सोमवार, 5 अप्रैल 2010
सानिया से दस सनसनाते सवाल
डॉ. महेश परिमल
सानिया, तुम्हें पाकिस्तानी भाया, पाकिस्तान क्यों नहीं?
इतने करोड़ भारतीय युवाओं में तुम्हें कोई पसंद नहीं आया?
शोएब के इंकार के बाद भी भारत के लिए खेल पाओगी?
दूसरी पत्नी बनना आखिर क्यों स्वीकार किया?
त़ुम्हारे खिलाफ माहौल अचानक कैसे बदल गया?
तुम शादी ही कर रही हो, गुनाह तो नहीं?
राष्ट्रीय घ्वज के अपमान के मामले अचानक कैसे तूल पकड़ लिया?
तुम्हारे टेनिस कोर्ट में राजनीति का प्रवेश तो नहीं हुआ ना?
क्या बाल ठाकरे गलत कह रहे हैं?
कहीं तुम पाकिस्तानियों के लिए जीती हुई ट्राफी तो नहीं?
कहते हैं मुसीबत अकेले नहीं आती। सानिया ने शादी का फैसला क्या किया, मानो भूचाल आ गया। हर कोई अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए तत्पर है। अब सानिया सो नहीं पा रही है। वह सोचने लगी है कि इतनी सारी मुश्किलें अचानक कैसे आने लगी? अपने भावी पति की सारी गर्लफ्रेंड अब तक कहाँ थीं? वे सब एक साथ कैसे नमूदार होने लगी? रही सही कसर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के मामले ने पूरी कर दी। अब उस मामले की पेशियाँ हैं, जो इसी माह और अगले माह होंगी। ऐसे में कैसे हो पाएगी शादी? फिर शादी होगी कहाँ, दुबई में या हैदराबाद में? इतने सारे सवाल, प्रतिद्वंद्वी के शॉट भी इतने मारक नहीं थे, उसका तो मुकाबला उसने कर लिया, पर ये कैसे शॉट हैं, जो सीधे मस्तिष्क पर प्रहार कर रहे हैं? इन सारे सवालों का जवाब एक ही है कि शोएब पाकिस्तानी हैं। पाकिस्तान से हमारे संबंध कभी बेहतर नहीं रहे। उसने भारत को हमेशा अपना कट्टर दुश्मन ही माना है। वहाँ अधिकांश नागरिक भी ऐसा ही सोचते हैं। प्यार करना कतई गुनाह नहीं है, गुनाह तो तब भी नहीं होता है, जब वह प्यार देश काल की सीमाएँ पार करने लगता है। गुनाह तब बना, जब सानिया का दिल उस देश के युवक के लिए धड़कने लगा, जो हमें हमेशा से दुश्मन मानता है। वह भी कट्टर दुश्मन।
सानिया मिर्जा के फैसले से पाकिस्तानी खुश हैं कि हमने भारत का एक सितारा अपने नाम कर लिया। काफी समय बाद उन्हें खुश होने का मौका मिला है। भला वे क्यों चूकें? इस आग में घी का काम किया है पाकिस्तानी टेनिस के प्रमुख दिलावर अब्बास के बयान ने, जिसमें उन्होंने कहा है कि सानिया को पाकिस्तान के लिए खेलना चाहिए, ताकि यहाँ की युवतियों को उससे प्रेरणा मिले। सानिया के लिए आज अपना प्यार ही सब कुछ हो गया। जिस देश ने उसे बुलंदियों तक पहुँचाया, अपना प्यार दिया, करोड़ों की दौेलत दी, पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड से नवाजा, आज वही देश पराया होने जा रहा है। क्या देश प्रेम से बडुी कोई और चीज भी होती है? देश के लिए तो लोग क्या-क्या नहीं करते, पर सानिया ने देश की सीमाओं से दूर अपना घरौंदा बनाने का जो फैसला किया है, उससे लाखों भारतीयों को बुरा लगना स्वाभाविक है।
अब्बास साहब के बयान से विवाद बढ़ता देखकर सानिया के पापा इमरान मिर्जा ने कह दिया है कि सानिया भारत के लिए खेलेगी। यह तो विवाद को शांत करने की एक छोटी सी कोशिश है। शादी के बाद शोएब मलिक यदि सानिया से कहें कि वह पाकिस्तान के लिए खेले, तो क्या सानिया मना करेंगी? पाकिस्तान में तो मानो ईद मनाई जा रही है। उनकी खुशी का पारावार नहीं है। पाकिस्तानियों की यही सोच है कि भारत को इससे अच्छी शिकस्त नहीं दी जा सकती थी। काफी समय से भारत के खिलाफ कुछ कहने का मौका नहीं मिल पा रहा था, सानिया ने वह मौका दे दिया। वहाँ इस पूरे मामले को भारत की हार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि सानिया ने भी कह दिया है कि वह पाकिस्तान में नहीं रहेंगी, क्योंकि वहाँ की सुरक्षा-व्यवस्था कमजोर है। इसीलिए शादी के बाद उन्होंने दुबई में रहना स्वीकार किया है। दुबई की लोकेशन देखें, तो स्पष्ट होगा कि वह लाहौर और हैदराबाद(भारत) से काफी करीब है। यदि वे दुबई में रहती हैं, तो उनकी संतान पाकिस्तानी ही होंगी। यह तय है।
प्यार के बारे में कहा जाता है कि उसे सीमाओं मे नहीं बाँधा जा सकता। प्यार कहीं भी, किसी से भी और कभी भी हो सकता है। प्यार के फूलों की सुगंध को किसी भी सीमा में कैद नहीं रखा जा सकता। प्यार के लिए तो देश की सीमा बहुत ही छोटी होती है। फिर सानिया ने तो पूरे विश्व का भ्रमण किया है। खेल के दौरान कई लोगो से मिलना हुआ। हजारों प्रशंसकों ने उसे प्रोत्साहन दिया। इसके बाद भी सानिया अपने खेल के प्रति समर्पित रही। न तो उसने कभी मुल्लाओं के फतवे की चिंता की और न ही साथी खिलाडिय़ों से उनके प्रेम प्रसंगों के चर्चे की। उसने अपना लक्ष्य निर्धारित किया और पूरे धैर्य के साथ सफलता की सीढिय़ाँ चढ़ती रहीं।
सानिया की शादी की खबर से केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मायूसी छाई है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों में यही चर्चा है कि अब सानिया को कोई समझा नहीं सकता। वह वही करेगी, जो उसने ठान लिया है। सिडनी (ऑस्टे्रलिया)में रहने वाली सुधा शर्मा और सरोज पाठक अपने भारतीय साथियों को मेल करके अफसोस जाहिर कर रहीं हैं। उनका मानना है कि सानिया का निर्णय गलत है। उसे इस पर एक बार फिर सोचना चाहिए। खैर सानिया के पास अब सोचने का समय नहीं है। क्योंकि उसने अभी जो कुछ सोचा है, उसके दायरे में वह खुद है। उसकी सोच में पहले देश था, अब देश उसकी सोच से अलग हो गया है। अब उसे अपने भावी कैरियर की चिंता है। इस पूरे मामले को यदि इस रूप में देखा जाए, तो बेहतर होगा। क्या शादी के बाद सानिया दो देशों के बीच एम्बेसेडर के रूप में काम कर सकती हैं? अगर ऐसा होता है कि दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे और सानिया का नाम एक बार फिर भारत के लिए गौरवशाली नाम होगा।
झूठे हैं शोएब
शोएब लगातार झूठ बोल रहे हैं। पहले उन्होंने कहा कि मैं किसी आयशा को नहीं जानता। फिर कहने लगे कि हाँ उनसे मेरा निकाह हुआ है। पर वह अवैध है। अब कह रहे हें कि आयशा वह दूसरी युवती है, उन्हें तस्वीर किसी की दिखाई और निकाह किसी से करवा दिया। निकाहनामे में शोएब के दस्तखत भी हैं। हैदराबाद में शोएब और आयशा को लोगों से साथ-साथ देखा भी है। ऐसे झूठे इंसान से सानिया शादी करके क्या प्राप्त कर लेंगी। वैसे भी कई भारतीय सेलिब्रिटी ने पाकिस्तानी से शादी की है, जो विफल रही। शादी से पहले ससुराल आकर शोएब फँस गए हैं। अब वे भारत छोड़ सकते हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। अब तो यह भी पता चल गया है कि बयान बदलने के लिए उन्होंने आयशा को बहुत बड़ी राशि देने का वादा किया था।
बहुत पुराना है क्रिकेट से रिश्ता सानिया का
सानिया के पिता इमरान मिर्जा भी मुंबई और हैदराबाद की ओर से क्लब क्रिकेट खेलते थे, लेकिन वह राष्ट्रीय टीम तक नहीं पहुंच पाए। लेकिन उनके परिवार में क्रिकेट का रिश्ता बहुत पुराना रहा है। एशिया में ऐसा पहली बार होगा जब एक पीढ़ी के तीन क्रिकेटर कप्तान रह चुके हों। इमरान मिर्जा की मां की बहन के बेटे और सानिया के अंकल दिवंगत गुलाम अहमद 40 और 50 के दशक में तीन टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने बतौर आफ स्पिनर भारतीय टीम की तरफ से 22 टेस्ट मैच खेले हैं।
सानिया के परिवार का ताल्लुक पूर्व पाकिस्तानी कप्तान आसिफ इकबाल से भी है, जो गुलाम अहमद की बहन के बेटे हैं। आसिफ 1961 में हैदराबाद से पाकिस्तान चले गए थे और उन्होंने छह बार टेस्ट क्रिकेट में पाकिस्तान की कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने ये सभी मैच भारत के खिलाफ खेले हैं। अब शोएब मलिक से शादी करते ही सानिया की पीढ़ी में एक और कप्तान शामिल हो जाएगा।
डॉ. महेश परिमल
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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