बिना घोड़ों के तबेले पर ताला लगाने से क्या होगा?
डॉ. महेश परिमल
सफलता और शार्टकट के बीच कितना अंतर होता है। इसे साइकिलिस्ट आर्मस्ट्रांग के जीवन से समझा जा सकता है। आर्मस्ट्रांग को जुर्म कबूलने की वजह से कॅरियर के दौरान कमाई सारी जमा पूंजी लौटानी पड़ सकती है। प्रचार कंपनियां उनसे पैसा मांग सकती हैं। टेक्सास स्थित कंपनी एससीए प्रमोशन पहले ही आर्मस्ट्रांग को भुगतान की गई 1.2 करोड़ डॉलर की राशि वापस मांग चुकी है। अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने आर्मस्ट्रांग से वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक का कांस्य पदक छीन लिया है। अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग यूनियन भी उनसे सभी सातों टूर-डी-फ्रांस खिताब वापस ले चुका है। उनका बैंक खाता कभी भी खाली हो सकता है। विश्वसनीयता के सभी घोड़े भाग जाने के बाद ख्रिताब वापस लेना ठीक ऐसा ही है, जैसे खाली तबेले पर ताला लगा दिया गया हो। साइकिलिस्ट आर्मस्ट्रांग की टीम के साथी टेलर हेमिल्टन की किताब ‘द सिक्रेट रेस’ में ड्रग्स के सेवन करने वाले आर्मस्ट्रांग के फंडे कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। ड्रग्स लेने के बाद ब्लड टेस्ट में न पकड़े जाने के लिए आर्मस्ट्रांग डेढ़ सौ ग्राम मिर्च खा जाते थे। एंडी डोपिंग के विज्ञापन चाहे जितनी भी तरक्की कर लें, पर लगातार एक दशक तक डर्र्ग्स लेकर भी न पकड़े जाने वाले आर्मस्ट्रांग ने जो चाहा, उसे प्राप्त किया। एक तरफ उसने भारी प्रसिद्धि प्राप्त की, तो दूसरी तरफ कैंसर जैसे रोग से भी मुकाबला किया। कैंसर को मात देने की उसकी इच्छाशक्ति की सबने तारीफ की। क्रिकेटर युवराज ने भी उससे प्रेरणा ली।
आर्मस्ट्रांग के जीवन से यही सीखा जा सकता है कि सफलता प्राप्त करने के लिए येनकेनप्रकारेण कुछ भी किया जा सकता है। कहा जाता है कि जिस तरह से प्यार और जंग में सब कुछ जायज है,तो फिर साइकिलिंग भी किसी जंग से कम न थी आर्मस्ट्रांग के लिए। उसने अपने तमाम सुख-चैन निश्चित कर लिए। अब चाहे उसके सारे खिताब ले लिए जाएं, बैंक खाता खाली कर दिया जाए, फिर भी उसके पास ऐसा कुछ तो है ही, जिससे जीवन शांतिपूर्वक बिताया जा सके। आखिर कई कंपनियों की आय उसके विज्ञापन से ही तो बढ़ी होगी, जिनका विज्ञापन आर्मस्ट्रांग ने किया। आज भले ही उस पर हावी हो, पर जब उसके सितारे चमक रहे थे, तब यही कंपनियां उससे भारी मुनाफा कमा रही थी। अब तक अ को वर्ल्ड साइकिलिस्ट के रूप में लांस आर्मस्ट्रांग को कुल एक करोड़ 82 लाख डॉलर के इनाम प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा अनेक निजी कंपनियों एक विश्वविजेता के साथ अपने ब्रांड एम्बेसेडर को अंडरवियर से लेकर बाथरुम के फव्वारे तक का खर्च स्पांसर किया है। वह नाइकी, आईबीएम, मोटोरोला जैसी 21 कंपनियों का ब्रांड एम्बेसेडर रह चुका है। अमेरिका के अलावा फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड में आर्मस्ट्रांग के नाम पर पार्क, रास्ते और इमारतें हैं। फ्रांस के एक अत्यंत जोखिम ढलान को भी आर्मस्ट्रांग स्केवर का नाम दिया गया है। इन सबको अब नशीले आर्मस्ट्रांग के नाम पर हटाया जाना मुश्किल है।
टूर डी फ्रांस विजेता के रूप में अपार सफलता प्राप्त करने वाले आर्मस्ट्रांग ने एल ए स्पोर्ट्स अकादमी शुरू की है, 50 लाख डॉलर की यह उसके पास चल-अचल सम्पत्ति के रूप में है। दूसरे ओर कैंसर का इलाज करने वाली उसकी संस्था को स्वैच्छिक अनुदान के रूप में 8 करोड़ डॉलर मिले हैं। अब तक दुनिया यह मानती थी कि इस शान शौकत, लोकप्रियता, प्रतिष्ठा के पीछे आर्मस्ट्रांग एक साइकिलिस्ट होने के दौरान प्राप्त किया पराक्रम ही जिम्मेदार है, पर अब जब पता चल ही गया है कि इन सबके पीछे गैरकानूनी रूप से ड्रग्स का सेवन जवाबदार है, तो लोगों को एक झटका लगता है। पर यह झटका कोई सबक नहीं देता। आर्मस्ट्रांग का दोष केवल इतना ही नहीं है कि उसने ड्रग्स लेकर साइकिलिंग की कई स्पर्धाएं जीती। उसका दोष उस समय बढ़ गया, जब उसने लगातार दस वर्ष तक अपनी पूरी टीम को इस तरह का ड्रग्स लेने के लिए उकसाया। वो कभी पकड़ा भी न जाता, यदि उसकी टीम के साथी ने किताब न लिखी होती। किताब के लेखक हेमिल्टन के अनुसार साइकिलिंग की रेस जीतने के लिए उसके कोच और स्पोर्ट्स मेडिसीन के डॉक्टर अधिकतम क्षमता में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करना चाहते थे। उस समय उसे अर्थरोपोयटिन (ईपीओ) के रूप में जाने जाने वाले द्रव्य लेने को कहा गया था। खिलाड़ियों को यह ड्रग्स लेने के लिए मनाने की जिम्मेदारी आर्मस्ट्रांग ने उठाई थी। उस समय आर्मस्ट्रांग का वर्चस्व इतना अधिक था कि ड्रग्स लेने से इंकार करने वाले खिलाड़ी का कैरियर ही चौपट हो सकता था। यदि आर्मस्ट्रांग की टीम में शामिल होना है, तो ईपीओ का सेवन अत्यावश्यक था। उनके आदेश का पालन न केवल हेमिल्टन बल्कि ग्रेग हेनकेपी और फ्लायड लेंडिस ने भी किया। ‘द सिक्रेट रेस’ में किए गए रहस्योद्घाटन के अनुसार ड्रग्स का असर पकड़ में न आने पाए, इसके लिए आर्मस्ट्रांग ने डॉक्टरों की मदद से ऐसे अनेक तरकीबें आजमाई, जिससे शारीरिक क्षमता का विकास होता हो। आमतौर पर वे शाम के समय ड्रग्स का सेवन करते थे, क्योंकि रात में डोपिंग एजेंसी के अधिकारी जांच नहीं करते और 8-9 घंटे बाद लिए जाने वाले ब्लड के नमूने मे ईपीओ के पकड़े जाने की संभावना नहीं के बराबर होती है। साइकिल स्पोर्ट्स में खिलाड़ी के साथ कितनी ही मान्यता प्राप्त एनर्जी ड्रिंक्स ले जाने की छूट होती है।
आर्मस्ट्रांग ने अपनी टीम के लिए वितरित किए गए कोकाकोला के टीन का ढक्कन तोड़कर उसमें ईपीओ के इंजेक्शन छिपाकर उसे एल्यूमिनियम की नीब से टीन का सील बंद कर देने का नुस्खा अपनाया था। इस तरह से उसने बरसों तक डोपिंग एजेंसी को धोखा दिया। कितनी ही बार तो आर्मस्ट्रांग ने रेस के महत्वपूर्ण राउंड में अपने प्रतिस्पर्धी को अधिक अंतर से हराने के लिए सुबह ही ड्रग्स लेने का खतरा उठाया। टेलर हेमिल्टन ने कबूल किया है कि जब सुबह ड्रग्स लेने का आदेश आर्मस्ट्रांग अपने साथियों को देते थे, तो उनकी हालत खराब हो जाती थी। क्योंकि ड्रग्स लेने के बाद डोपिंग टेस्ट में न पकड़े जाएं, इसलिए आर्मस्ट्रांग अपने सामने ही उन्हें 100-150 ग्राम तीखी मिर्च धीरे-धीरे चबाचबाकर लेने को कहते। मिर्च में शामिल केप्सिनोइड और अन्य रसायन के कारण ब्लड के नमूने में ईपीओ के लक्षण बदल जाते थे। कितनी ही बार तात्कालिक और तेज एनर्जी डोज की आवश्यकता होती, तब डॉक्टर बड़ा खतरा उठाते हुए दूसरा तरीका आजमाते। सभी खिलाड़ियों के शरीर में से 300 सीसी रक्त निकालकर लेबोरेटरी में उस पर प्रक्रिया कर उसमें बहुत अधिक मात्रा में रक्तकण डाला जाता और उस पाउच में ही अर्थरोपोयटिन ड्रग मिला दिया जाता था। इसके बाद खिलाड़ियों को सुबह होटल में अपने कमरे में दीवार पर एडहेसिव टेप की सहायता से पाउट लटकाकर स्वयं ही रक्त अपने शरीर पर ले लिया करते। इससे खिलाड़ी में ताकत, स्फूर्ति और जुनून को बूस्टर डोज तैयार होता और उसकी क्षमता में 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिलता।
इतने गलत तरीके से प्राप्त ताकत और जुनून को साथ लेकर आर्मस्ट्रांग पहाड़ों की कठिन चढ़ाई साइकिल से तेजी से पूरी कर लेते। उसे देखकर हम सब तालियां बजाकर उसकी ताकत और क्षमता की प्रशंसा करते। अब पता चला कि पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पार करने के लिए आर्मस्ट्रांग ने किस तरह से शार्टकट का रास्ता तैयार किया। उसने स्वयं ही ड्रग्स लेकर नियमों को भंग किया, बल्कि अपने साथी खिलाड़ियों को भी उसका चस्का लगा दिया। इतने बड़े अपराध का सजा केवल इनाम और पदक को वापस ले लेने से पूरी नहीं हो सकती। यदि उसकी सारी सम्पत्ति को हस्तगत किया जाए और उसे जेल भेज दिया जाए, तो भविष्य में अन्य खिलाड़ी भी इस तरह का कार्य करने से एक बार डरेंगे। आर्मस्ट्रांग जब तक जेल में होंगे, लोग उन्हें एक धोखेबाज के रूप में ही पहचानेंगे। उसे तो उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के हिस्से की प्रतिभा को नष्ट करने का भी आरोप लगाया जाना चाहिए। कई ऐसे खिलाड़ियों को उसने हराया होगा,जो वास्तव में पदक के हकदार थे, पर उसके सामने टिक नहीं पाए, तो गुमनामी के अंधेरे में खो गए। उनमें से न जाने कितने ऐसे होंगे, जिनका सपना एक जांबाज साइकिलिस्ट बनना रहा होगा, पर आर्मस्ट्रांग के तरीकों ने उन्हें कहीं का नहीं रखा। दूसरी ओर डोपिंग टेस्ट केलिए नई जांच पद्धति का आविष्कार होना चाहिए। ताकि फिर कोई नया आर्मस्ट्रांग किसी भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी के सपने को तोड़ने की हिम्मत न कर सके।
डॉ. महेश परिमल
डॉ. महेश परिमल
सफलता और शार्टकट के बीच कितना अंतर होता है। इसे साइकिलिस्ट आर्मस्ट्रांग के जीवन से समझा जा सकता है। आर्मस्ट्रांग को जुर्म कबूलने की वजह से कॅरियर के दौरान कमाई सारी जमा पूंजी लौटानी पड़ सकती है। प्रचार कंपनियां उनसे पैसा मांग सकती हैं। टेक्सास स्थित कंपनी एससीए प्रमोशन पहले ही आर्मस्ट्रांग को भुगतान की गई 1.2 करोड़ डॉलर की राशि वापस मांग चुकी है। अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने आर्मस्ट्रांग से वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक का कांस्य पदक छीन लिया है। अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग यूनियन भी उनसे सभी सातों टूर-डी-फ्रांस खिताब वापस ले चुका है। उनका बैंक खाता कभी भी खाली हो सकता है। विश्वसनीयता के सभी घोड़े भाग जाने के बाद ख्रिताब वापस लेना ठीक ऐसा ही है, जैसे खाली तबेले पर ताला लगा दिया गया हो। साइकिलिस्ट आर्मस्ट्रांग की टीम के साथी टेलर हेमिल्टन की किताब ‘द सिक्रेट रेस’ में ड्रग्स के सेवन करने वाले आर्मस्ट्रांग के फंडे कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। ड्रग्स लेने के बाद ब्लड टेस्ट में न पकड़े जाने के लिए आर्मस्ट्रांग डेढ़ सौ ग्राम मिर्च खा जाते थे। एंडी डोपिंग के विज्ञापन चाहे जितनी भी तरक्की कर लें, पर लगातार एक दशक तक डर्र्ग्स लेकर भी न पकड़े जाने वाले आर्मस्ट्रांग ने जो चाहा, उसे प्राप्त किया। एक तरफ उसने भारी प्रसिद्धि प्राप्त की, तो दूसरी तरफ कैंसर जैसे रोग से भी मुकाबला किया। कैंसर को मात देने की उसकी इच्छाशक्ति की सबने तारीफ की। क्रिकेटर युवराज ने भी उससे प्रेरणा ली।
आर्मस्ट्रांग के जीवन से यही सीखा जा सकता है कि सफलता प्राप्त करने के लिए येनकेनप्रकारेण कुछ भी किया जा सकता है। कहा जाता है कि जिस तरह से प्यार और जंग में सब कुछ जायज है,तो फिर साइकिलिंग भी किसी जंग से कम न थी आर्मस्ट्रांग के लिए। उसने अपने तमाम सुख-चैन निश्चित कर लिए। अब चाहे उसके सारे खिताब ले लिए जाएं, बैंक खाता खाली कर दिया जाए, फिर भी उसके पास ऐसा कुछ तो है ही, जिससे जीवन शांतिपूर्वक बिताया जा सके। आखिर कई कंपनियों की आय उसके विज्ञापन से ही तो बढ़ी होगी, जिनका विज्ञापन आर्मस्ट्रांग ने किया। आज भले ही उस पर हावी हो, पर जब उसके सितारे चमक रहे थे, तब यही कंपनियां उससे भारी मुनाफा कमा रही थी। अब तक अ को वर्ल्ड साइकिलिस्ट के रूप में लांस आर्मस्ट्रांग को कुल एक करोड़ 82 लाख डॉलर के इनाम प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा अनेक निजी कंपनियों एक विश्वविजेता के साथ अपने ब्रांड एम्बेसेडर को अंडरवियर से लेकर बाथरुम के फव्वारे तक का खर्च स्पांसर किया है। वह नाइकी, आईबीएम, मोटोरोला जैसी 21 कंपनियों का ब्रांड एम्बेसेडर रह चुका है। अमेरिका के अलावा फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड में आर्मस्ट्रांग के नाम पर पार्क, रास्ते और इमारतें हैं। फ्रांस के एक अत्यंत जोखिम ढलान को भी आर्मस्ट्रांग स्केवर का नाम दिया गया है। इन सबको अब नशीले आर्मस्ट्रांग के नाम पर हटाया जाना मुश्किल है।
टूर डी फ्रांस विजेता के रूप में अपार सफलता प्राप्त करने वाले आर्मस्ट्रांग ने एल ए स्पोर्ट्स अकादमी शुरू की है, 50 लाख डॉलर की यह उसके पास चल-अचल सम्पत्ति के रूप में है। दूसरे ओर कैंसर का इलाज करने वाली उसकी संस्था को स्वैच्छिक अनुदान के रूप में 8 करोड़ डॉलर मिले हैं। अब तक दुनिया यह मानती थी कि इस शान शौकत, लोकप्रियता, प्रतिष्ठा के पीछे आर्मस्ट्रांग एक साइकिलिस्ट होने के दौरान प्राप्त किया पराक्रम ही जिम्मेदार है, पर अब जब पता चल ही गया है कि इन सबके पीछे गैरकानूनी रूप से ड्रग्स का सेवन जवाबदार है, तो लोगों को एक झटका लगता है। पर यह झटका कोई सबक नहीं देता। आर्मस्ट्रांग का दोष केवल इतना ही नहीं है कि उसने ड्रग्स लेकर साइकिलिंग की कई स्पर्धाएं जीती। उसका दोष उस समय बढ़ गया, जब उसने लगातार दस वर्ष तक अपनी पूरी टीम को इस तरह का ड्रग्स लेने के लिए उकसाया। वो कभी पकड़ा भी न जाता, यदि उसकी टीम के साथी ने किताब न लिखी होती। किताब के लेखक हेमिल्टन के अनुसार साइकिलिंग की रेस जीतने के लिए उसके कोच और स्पोर्ट्स मेडिसीन के डॉक्टर अधिकतम क्षमता में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करना चाहते थे। उस समय उसे अर्थरोपोयटिन (ईपीओ) के रूप में जाने जाने वाले द्रव्य लेने को कहा गया था। खिलाड़ियों को यह ड्रग्स लेने के लिए मनाने की जिम्मेदारी आर्मस्ट्रांग ने उठाई थी। उस समय आर्मस्ट्रांग का वर्चस्व इतना अधिक था कि ड्रग्स लेने से इंकार करने वाले खिलाड़ी का कैरियर ही चौपट हो सकता था। यदि आर्मस्ट्रांग की टीम में शामिल होना है, तो ईपीओ का सेवन अत्यावश्यक था। उनके आदेश का पालन न केवल हेमिल्टन बल्कि ग्रेग हेनकेपी और फ्लायड लेंडिस ने भी किया। ‘द सिक्रेट रेस’ में किए गए रहस्योद्घाटन के अनुसार ड्रग्स का असर पकड़ में न आने पाए, इसके लिए आर्मस्ट्रांग ने डॉक्टरों की मदद से ऐसे अनेक तरकीबें आजमाई, जिससे शारीरिक क्षमता का विकास होता हो। आमतौर पर वे शाम के समय ड्रग्स का सेवन करते थे, क्योंकि रात में डोपिंग एजेंसी के अधिकारी जांच नहीं करते और 8-9 घंटे बाद लिए जाने वाले ब्लड के नमूने मे ईपीओ के पकड़े जाने की संभावना नहीं के बराबर होती है। साइकिल स्पोर्ट्स में खिलाड़ी के साथ कितनी ही मान्यता प्राप्त एनर्जी ड्रिंक्स ले जाने की छूट होती है।
आर्मस्ट्रांग ने अपनी टीम के लिए वितरित किए गए कोकाकोला के टीन का ढक्कन तोड़कर उसमें ईपीओ के इंजेक्शन छिपाकर उसे एल्यूमिनियम की नीब से टीन का सील बंद कर देने का नुस्खा अपनाया था। इस तरह से उसने बरसों तक डोपिंग एजेंसी को धोखा दिया। कितनी ही बार तो आर्मस्ट्रांग ने रेस के महत्वपूर्ण राउंड में अपने प्रतिस्पर्धी को अधिक अंतर से हराने के लिए सुबह ही ड्रग्स लेने का खतरा उठाया। टेलर हेमिल्टन ने कबूल किया है कि जब सुबह ड्रग्स लेने का आदेश आर्मस्ट्रांग अपने साथियों को देते थे, तो उनकी हालत खराब हो जाती थी। क्योंकि ड्रग्स लेने के बाद डोपिंग टेस्ट में न पकड़े जाएं, इसलिए आर्मस्ट्रांग अपने सामने ही उन्हें 100-150 ग्राम तीखी मिर्च धीरे-धीरे चबाचबाकर लेने को कहते। मिर्च में शामिल केप्सिनोइड और अन्य रसायन के कारण ब्लड के नमूने में ईपीओ के लक्षण बदल जाते थे। कितनी ही बार तात्कालिक और तेज एनर्जी डोज की आवश्यकता होती, तब डॉक्टर बड़ा खतरा उठाते हुए दूसरा तरीका आजमाते। सभी खिलाड़ियों के शरीर में से 300 सीसी रक्त निकालकर लेबोरेटरी में उस पर प्रक्रिया कर उसमें बहुत अधिक मात्रा में रक्तकण डाला जाता और उस पाउच में ही अर्थरोपोयटिन ड्रग मिला दिया जाता था। इसके बाद खिलाड़ियों को सुबह होटल में अपने कमरे में दीवार पर एडहेसिव टेप की सहायता से पाउट लटकाकर स्वयं ही रक्त अपने शरीर पर ले लिया करते। इससे खिलाड़ी में ताकत, स्फूर्ति और जुनून को बूस्टर डोज तैयार होता और उसकी क्षमता में 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिलता।
इतने गलत तरीके से प्राप्त ताकत और जुनून को साथ लेकर आर्मस्ट्रांग पहाड़ों की कठिन चढ़ाई साइकिल से तेजी से पूरी कर लेते। उसे देखकर हम सब तालियां बजाकर उसकी ताकत और क्षमता की प्रशंसा करते। अब पता चला कि पहाड़ों की कठिन चढ़ाई पार करने के लिए आर्मस्ट्रांग ने किस तरह से शार्टकट का रास्ता तैयार किया। उसने स्वयं ही ड्रग्स लेकर नियमों को भंग किया, बल्कि अपने साथी खिलाड़ियों को भी उसका चस्का लगा दिया। इतने बड़े अपराध का सजा केवल इनाम और पदक को वापस ले लेने से पूरी नहीं हो सकती। यदि उसकी सारी सम्पत्ति को हस्तगत किया जाए और उसे जेल भेज दिया जाए, तो भविष्य में अन्य खिलाड़ी भी इस तरह का कार्य करने से एक बार डरेंगे। आर्मस्ट्रांग जब तक जेल में होंगे, लोग उन्हें एक धोखेबाज के रूप में ही पहचानेंगे। उसे तो उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के हिस्से की प्रतिभा को नष्ट करने का भी आरोप लगाया जाना चाहिए। कई ऐसे खिलाड़ियों को उसने हराया होगा,जो वास्तव में पदक के हकदार थे, पर उसके सामने टिक नहीं पाए, तो गुमनामी के अंधेरे में खो गए। उनमें से न जाने कितने ऐसे होंगे, जिनका सपना एक जांबाज साइकिलिस्ट बनना रहा होगा, पर आर्मस्ट्रांग के तरीकों ने उन्हें कहीं का नहीं रखा। दूसरी ओर डोपिंग टेस्ट केलिए नई जांच पद्धति का आविष्कार होना चाहिए। ताकि फिर कोई नया आर्मस्ट्रांग किसी भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी के सपने को तोड़ने की हिम्मत न कर सके।
डॉ. महेश परिमल