एक व्यक्ति के लिए प्रतिदिन औसतन 30 से 50 लीटर स्वच्छ तथा सुरक्षित जल की आवश्यकता होती है लेकिन 88.4 करोड़ लोगों को इस जरूरत का 10 प्रतिशत हिस्सा भी नहीं मिल पाता। एक रिसर्च के मुताबिक विश्व में सिर्फ 20 प्रतिशत व्यक्तियों को ही पीने का शुद्ध पानी मिल पाता है। नदियां पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहां एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं, वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक कानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है। अपनी आदतों और उपयोग के तरीको के अलावा उद्योगों के चलते दुनिया में प्रतिवर्ष 1,500 घन किलोमीटर गंदा जल निकलता है। इस गंदे जल को ऊर्जा तथा सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सकता है, पर ऐसा होता नहीं है। आइए जानें हर रोज कितना पानी बरबाद कर देते हैं हम।
पानी की बरबादी
मुंबई और दिल्ली जैसे दो महानगरों में वाहन धोने में ही प्रतिदिन 1.20 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी खर्च हो जाता है।दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की ख़राबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में क़रीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी खर्च होता है।
बिन पानी सब सून
पीने के लिए मानव को प्रतिदिन तीन लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
एक लीटर गाय का दूध पाने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है।
एक किलो गेहूं उगाने के लिए एक हज़ार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हज़ार लीटर पानी चाहिए।
भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
भारतीय गावों में आज भी स्त्रियां पीने के पानी के लिए प्रतिदिन औसतन चार मील पैदल चलती है।
कहां पर कितना है पानी
पृथ्वी का 70% से अधिक हिस्सा जल से भरा है। जिस पर 1 अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। इसका 97.3
प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 2.7% मीठा जल है।
इस पानी का 75.2 प्रतिशत भाग ध्रुवीय क्षेत्रों में और 22.6 प्रतिशत भूमि जल के रूप में है। शेष भाग झीलों,
नदियों, कुओं, वायुमंडल में, नमी के रूप में तथा हरे पेड़-पौधों में उपस्थित होता है।
उपयोग आने वाला जल का हिस्सा थोड़ा ही है, जो नदियों, झीलों, तथा भूमि जल के रूप में मौजूद है।
उपयोगी पानी का 60 प्रतिशत हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खर्च होता है, बाकी 40 प्रतिशत हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं सफ़ाई में खर्च होता है।
पानी की बरबादी
मुंबई और दिल्ली जैसे दो महानगरों में वाहन धोने में ही प्रतिदिन 1.20 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी खर्च हो जाता है।दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की ख़राबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में क़रीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी खर्च होता है।
बिन पानी सब सून
पीने के लिए मानव को प्रतिदिन तीन लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
एक लीटर गाय का दूध पाने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है।
एक किलो गेहूं उगाने के लिए एक हज़ार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हज़ार लीटर पानी चाहिए।
भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
भारतीय गावों में आज भी स्त्रियां पीने के पानी के लिए प्रतिदिन औसतन चार मील पैदल चलती है।
कहां पर कितना है पानी
पृथ्वी का 70% से अधिक हिस्सा जल से भरा है। जिस पर 1 अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। इसका 97.3
प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 2.7% मीठा जल है।
इस पानी का 75.2 प्रतिशत भाग ध्रुवीय क्षेत्रों में और 22.6 प्रतिशत भूमि जल के रूप में है। शेष भाग झीलों,
नदियों, कुओं, वायुमंडल में, नमी के रूप में तथा हरे पेड़-पौधों में उपस्थित होता है।
उपयोग आने वाला जल का हिस्सा थोड़ा ही है, जो नदियों, झीलों, तथा भूमि जल के रूप में मौजूद है।
उपयोगी पानी का 60 प्रतिशत हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खर्च होता है, बाकी 40 प्रतिशत हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं सफ़ाई में खर्च होता है।