गुरुवार, 12 मार्च 2009
देश का पहला हिन्दी भाषा लैब मध्यप्रदेश में
सागर [मप्र]। मध्यप्रदेश के डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में देश का अपनी तरह का पहला हिन्दी भाषा का लैब खोला जाएगा। यह जानकारी विश्वविद्यालय के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मिलने वाले अनुदानों के लिए पेश किए गए प्रस्तावों की जांच के लिए सागर आए विश्वविद्यालय अनुदान विभाग की समिति के संयोजक व चंडीगढ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आर.सी. सोबती ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान दी। प्रो.साबती ने मध्यप्रदेश के पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने वाले डा. हरिसिंह गौर विवि में इंस्टीट्यूट आफ वूमेन स्टडीज व मानवाधिकार से जुडे पाठ्यक्रमों को शुरू किए जाने को आवश्यक बताया। उन्होंने विवि में लडकियों के लिए नए सर्व सुविधायुक्त छात्रावास, परिवहन की सुविधा व स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया। दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत विश्वविद्यालय को मिले अनुदान की राशि के उपयोग को संतोषजनक बताते हुए यूजीसी समिति के साथ आए यूजीसी के ही उपसचिव एस. जिलानी ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विश्वविद्यालय को सभी विभागों के लिए पर्याप्त अनुदान दिया जाएगा। जिलानी ने बताया कि यूजीसी ऐसी समिति देश भर के विश्वविद्यालयों में हर पांच साल में एक बार भेजता है, जिससे विश्वविद्यालय की विकासात्मक, बुनियादी ढांचे के विस्तार व शैक्षणिक गतिविधियों के सुधार से संबंधित प्रस्तावों की जांच कर अनुदान मुहैया कराया जा सके। गौरतलब है कि दो दिनों के दौरे पर 16 फरवरी को सागर आई यूजीसी की टीम ने डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के सभी विभागों व गैर शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया। इस दौरान समिति के समक्ष विश्वविद्यालय के सभी विभागों की ओर से करीब 1148 करोड के प्रस्ताव पेश किए गए। समिति के ही अन्य सदस्य अमृतसर के गुरु नानक विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर आर.के. बेदी ने बताया कि सभी देशी व विदेशी भाषाओं के अध्ययन की सुविधा एक ही छत के नीचे मुहैया कराने के लिए सागर विश्वविद्यालय में स्कूल आफ लैंग्वेज स्थापित किए जाने का भी प्रस्ताव है। डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कलाओं के विभाग दृश्य एवं श्रव्य विभाग की उपलब्धियों को शानदार बताते हुए समिति के सदस्य व हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर के. मधुसूदन रेड्डी ने कहा कि इस विभाग के लिए बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराई जाएगी।
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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इस जानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंयह पहल एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है यदि इस लैब के उद्देश्य एवं लक्ष्य स्पष्ट रूप से परिभाषित कर लिये जाँय। ऐसा न हो कि किसी ऐसे कार्य को दोहराया जाय जो पहले ही कहीं किया जा चुका हो,या जिसकी जरूरत ही न हो, या जिसे कोई दूसरा अधिक अच्छी तरह कर सकता हो।
जवाब देंहटाएंबड़ी ख़ुशी की बात है कि हिंदी कि भाषा लैब सागर में बन रही है . बहुत बहुत आभार जानकारी के लिए.
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