शनिवार, 8 नवंबर 2008
सौंदर्य प्रसाधनों पर आश्रित नहीं है सुंदरता
भारती परिमल
सुंदरता सभी को अच्छी लगती है और सुंदरता का सानिध्य भी. जब बाहरी सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता है, तब यह बात विचारणीय हो जाती है कि क्या सफल और लोकप्रिय होने के लिए सुंदर होना ंजरुरी है? सही मायनों में सुंदरता, सौंदर्य प्रसाधनों पर निर्भर नहीं रहती. आज खूबसूरती की परिभाषा बदल गई है. केवल सुंदर नैन-नक्श, गोरा रंग, ऊँचा कद, पतली कमर ही सुंदरता की परिधि में नहीं आते. आज सुंदरता का पैमाना आकर्षक व्यक्तित्व, बुध्दिमता, हांजिर जवाबी, आत्मविश्वास आदि को माना जाता है. ंजरुरी नहीं कि ये सभी गुण व्यक्ति में जन्म से ही हो. लेकिन यह भी सच है कि इन सभी गुणों को अपने अंदर प्रयासों से विकसित किया जा सकता है. यहाँ हम कुछ ऐसे उपाय दे रहे हैं, जिन्हें अपनाकर साधारण नैन-नक्श वाले भी बिना सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग के सभी के बीच आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं-
1. आपका व्यक्तिगत दृष्टिकोण-सबसे पहले आप स्वयं के बारे में अपना एक दृष्टिकोण बनाएँ. फिर कल्पना करें कि आप अपने आप में क्या परिवर्तन देखना चाहते हैं. अपने मस्तिष्क में स्वयं की एक छवि बना लें, उसके बाद उसे साकार करने का प्रयत्न करें. किसी अभिनेत्री या मॉडल से प्रेरित होकर कभी भी स्वयं के विषय में ऐसी कल्पना न करें, जो संभव ही न हो. हमेशा यथार्थ के धरातल पर रहते हुए सटीक कल्पना करें. जैसे यदि आप मोटी हैं, तो छरहरी काया की, और साँवली हैं, तो निखरी त्वचा की कल्पना कर सकती हैं, क्योंकि यह सभी प्रयत्नों के द्वारा संभव है.
2. दर्पण बढ़ाए प्रोत्साहन - दर्पण में वास्तविकता झलकती है. कहा भी जाता है कि दर्पण झूठ न बोले. आप जैसे हैं, आपका प्रतिबिम्ब वैसा ही दर्पण में स्पष्ट झलकता है. दर्पण आपकी कल्पना को साकार करने में आपका सच्चा मित्र साबित हो सकता है. जब भी दर्पण में अपना चेहरा देखें, स्वयं मे किए जा सकने वाले परिवर्तनों की कल्पना करें. इसकी सहायता से ही आप स्वयं में हुए सकारात्मक परिवर्तनों के बारे में जान सकते हैं. यह भी ध्यान रखें कि कभी भी विकृत, धव्बेयुक्त या टूटे हुए दर्पण का प्रयोग न करें, क्योंकि इसमें बनने वाला प्रतिबिम्ब भी विकृत ही होगा. परिणामत: आप स्वयं के बारे में वैसी ही धारणा मन में बिठा लेंगे. आपके आत्मविश्वास में भी कमी आएगी और उसी के अनुरूप आपके व्यवहार और विचारों में नकारात्मकता आएगी.
3. स्वयं के लिए समय निकालें- आप चाहें कामकाजी हो, या गृहिणी. सप्ताह में एक दिन स्वयं के लिए समय अवश्य निकालें. कभी बालों को हिना करें, कभी मेनिक्योर, पेडिक्योर या फेशियल, वेक्सिंग करें. कभी चेहरे पर लेप लगाकर सूखने तक ऑंखें बंद कर आराम करें. इस प्रकार आप अपने दिनचर्या में से कुछ समय निकाल कर स्वयं को देंगी, तो निश्चित ही आपके सौंदर्य के साथ-साथ आत्मविश्वास में भी वृध्दि होगी. सुंदरता आपके अंदर ही छिपी होती है. आवश्यकता है, केवल उसे निखारने की. आपका आकर्षक लगना यह साबित करता है कि आप अपने शरीर एवं त्वचा का कितना ध्यान रखती हैं.
4. आत्मविश्वासी बनें- आप जो भी पहनें, जैसा भी पहनें, परंतु अपने भीतर आत्मविश्वास की कमी न आने दें. यदि आप समयाभाव या अन्य किसी कारण से कपड़ो पर प्रेस करना भूल गए हों, परिधान के अनुरूप श्रृंगार न कर पाए हों, तो इसके लिए अधिक व्यग्र होने की ंजरूरत नहीं. आपकी व्यग्रता से दूसरों का ध्यान सहज ही आपकी ओर केंद्रित हो जाएगा. इसकी अपेक्षा यदि आप इस ओर ध्यान न देते हुए अपना काम पूरे आत्मविश्वास के साथ करेंगे, तो लोगों को अपनी ईमानदारी से आकर्षित कर पाएंगे और प्रशंसा के पात्र भी बनेंगे. दूसरों के द्वारा प्राप्त प्रशंसा को दिल से स्वीकारें, क्योंकि यह प्रशंसा आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है, इसके विपरित यदि आप अपनी प्रशंसा सुनकर उसे अनसुनी कर देंगें, तो सामने वाला इसे अपना अपमान समझेगा और भविष्य में आपकी प्रशंसा करना तो दूर, आपसे दो बातें करने में भी दो पल सोचेगा. इससे बेहतर है कि अपनी प्रशंसा सुनकर हल्की मुस्कराहट के साथ उसका धन्यवाद करें और इस गरिमामय प्रशंसा को स्वीकार करें. आत्मविश्वास की राह में प्रशंसा एक सीढ़ी का काम करती है. इस पर चढ़कर आपको अहंकार को नहीं छूना है, वरन् सौम्यता को अपने व्यवहार में स्थान देकर एक नया सफर तय करना है.
5. प्रतिदिन एक कार्य आत्मसंतोष के लिए करें- किसी असहाय की मदद करना, बीमार की सेवा करना, भूखे को खाना खिलाना, निरीह पशु-पक्षी का ध्यान रखना आदि छोटे-छोटे कामों में असीम आनंद एवं संतोष मिलता है. इसके अतिरिक्त ज्ञानवर्धक पुस्तक पढ़ना या अपनी अभिरुचि के अनुसार नृत्य, संगीत, पेंटिंग या ऐसा कोई काम जो आपको आत्मिक संतोष देता हो, उसे करें. दूसरों की भावनाओं का ध्यान तो रखें ही साथ ही अपनी भावनाओं को भी ठुकराएँ नहीं. दूसरों की तरह आपका भी अस्तित्व है, यह बात कभी न भूलें. इसलिए ऐसे काम दिन में कोई एक अवश्य करें, जिससे स्वयं को आत्मसंतोष मिलें. उपर बताए गए तरीकों में से आप जो भी चुनें, उसे अपनाकर स्वयं में होने वाले परिवर्तनों को, भावनाओं को और अनुभवों को डायरी मेें कलमबध्द करना न भूलें. फिर देखें आपके चेहरे पर आत्मसंतोष का कैसा निखार आता है.
6. सहयोगी मित्र बनाएँ- ऐसे सहयोगी मित्रों की तलाश करें, जो आपको यह बताने में बिल्कुल न झिझकें कि किस प्रकार के वस्त्र, आभूषण आदि आप पर खिलते हैं और किस प्रकार के नहीं. यदि आप स्वयं में कुछ नया परिवर्तन करना चाहें, तो आपको हतोत्साहित करने की अपेक्षा प्रोत्साहित करें. साथ ही आपकी तारीफ में दो शद्व कहने से भी न चूकें. उनके द्वारा की गई प्रशंसा से प्रोत्साहित हो कर आप नए सिरे से स्वयं को निखारने का प्रयत्न करें. यह प्रशंसा आपके लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करेगी और आपके लक्ष्यप्राप्ति में सहायक होगी. ध्यान रखें, ऐसा ही व्यवहार सहयोगी मित्र के प्रति आप भी अपनाएं.
7. अपने अंतर्मन की आवाज सुनें- प्रत्येक व्यक्ति,अपनी आत्मा की आवाज सुन सकता है. यही आवाज उसे सही और गलत में भेद समझाकर सही दिशा में प्रेरित करती है, किंतु या तो हमारे पास इस आवाज को सुनने का समय नहीं होता, या हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं. यदि हम इसे सुनें तो कभी भी स्वयं के प्रति लापरवाह नहीं हो सकते. उदाहरणस्वरूप - आइस्क्रीम, वेफर्स, फास्टफुड, कोल्डड्रिंक, नशीले पदार्थ आदि हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हैं. यह हम अच्छी तरह से जानते हैं. कई बार हमारी अंतरात्मा हमें इससे रोकती भी है, किंतु हम इसकी आवाज को जिव्हा लोलुपता के कारण अनसुनी कर देते हैं. परिणामत: मोटापा, बैडोल शरीर, मधुमेह, केन्सर आदि अनेक व्याधियों के शिकार बन जाते हैं. इसीलिए अंतर्मन की आवाज को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए. हमेशा उससे प्रेरित होकर सही मार्ग चुनें.
8. सुंदरता को व्यक्त करना सीखें- स्वयं के प्रति आप जैसी भावना रखेंगे, वैसी ही भावना अन्य लोग के मन में आपके प्रति उत्पन्न होगी. यदि आप स्वयं को सुंदर और आकर्षक महसूस करेंगे, तो दूसरे भी आपके प्रति ऐसा ही सोचेंगे और यदि आप स्वयं को बदसूरत एवं आकर्षणहीन समझेंगे, तो निश्चित ही यही भाव सामने वाले के मन में आपके प्रति उत्पन्न होंगे. इसलिए स्वयं को दूसरों के समक्ष प्रस्तुत करने का तरीका बदलें. स्वयं को नया और बेहतर लुक देने के लिए हमेशा कुछ अलग हटकर और नया करने का प्रयास करें. कभी अपना हेयर स्टाइल बदलें, परिधान में कभी रंगों का चयन अलग हो. स्वयं के लिए मन में कभी नकारात्मक विचार न आने दें. कहीं निकलने के पूर्व एक क्षण को रूकें, स्वयं को दर्पण में निहारें, ऑंखें बंद करके गहरी साँस लें और स्वयं को दिनभर के लिए ऊर्जावान महसूस करें, फिर आत्मविश्वास के साथ निकल पड़े लक्ष्य की ओर.
व्यक्तित्व निखार के ये टिप्स आप में एक नई ऊर्जा भर देंगे, यह मानकर चलें कि बदसूरती हमारे ही भीतर होती है, उसे हमारा आत्मविश्वास ही खूबसूरत बनाता है. इन टिप्स को अपनाकर आप लोगों के बीच खूबसूरती की एक नई परिभाषा देंगे.
भारती परिमल
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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बहुत ही अच्छा और जानकारी भरा आलेख।
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं प्रेरक लेख
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और सार्थक आलेख है.सचमुच इन उपायों को यदि आत्मसात कर लें और इसे व्यवहार में लायें तो यह सर्वथा जीवनोपयोगी होगी और फ़िर मन में हीन भावना कभी घर ही नही कर पायेगी.
जवाब देंहटाएंमहेश जी..
जवाब देंहटाएंकैसे जानते हैं आप इतना कुछ.. और सबसे बड़ी बात की कैसे आप इतनी सहजता से अपनी बात कह लेते हैं..
आप के लेख मैं तो नियमित रूप से पढता ही हूँ और अपने उन मित्रों को जो ब्लॉग्गिंग नहीं जानते, ई मेल कर के भी भेजता हूँ. अब धीरे धीरे समझ पा रहा हूँ की डाक्टर कैसे एक मिनट में मरीज के भीतर झांक लेते हैं.. शायद इसके पीछे चिकित्सकीय ज्ञान के अलावा भी बहुत कुछ समझ छिपी हुई होती है.