पिछले कुछ महीनों से देश की प्रगति में जिस तरह से बदलाव आया है, उसे देखकर लगता है कि समय ने एक नई करवट ली है। हरियाणा-महाराष्ट्र में हाल ही में हुए चुनाव का प्रतिशत बढ़ा है। अब लोग अपने मताधिकार को लेकर भी सचेत होने लगे हैं। पेट्रोल के दाम कम हुए हैं, डीजल के दाम कम होने वाले हैं। महंगाई दर पिछले 5 वर्षो में सबसे नीचे है। लोगों को ऐसा लग रहा है कि अब निश्चित रूप से अच्छे दिन आने वाले हैं। ऐसी सोच रखने वाले आज के युवा भी कुछ नए संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। देश का भविष्य युवाओं के हाथों में है। युवा देश की दिशा और दशा बदलने में सक्षम हैं।
बातें जब युवा की हो, तो सबसे पहले सवाल यह सामने आता है कि युवा माना किसे जाए। उम्र से या अनुभव है। मेरी दृष्टि में युवा वे हैं, जो युवा सोच रखते हैं। एक शतायु बुजुर्ग भी यदि बाधा दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं, तो उन्हें युवा कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। इसलिए युवा देश का भविष्य तभी बदल सकते हैं, जब उनके पास नई सोच, नई ऊर्जा और नए विचार हों। इसे साबित करने के लिए उनमें एक जुनून भी हो, तभी उनकी सोच काम कर पाएगी। इसलिए परंपरावादी युवाओं के पास अपने निजी विचार नहीं होते। युवा का आशय यह भी है कि निरंतर नई ऊर्जा के साथ कुछ नया सोचते रहना। उनके आइडिया यदि किसी का जीवन बदल सकते हैं, तो इसे युवा शक्ति की सार्थकता कहा जाएगा। इसलिए जब यह कहा जाता है कि क्या देश की प्रगति या विकास में भारत के युवाओं के बढ़ते चरण कारगर साबित होंगे, तो इसके जवाब में यही कहा जा सकता है कि जी हाँ आज के युवाओं में वह बात है, जो देश को कुछ नया दे सकते हैं। आज देश के शीर्ष पदों को सुशोभित करने वाले लोग युवा सोच रखते हैं। चाहे वह मुकेश अंबानी हो, अनिल अंबानी हों, या फिर रतन टाटा, यह सूची काफी लम्बी हो सकती है। पर यक सभी युवा सोच के साथ ही आगे बढ़ रहे हैं।
हमारा देश युवा सोच रखने वालों का देश है। देश का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जिसमें युवाओं ने अपना वर्चस्व स्थापित न किया हो। इसलिए यह कहा जा सकता है कि देश के विकास में हमारे युवा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
बातें जब युवा की हो, तो सबसे पहले सवाल यह सामने आता है कि युवा माना किसे जाए। उम्र से या अनुभव है। मेरी दृष्टि में युवा वे हैं, जो युवा सोच रखते हैं। एक शतायु बुजुर्ग भी यदि बाधा दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं, तो उन्हें युवा कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। इसलिए युवा देश का भविष्य तभी बदल सकते हैं, जब उनके पास नई सोच, नई ऊर्जा और नए विचार हों। इसे साबित करने के लिए उनमें एक जुनून भी हो, तभी उनकी सोच काम कर पाएगी। इसलिए परंपरावादी युवाओं के पास अपने निजी विचार नहीं होते। युवा का आशय यह भी है कि निरंतर नई ऊर्जा के साथ कुछ नया सोचते रहना। उनके आइडिया यदि किसी का जीवन बदल सकते हैं, तो इसे युवा शक्ति की सार्थकता कहा जाएगा। इसलिए जब यह कहा जाता है कि क्या देश की प्रगति या विकास में भारत के युवाओं के बढ़ते चरण कारगर साबित होंगे, तो इसके जवाब में यही कहा जा सकता है कि जी हाँ आज के युवाओं में वह बात है, जो देश को कुछ नया दे सकते हैं। आज देश के शीर्ष पदों को सुशोभित करने वाले लोग युवा सोच रखते हैं। चाहे वह मुकेश अंबानी हो, अनिल अंबानी हों, या फिर रतन टाटा, यह सूची काफी लम्बी हो सकती है। पर यक सभी युवा सोच के साथ ही आगे बढ़ रहे हैं।
हमारा देश युवा सोच रखने वालों का देश है। देश का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जिसमें युवाओं ने अपना वर्चस्व स्थापित न किया हो। इसलिए यह कहा जा सकता है कि देश के विकास में हमारे युवा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
डॉ. महेश परिमल
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