीतिकरण हो गया है, उसमें कोई भी दूध का धुला नहीं है। मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद अब ऊंगलियां भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तरफ उठ रही है। इस मामले में वे भले ही स्वयं को बेदाग बताएं, पर यह भी सच है कि अपराध को छिपाना भी एक अपराध ही है। उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को केवल एक क्रिकेट प्रेमी बताया था। यही नहीं चेन्नई सुपरकिंग की कप्तानी के दौरान राजस्थान रॉयल से हुई मैच को फिक्स करने की जानकारी भी धोनी को थी। इसके बाद भी उन्होंने इसका खुलासा नही किया।
न्यूजीलैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच हारकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्रसिंह धोनी पर एक बड़ी आफत आ पड़ी है। सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस मुकुल मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन स्पॉट फिक्सिंग के लिए जवाबदार हैं। रिपोर्ट में शंका की सूई महेंद्र सिंह धोनी की तरफ भी है। यदि यह साबित हो ेजाए कि धोनी मैच फिक्सिंग में शामिल थे, तो उनके क्रिकेट कैरियर पर बहुत बड़ा धब्बा लग सकता है। यही नहीं, उनका क्रिकेट जीवन ही खत्म हो जाने का खतरा भी है। कानून के अनुसार चोरी करना अपराध है, पर चोर का साथ देना भी एक अपराध ही है। जस्टिस मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार गुरुनाथ मयप्पन ने झूठ कहा था कि वे चेन्नई सुपर किंग की टीम के मालिक नहीं हैं। इस झूठ में उनका साथ दिया था श्रीनिवासन और महेंद्र सिंह धोनी ने। इन्होंने मयप्पन का बचाव भी किया था।सन 2011 में एक आर्थिक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में मयप्पन ने स्वीकार किया था कि हर मैच के शुरू में टीम में खिलाड़ियों के चयन के मामले पर धोनी से उनकी चर्चा होती थी। मयप्पन को धोनी से चेन्नई सुपरकिंग की टीम की रणनीति के बारे में पूरी जानकारी मिलती थी। इस जानकारी का उपयोग वह बिद्दू दारासिंह के माध्यम से सट्टा खेलने के लिए करता था। इससे खूब कमाई भी करता था। सुप्रीमकोर्ट द्वारा रची गई जस्टिस मुद्गल कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी दी है कि भारतीय टीम में खेलने वाले 6 खिलाड़ी भी स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने की संभावना है। इसमें से एक खिलाड़ी अभी भी टीम में खेल रहा है। यह खिलाड़ी धोनी है, इसकी पूरी संभावना है। मुद्गल कमिटी ने इन खिलाड़ियों की मिलीभगत की गहराई से जांच करने की सिफारिश भी की है। दिल्ली की क्राइम ब्रांच के एसपी संपथ कुमार ने मुद्गल कमेटी को एक चौकाने वाली जानकारी दी है। इस जानकारी के अनुसार सन् 2013 में जब वे एक नकली पासपोर्ट मामले की जांच कर रहे थे, तब कई सट्टेबाजों के सम्पर्क में आए। इनमें से किट्टी नामक एक सट्टेबाज ने उन्हें बताया था कि महेंद्रसिंह धोनी और सुरेश रैना भी उनसे जुड़े हुए हैं। इस सट्टेबाज ने यह भी दावा किया था कि स्पॉट फिक्सिंग घोटाले की जांच कर रहे दिल्ली के एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस ने करवाई थी।
स्पॉट फिक्सिंग घोटाले में जब मयप्पन के शामिल होने की जानकारी बाहर आई, तब यह भी पता चला कि मयप्पन की विद्दू के साथ पहचान धोनी के मित्र और बिजनेस पार्टनर अरुण पांडे ने करवाई थी। विद्दू और धोनी के बीच भी संबंध धनिष्ठ थे। इसी कारण धोनी की पत्नी साक्षी वीआईपी स्टेंड में विद्दू के साथ बैठकर चेन्नई सुपरकिंग का मैच देखते हुए तस्वीर अखबारों में प्रकाशित हुई थी। बाद में यह मामला दबा दिया गया था। मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 12 मई सन् 2013 को राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपरकिंग के बीच जयपुर में खेले गए मैच का विशेष रूप से विश्लेषण किया गया। जिसमें धोनी की मिलीभगत साफ दिखाई देती है। जब यह मैच चल रहा था, उस दौरान मयप्पन ने विद्दू से यह गारंटी दी थी कि चेन्नई टीम करीब 130-140 रन बनाएगी। मयप्पन ने इसके अनुसार राजस्थान की जीत पर दांव लगाया था। 12 वे ओवर के शुरू में चेन्नई सुपर किंग का स्कोर एक विकेट पर 85 रन था। इस समय धोनी और रैना क्रिज पर थे। सामान्य रूप यह माना जाता हे कि आईपीएल में 12 वें ओवर के अंत में जो स्कोर होता है, 20वें ओवर तक रन दोगुने हो ेजाते हैं। इस हिसाब से चेन्नई सुपरकिंग का स्कोर 170 होना था। यह देखकर विद्दू चिंता में पड़ गया। उसे मयप्पन से कहा कि ये क्या हो रहा है? मयप्पन ने उसे आश्वासन दिया कि चिंता मत करो, चेन्नई सुपरकिंग उतने ही रन बनाएगी, जितने मैंने तुम्हें बताएं हैं। आखिर मयप्पन को यह आत्मविश्वास किसने दिलवाया। यह जांच का विषय है। 12 वे ओवर में धोनी और रैना आसान कैच देकर आऊट हो गए। उनका स्कोर धीमा हो गया। इधर मयप्पन दांव जीत गया। इससे यह शंका जाती है कि मयप्पन ने धोनी और रैना का उपयोग कर 12 मई का मैच फिक्स कर दिया था।
मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट में दिल्ली के ज्योतिनगर पुलिस स्टेशन में 1 नवम्बर 1913 को फाइल किए गए एक एफआईआर का उल्लेख किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 12 मई का मैच चेन्नई सुपरकिंग के खिलाड़ियों की मदद से फिक्स किया गया था। क्रिकेट को अच्छी तरह से जानने वाला हर कोई कहता है कि टीम के केप्टन या सीनियर खिलाड़ी की मिलीभगत के बिना मैच फिक्स हो ही नहीं सकता। धोनी ने न्यूजीलैंड रवाना होने के लिए मुद्गल कमेटी को दिए गए बयान में कहा था कि मयप्पन केवल एक क्रिकेट प्रेमी है। उसका चेन्नई टीम के साथ कोई लेना-देना नहीं है। धोनेी का यह बयान झूठा था। ऐसा मुद्गल कमेटी का कहना है। धोनी के इस झूठ के पीछे क्या स्वार्थ है? इसके लिए हमें 7 मार्च तक इंतजार करना होगा। इतना तो तय है कि आईपीएल शुरू से ही विवादों में रहा है। खिलाड़ियों की बोली लगने से लेकर मैच फिक्सिंग तक सारे कामों में घोटाला ही घोटाला है। दु:ख तब होता है, जिन्हें हम अपना आदर्श मानते हैं, वे ही इस घोटाले में शामिल होते दिखाई देते हैं। ऐसे में लोग क्रिकेट को शक की निगाहों से देखना शुरू कर दें, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
डॉ महेश परिमल
आईपीएल के लिए खिलाड़ियों की बोली लगना शुरू हो गई है। खिलाड़ी सरेआम बिक रहे। कुछ की बोलियां लगती हैं, कुछ चुपचाप बिक जाते हैं। इसका पता पहले तो नहीं, पर बाद में चल ही जाता है। जब सच्चई सामने आने लगती है, तब पता चलता है कि कौन कितने पानी में है। यह सच है कि आज जिस तरह से क्रिकेट का राजनीतिकरण हो गया है, उसमें कोई भी दूध का धुला नहीं है। मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद अब ऊंगलियां भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तरफ उठ रही है। इस मामले में वे भले ही स्वयं को बेदाग बताएं, पर यह भी सच है कि अपराध को छिपाना भी एक अपराध ही है। उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को केवल एक क्रिकेट प्रेमी बताया था। यही नहीं चेन्नई सुपरकिंग की कप्तानी के दौरान राजस्थान रॉयल से हुई मैच को फिक्स करने की जानकारी भी धोनी को थी। इसके बाद भी उन्होंने इसका खुलासा नही किया।
न्यूजीलैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच हारकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्रसिंह धोनी पर एक बड़ी आफत आ पड़ी है। सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस मुकुल मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन स्पॉट फिक्सिंग के लिए जवाबदार हैं। रिपोर्ट में शंका की सूई महेंद्र सिंह धोनी की तरफ भी है। यदि यह साबित हो ेजाए कि धोनी मैच फिक्सिंग में शामिल थे, तो उनके क्रिकेट कैरियर पर बहुत बड़ा धब्बा लग सकता है। यही नहीं, उनका क्रिकेट जीवन ही खत्म हो जाने का खतरा भी है। कानून के अनुसार चोरी करना अपराध है, पर चोर का साथ देना भी एक अपराध ही है। जस्टिस मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार गुरुनाथ मयप्पन ने झूठ कहा था कि वे चेन्नई सुपर किंग की टीम के मालिक नहीं हैं। इस झूठ में उनका साथ दिया था श्रीनिवासन और महेंद्र सिंह धोनी ने। इन्होंने मयप्पन का बचाव भी किया था।सन 2011 में एक आर्थिक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में मयप्पन ने स्वीकार किया था कि हर मैच के शुरू में टीम में खिलाड़ियों के चयन के मामले पर धोनी से उनकी चर्चा होती थी। मयप्पन को धोनी से चेन्नई सुपरकिंग की टीम की रणनीति के बारे में पूरी जानकारी मिलती थी। इस जानकारी का उपयोग वह बिद्दू दारासिंह के माध्यम से सट्टा खेलने के लिए करता था। इससे खूब कमाई भी करता था। सुप्रीमकोर्ट द्वारा रची गई जस्टिस मुद्गल कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी दी है कि भारतीय टीम में खेलने वाले 6 खिलाड़ी भी स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने की संभावना है। इसमें से एक खिलाड़ी अभी भी टीम में खेल रहा है। यह खिलाड़ी धोनी है, इसकी पूरी संभावना है। मुद्गल कमिटी ने इन खिलाड़ियों की मिलीभगत की गहराई से जांच करने की सिफारिश भी की है। दिल्ली की क्राइम ब्रांच के एसपी संपथ कुमार ने मुद्गल कमेटी को एक चौकाने वाली जानकारी दी है। इस जानकारी के अनुसार सन् 2013 में जब वे एक नकली पासपोर्ट मामले की जांच कर रहे थे, तब कई सट्टेबाजों के सम्पर्क में आए। इनमें से किट्टी नामक एक सट्टेबाज ने उन्हें बताया था कि महेंद्रसिंह धोनी और सुरेश रैना भी उनसे जुड़े हुए हैं। इस सट्टेबाज ने यह भी दावा किया था कि स्पॉट फिक्सिंग घोटाले की जांच कर रहे दिल्ली के एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस ने करवाई थी।
स्पॉट फिक्सिंग घोटाले में जब मयप्पन के शामिल होने की जानकारी बाहर आई, तब यह भी पता चला कि मयप्पन की विद्दू के साथ पहचान धोनी के मित्र और बिजनेस पार्टनर अरुण पांडे ने करवाई थी। विद्दू और धोनी के बीच भी संबंध धनिष्ठ थे। इसी कारण धोनी की पत्नी साक्षी वीआईपी स्टेंड में विद्दू के साथ बैठकर चेन्नई सुपरकिंग का मैच देखते हुए तस्वीर अखबारों में प्रकाशित हुई थी। बाद में यह मामला दबा दिया गया था। मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 12 मई सन् 2013 को राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपरकिंग के बीच जयपुर में खेले गए मैच का विशेष रूप से विश्लेषण किया गया। जिसमें धोनी की मिलीभगत साफ दिखाई देती है। जब यह मैच चल रहा था, उस दौरान मयप्पन ने विद्दू से यह गारंटी दी थी कि चेन्नई टीम करीब 130-140 रन बनाएगी। मयप्पन ने इसके अनुसार राजस्थान की जीत पर दांव लगाया था। 12 वे ओवर के शुरू में चेन्नई सुपर किंग का स्कोर एक विकेट पर 85 रन था। इस समय धोनी और रैना क्रिज पर थे। सामान्य रूप यह माना जाता हे कि आईपीएल में 12 वें ओवर के अंत में जो स्कोर होता है, 20वें ओवर तक रन दोगुने हो ेजाते हैं। इस हिसाब से चेन्नई सुपरकिंग का स्कोर 170 होना था। यह देखकर विद्दू चिंता में पड़ गया। उसे मयप्पन से कहा कि ये क्या हो रहा है? मयप्पन ने उसे आश्वासन दिया कि चिंता मत करो, चेन्नई सुपरकिंग उतने ही रन बनाएगी, जितने मैंने तुम्हें बताएं हैं। आखिर मयप्पन को यह आत्मविश्वास किसने दिलवाया। यह जांच का विषय है। 12 वे ओवर में धोनी और रैना आसान कैच देकर आऊट हो गए। उनका स्कोर धीमा हो गया। इधर मयप्पन दांव जीत गया। इससे यह शंका जाती है कि मयप्पन ने धोनी और रैना का उपयोग कर 12 मई का मैच फिक्स कर दिया था।
मुद्गल कमिटी की रिपोर्ट में दिल्ली के ज्योतिनगर पुलिस स्टेशन में 1 नवम्बर 1913 को फाइल किए गए एक एफआईआर का उल्लेख किया गया है। इसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 12 मई का मैच चेन्नई सुपरकिंग के खिलाड़ियों की मदद से फिक्स किया गया था। क्रिकेट को अच्छी तरह से जानने वाला हर कोई कहता है कि टीम के केप्टन या सीनियर खिलाड़ी की मिलीभगत के बिना मैच फिक्स हो ही नहीं सकता। धोनी ने न्यूजीलैंड रवाना होने के लिए मुद्गल कमेटी को दिए गए बयान में कहा था कि मयप्पन केवल एक क्रिकेट प्रेमी है। उसका चेन्नई टीम के साथ कोई लेना-देना नहीं है। धोनेी का यह बयान झूठा था। ऐसा मुद्गल कमेटी का कहना है। धोनी के इस झूठ के पीछे क्या स्वार्थ है? इसके लिए हमें 7 मार्च तक इंतजार करना होगा। इतना तो तय है कि आईपीएल शुरू से ही विवादों में रहा है। खिलाड़ियों की बोली लगने से लेकर मैच फिक्सिंग तक सारे कामों में घोटाला ही घोटाला है। दु:ख तब होता है, जिन्हें हम अपना आदर्श मानते हैं, वे ही इस घोटाले में शामिल होते दिखाई देते हैं। ऐसे में लोग क्रिकेट को शक की निगाहों से देखना शुरू कर दें, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
डॉ महेश परिमल
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