शनिवार, 11 दिसंबर 2010
जहाँ शरीर के अंगों का मुफ्त ट्रांसप्लांट होता है
डॉ. महेश परिमल
बहुत दु:ख होता है, जब कोई बेहद अपना हमारी आँखों के सामने ही दम तोड़ देता है। उसका जाना इस बात के लिए भी अधिक अखरता है कि उसके इलाज के लिए लाखों खर्च करने के बाद हम और भी खर्च करने को तैयार थे, फिर भी हमारा अपना जिंदगी के सामने हार गया। हम उसकी हार देखते रहे। गरीबों के लिए तो यह और भी त्रासदायी है। वे खर्च करने के लिए भी सक्षम नहीं होते। हाँ अपना अंग देने के लिए अवश्य तैयार हो जाते हैं, फिर भी वे अपने को बचा नहीं पाते। ऐसे ही गरीबों के लिए एक खुशखबरी है, तमिलनाडु में ऐसे अस्पताल हैं, जहाँ लीवर और हार्ट ट्रांसप्लांट बिलकुल मुफ्त किए जाते हैं। गरीबों को तो यहाँ किसी प्रकार का धन नहीं देना पड़ता। आश्चर्य इस बात का है कि ऐसे अस्पतालों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
बात शुरू से शुरू करते हैं। देश के तमाम महानगरों की तरह इन दिनों चेन्नई में भी बिल्डिंग निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। इन परिस्थिातियों में एक बिल्डिंग के निर्माण के दौरान एक 23 वर्षीय युवक एक ऊँचे स्थान से गिर गया। उसे पास के एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वैसे डॉक्टरों की दृष्टि में वह ब्रेनडेड था। इसलिए वह मानव समाज के लिए उपयोगी था। पर अब किया क्या जाए? यह युवक आंध्रप्रदेश से रोजी-रोटी के लिए आया था। ठेकेदार से जब उक्त मजदूर के बारे में जानने की कोशिश की गई, तो पूरी जानकारी नहीं मिल पाई। आखिर किसी तरह उस युवक के परिवार के बारे में जानकारी मिल गई। जब युवक के माता-पिता ने अपने बेटे की लाश देखी, तो वे फूट-फूटकर रोने लगे। अभी उस युवक की शादी को एक साल ही हो पाया था। डॉक्टरों ने उस परिवार को समझाया कि आपका बेटा मरकर भी जिंदा रह सकता है। यदि आप उसके अंगों को दान करने की घोषणा कर दें तो। यह सुनकर निरक्षर माता-पिता हैरान रह गए। आखिर उन्होंने तय किया कि वे अपने बेटे के सारे अंगों को दान में देंगे। उनकी स्वीकारोक्ति के बाद डॉक्टरों के एक दल ने उक्त युवक की दो आँखें, दो किडनी, हार्ट और लीवर निकाल लिए और जरूरतमंदों को दे दिए। चिकित्सकीय भाषा में इसे केडेवर ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहते हैं।
आप माने या न मानें, पर यह सच है कि देश में सबसे अधिक मरणोपरांत अंगदान तमिलनाडु में होता है। इसके पीछे का कारण भी जानने लायक है। वंशवाद के आरोपों से घिरी करुणानिधि सरकार इस मामले में बहुत ही उदार है। अंगदान के नियम इस राज्य में अन्य राज्यों की अपेक्षा नरम हैं। अंगदान की नीतियों को इस राज्य ने खूब ही सहज बनाया है। इतना ही नहीं, इन अंगों को जरूरतमंद गरीबों को बिना एक पैसा लिए ट्रांसप्लांट की सुविधा भी इस राज्य में है। इतना ही नहीं, ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को इम्युनोसपेसंट मेडिकेशन के रूप में पहचाने जाने वाली दवाई भी राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाती है। पूरे राज्य मेंएक नही दो नहीं, पूरे 27 ऐसे अस्पताल हैं, जहाँ अंग ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। इन अस्पतालों में दिन-रात इस तरह के सेवाभावी कार्य किए जा रहे हैं।
हमारे देश में सड़क दुर्घटना में रोज ही सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। ऐसे मामले में यदि तुरंत निर्णय लिए जाएँ, तो कई जिंदगियाँ बचाई जा सकती हेँ। ब्रेन डेड हाने के कुछ घंटों बाद ही इनके अंग निकालकर सुरक्षित रखे जा सकते हैँ। इस दिशा में जितना संवेदनशील तमिलनाडु है, उतना कोई अन्य राज्य नहीं। इसके अलाव इतने सुविधा सम्पन्न अस्पताल भी किसी राज्य में नहीं हैं, जहाँ अंगों का ट्रांसप्लांट मुफ्त में किया जाता हो। यही कारण है कि पिछले दो वर्षो में 110 से अधिक लोगों पर लीवर का ट्रांसप्लांट किया गया है। पूरे देश की बात करें, तो पिछले दो वर्षो में इसका आधा भी नहीं हुआ है। इसी तरह इस राज्य में 240 किडनी, 25 हार्ट का ट्रांसप्लांट किया गया है। यह एक रिकॉर्ड है।
करुणानिधि सरकार ने अक्टूबर 2008 में अंगदान का यह कार्यक्रम शुरू किया था। देश के अन्य राज्यों में तो इलाज के लिए अस्पताल पहुँचे गरीब लोगों की किडनी ही निकाले जाने की घटनाएँ होती रही हैं। तमिलनाडु भी इससे अछूता नहीं था। इसीलिए करुणानिधि सरकार ने इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए अंगदान की प्रक्रिया को सरल बनाया। इसके परिणामस्वरूप आज यहाँ आकर हजारों लोग जीवनदान प्राप्त कर रहे हैँ।
यहाँ की अस्पतालों का काम भी काफी रोमांचकारी है। अब तो मोबाइल और इंटरनेट के कारण कुछ ही समय में डॉक्टर विडियो कांफ्रेंस कर निर्णय ले लेते हैं। रोज वेटिंग लिस्ट अपडेट करते हैं। यही नहीं किस मरीज की ट्रांसप्लांट करने की अधिक आवश्यकता है। इसकी पूरी तैयारी की जाती है। यहाँ की सारी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध की जाती है। इस शुभ कार्य में एनजीओ का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। यही नहीं, यातायात पुलिस भी इस दिशा में अपना अमूल्य योगदान करती है। जैसे ही कोई दुर्घटना होती है, तो तुरंत ही पास के अस्पताल में इसकी सूचना दी जाती है। डॉक्टरों का दल तुरंत उनके संबंधियों से सम्पर्क करता है और मृत व्यक्ति के महत्वपूर्ण अंगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।
यह एक शुभ कार्य है। जिसमें केवल मृत व्यक्ति के स्वजनों के माध्यम से यह संभव हो पाता है। इसके बाद उन अंगों को उन गरीब लोगों में ट्रांसप्लांट किया जाता, जो धन खर्च करने में सक्षम नहीं होते। अन्य राज्य भी इस दिशा में सक्रिय होकर कुछ ऐसा ही करें, तो संभव है गरीबों को जीवनदान मिल जाए। साथ ही मृत परिवार के लोग भी आश्वस्त रहें कि उनका स्वजन मरकर भी अमर है। इस अहसास के साथ जीना भी एक सुकून देता है।
इसके बारे में अधिक जानकारी इस वेबसाइट से जानी जा सकती है। वेबसाइट का पता है www.dmrhs.org पता और फोन नम्बर इस प्रकार है:-
Cadaver Transplant Program,
165 A, Tower Block I, 6th Floor, [Next to Bone Bank],
Government General Hospital
Chennai – 600 003
E-Mail :
organstransplant@gmail.com
Phone :
(91)44 25305638
Fax :
(91)44 25363141
डॉ. महेश परिमल
लेबल:
दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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