शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

मन के परेशान न होने का मंत्र~




गिरीश बख्‍शी की सामयिक मुस्‍कान

खूब खिन्न होकर
बानी बोले गजाधर
क्या घर और क्या बाहर
मेरे मन का
कही होता ही नही है
तो मन परेशान हो जाता है
यह सही है
घर मै wife से कहता हु
आज भिन्डी बनाना
तो वह परवल बना देती है
मेरे मन को भी वह
seriously नही लेती
कहो तो तमक कर
हो जाती है नाराज
अब बाहर का किस्सा सुनो
क्या हुआ आज
मेरा मन दूर तक
घूमने जाने का था
पर मिल चौक पर मिल गया रामलाल
वह मुझे घसीट कर ले गया
पिक्चर हॉल

गजाधर मुस्कराये बोले
बानी
अपने मन को यु परेशान
मत कीजिये
महानायक अमिताभ बच्चन की
बात पर आप मन से ध्यान दीजिये
उनके बाबूजी
उनसे कहा करते थे कि
"मन का हुआ तो अच्छा
और न हो तो
और भी अच्छा"

]गिरीश बक्शी
राजनांदगॉंव

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