मंगलवार, 19 जनवरी 2010

साधो यह हिजड़ों का गाँव



गिरीश पंकज


साधो यह हिजड़ों का गाँव-1
व्यंग्य-पद-

(1)

साधो यह हिजड़ों का गाँव।
कोयल चुप है, कौवे हिट हैं, करते काँव-काँव बस काँव।
सच कहने से बेहतर है तुम, बैठो जा कर शीतल छाँव।
नंगों की बस्ती में आखिर, कैसे जीतोगे तुम दाँव।
बचकर रहना नदी में कीचड़, फँस जाएगी जर्जर नाँव।
अच्छा है परदेस निकल लो, वहीं मिलेगी तुमको ठाँव।


चलने दो बस ठकुरसुहाती।
सच मत बोलो फट जाती है...साहब, भैयाजी की छाती।
जिनके दुराचरण पर जनता, हरदम मंगल गीत सुनाती ।
उसको नमन सभी करते हैं, जिनके हिस्से कुरसी आती।
खुद्दारी के पाठ पढ़ो मत, इससे जिनगी ना चल पाती।
अगर मलाई चाहो खाना, दिखना चौखट पर दिन-राती।

यह मेरा भगवान नहीं है।
मंदिर में दिखते सवर्ण सब, दलितों का स्थान नहीं है।
जितने पापी उतने पूजक, साधक का सम्मान नहीं है।
झूठे को वर, सच्चे को भी, यह तो कोई विधान नहीं है।
समदर्शी का क्या है मतलब, जब तक न्याय महान नहीं है ।
रिश्वत देते हैं दाता को, क्या उसका अपमान नहीं है ।

व्यंग्य -पद

साधो नौकर तो नौकर है।
चूहे को बिल्ली का डर है, नेता को दिल्ली का डर है।
आईएएस और आईपीएस? इन सबका भी झुकता सर है।
वो भी नौकर ये भी नौकर, कहाँ कोई सुरखाबी पर है।
इक नौकर गाड़ी में चलता, इक पैदल जाता दफ्तर है।
गर्व न करना सूट-बूट का, कुछ दिन का बस ये चक्कर है।

सच्चा जीवन सबसे बेहतर।
जैसे बाहर तुम दिखते हो, वैसा ही बस रहना भीतर।
हो अन्याय कहीं तो बेशक, चीखो थोड़ी-सी हिम्मत कर।
रचना अच्छी, जीवन गंदा, ऐसे में लगते हो जोकर।
आया था बेदाग मुसाफिर, जाना है बेदाग संभल कर।
पद-पैसा किस पे इतराए, मिल-जुल रे तू सबसे हँसकर।

याचक होना बहुत जरूरी।
बेचो खु़द को चौखट-चौखट, कहाँ की श्रद्धा और सबूरी?
देखो कौन सफल है अब तो, नंगे-लुच्चे, छप्पनछूरी।
अगर चाहिए सच्चा सुख तो, रहे न चाहत की मजबूरी।
जब तक जीवन तब तक आखिर, हुई वासना किसकी पूरी।
बिना याचना कुछ ना मिलता, बनी अगर प्रभुता से दूरी।

गिरीश पंकज

1 टिप्पणी:

  1. सच्चा जीवन सबसे बेहतर।
    जैसे बाहर तुम दिखते हो, वैसा ही बस रहना भीतर।
    हो अन्याय कहीं तो बेशक, चीखो थोड़ी-सी हिम्मत कर।
    रचना अच्छी, जीवन गंदा, ऐसे में लगते हो जोकर।
    आया था बेदाग मुसाफिर, जाना है बेदाग संभल कर।
    पद-पैसा किस पे इतराए, मिल-जुल रे तू सबसे हँसकर

    जोकर !! तब तो लगता है आज जोकर ज्यादा हैं!!! करनी और कथनी kahaaन सामान है अगर ऐसा होता तो देश महान हो जाता !!!

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