बजट
आया फ्रेंच शब्द बूजेत से, जिसका अर्थ है चमड़े का थैला या झोला। लेकिन हम
बजट का अर्थ निकालते हैं आय-व्यय के ब्योरे से। अक्सर यह भी कहते हैं कि
फलां वस्तु बजट से बाहर है, यानी हमारे बस की बात नहीं है? आखिर बजट शब्द
प्रचलन में कैसे आया?
इंग्लैंड से शुरू हुई परंपरा: किस्सा 1733 का है। ब्रिटिश वित्तमंत्री सर रॉबर्ट वालपोल संसद में वित्तीय प्रस्ताव पेश कर रहे थे। उन्होंने इससे जुड़े कागज चमड़े के थैले से निकाले। वालपोल का मजाक उड़ाते हुए कुछ दिन बाद एक पुस्तका प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था -‘बजट खुल गया’। उसी समय से सरकार के वार्षिक आय-व्यय के विवरण के लिए बजट शब्द का इस्तेमाल होने लगा। धीरे-धीरे यह ब्रिटिश राज में आने वाले देशों में भी प्रचलित हो गया।
भारत में कैसे आया बजट: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दमन के दो साल बाद वायसराय लॉर्ड केनिंग ने अपनी कार्यकारिणी में वित्त विशेषज्ञ जेम्स विल्सन को शामिल किया। विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया। इसके बाद हर साल बजट पेश होने लगा। वायसराय की परिषद में भारतीय प्रतिनिधियों को बजट पर बहस करने का अधिकार नहीं था। 1920 तक एक ही बजट बनता था। 1921 में रेल बजट अलग हुआ। तब से दो बजट पेश किए जाते हैं- रेल बजट और आम बजट।
संविधान में व्यवस्था: संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार राष्ट्रपति हर वर्ष सरकार को संसद में ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ रखने को कहते हैं। इसमें एक अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि का वित्तीय अनुमान होता है। 1967 से पहले तक वित्त वर्ष की अवधि एक मई से 30 अप्रैल तक होती थी, लेकिन कृषि फसल चक्र के हिसाब से ये नई अवधि तय की गई है। 1998-99 तक बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था। तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने परंपरा तोड़ी और सुबह 11 बजे बजट पेश होने लगा।
इंग्लैंड से शुरू हुई परंपरा: किस्सा 1733 का है। ब्रिटिश वित्तमंत्री सर रॉबर्ट वालपोल संसद में वित्तीय प्रस्ताव पेश कर रहे थे। उन्होंने इससे जुड़े कागज चमड़े के थैले से निकाले। वालपोल का मजाक उड़ाते हुए कुछ दिन बाद एक पुस्तका प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था -‘बजट खुल गया’। उसी समय से सरकार के वार्षिक आय-व्यय के विवरण के लिए बजट शब्द का इस्तेमाल होने लगा। धीरे-धीरे यह ब्रिटिश राज में आने वाले देशों में भी प्रचलित हो गया।
भारत में कैसे आया बजट: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दमन के दो साल बाद वायसराय लॉर्ड केनिंग ने अपनी कार्यकारिणी में वित्त विशेषज्ञ जेम्स विल्सन को शामिल किया। विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया। इसके बाद हर साल बजट पेश होने लगा। वायसराय की परिषद में भारतीय प्रतिनिधियों को बजट पर बहस करने का अधिकार नहीं था। 1920 तक एक ही बजट बनता था। 1921 में रेल बजट अलग हुआ। तब से दो बजट पेश किए जाते हैं- रेल बजट और आम बजट।
संविधान में व्यवस्था: संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार राष्ट्रपति हर वर्ष सरकार को संसद में ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ रखने को कहते हैं। इसमें एक अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि का वित्तीय अनुमान होता है। 1967 से पहले तक वित्त वर्ष की अवधि एक मई से 30 अप्रैल तक होती थी, लेकिन कृषि फसल चक्र के हिसाब से ये नई अवधि तय की गई है। 1998-99 तक बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था। तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने परंपरा तोड़ी और सुबह 11 बजे बजट पेश होने लगा।