शुक्रवार, 4 जुलाई 2008
छोटे परदे पर बड़ों का कब्जा
डॉ. महेश परिमल
आजकल मायानगरी के सितारे छोटे परदे पर कब्जा जमाने में लगे हैं। अब उन्हें पता चल गया है कि यह बुद्धू बक्सा बड़े काम का है। यही वह माध्यम है, जिससे गाँव-गाँव तक पहुँचा जा सकता है। टीवी आज सुदूर गाँव तक अपनी पहुँच गया है, इसे हम सभी जानते हैं। आज बॉलीवुड के कई अभिनेता टीवी पर आने की कोशिश कर रहे हैं, कुछ तो इसमें सफल भी हो गए हैं। टीवी की अहमियत को अब हर कोई समझने लगा है, इसलिए हालात लगातार बदल रहे हैं। अब टीवी का एक बहुत ही बड़ा वर्ग उन दर्शकों का है,जो महानगरों में नहीं रहता, बल्कि सुदूर गाँवों में रहता है और अपने मनपसंद नायक-नायिका को अपने ड्राइंग रुम में पाता है।
टीवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में होता है 'टेम' याने टेलीविजन ओडियंस मेजरमेंट, यही 'टेम' है,जो दर्शकों के साथ-साथ धारावाहिकों के निर्माताओं को आकर्षित करता है। यह एक प्रकार की रेटिंग है, अखबारों में पाठकों की संख्या महत्व की होती है, उसी तरह टीवी चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों का 'टेम' महत्वपूर्ण है। टीवी की आवक विज्ञापनों से होती है। इन दिनों टीवी पर करीब 300 चैनल दिखाए जा रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक 200 और नए चैनल आ जाएँगे। तब स्पर्धा और बढ़ेगी, दर्शकों को अपनी ओर खींचने के लिए ये चैनल नित नए प्रयोग करेंगे, इस स्पर्धा में अपने को टिकाए रखने के लिए कुछ चैनल अश्लीलता को भी परोसेंगे, इसमें शक नहीं। निश्चित रूप से इस तरह के चैनलों का अपना दर्शक वर्ग होगा। लोग इसमें रुचि लेने लगेंगे। इसलिए जो कुछ होगा, वह दर्शकों की पसंद का ही होगा, यह तय है।
पहले बॉलीवुड स्टार्स टीवी को हिकारत की नजर से देखते थे, टीवी पर काम करने वाले उनकी नजर में कुछ भी नहीं थे। आज भले ही वे टीवी पर चिपककर अपने कार्यक्रम बेच रहें हों, पर सच यही है कि ये स्टार्स भी चाहते हैं कि लोग उसकी प्रतिभा को पहचाने, यही टीवी धारावाहिकों या कार्यक्रमों को बनाने वाले चाहते हैं कि स्टार्स की लोकप्रियता को भुनाया जाए।
टीवी पर सबसे पहले लोगों ने बिग बी को देखा, तो कई लोगों का माथा ठनका। 'कौन बनेगा करोड़पति' के माध्यम से जब अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज और अपने अभिनय से लोगों को रिझाया, तब सभी ने यही सोचा कि यह तो कमाल हो गया। इसके बाद तो अनुपम खेर, गोविंदा, मनीषा कोइराला ने टीवी पर आकर अपना भाग्य आजमाया, पर वे सभी विफल रहे। इसके बाद तो आज 'क्या आप पाँचवी पास से तेज हैं' में शाहरुख खान, 'इस का दम' में सलमान खान, 'वार-परिवार' में उर्मिला मांतोडकर तो टीवी पर दिखाई दे ही रहे हैं, अब कुछ समय बाद ऍंगरेजी शो 'फीयर फेक्टर' का देशी शो में अक्षय कुमार भी दिखाई देने लगेंगे। तब लोग अपने चहेते स्टार्स को अपने और करीब पाएँगे।
टीवी के अपने शुरुआती दौर पर 'हम लोग' धारावाहिक ने घर-घर में अपनी जगह जमाई, उस समय केवल दूरदर्शन ही दिखाई देता था, इसलिए लोग इसे अच्छी तरह से देखने के लिए अपने एंटीना को इधर-उधर घुमाते देखे जाते थे। इसके बाद तबस्सुम द्वारा पेश किया जाने वाले कार्यक्रम 'फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन' कई फिल्मी कलाकार टीवी के छोटे परदे पर देखने को मिले। इसके बाद तो 'रामायण' धारावाहिक ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। रविवार को सुबह 9 बजे से दस बजे तक पूरा देश थम जाता था, यही इस धारावाहिक की लोकप्रियता का सबसे बड़ा पैमाना है।
आज समय बदल गया है, स्टार्स की लोकप्रियता का लाभ हर कोई उठाना चाहता है। यही कारण है कि स्टार्स को भी यह छोटा परदा लुभाने लगा है, इसके लिए भी उन्हें फिल्मों की तरह करोड़ों रुपए मिलते हैं। आज उर्मिला मांतोडकर के पास एक भी फिल्म नहीं है, फिर भी वह व्यस्त है। कहीं-कहीं तो ये बॉलीवुड स्टार्स स्वयं ही कार्यक्रम का संचालन करते हैं, इससे दर्शक वर्ग उन्हें अपने ही करीब पाता है। इसमें कोई दो मत नहीं कि आज टीवी का जो दर्शक है, उन्हें टीवी के और करीब खींच लाने में अमिताभ बच्चन का बहुत बड़ा हाथ है। एक अलग पहचान दी है, उन्होंने अपने कार्यक्रम के माध्यम से। इसके पहले टीवी केवल मनोरंजन का ही साधन था, कौन बनेगा करोड़पति के बाद लोग इस बुद्धू बक्से को ज्ञान के पिटारे के रूप में भी देखने लगे।
जिनकी फिल्में देखने की इच्छा हो, वही कलाकार जब टीवी पर रोज ही दिखाई दे, तो कौन होगा, जो अपने चहेते स्टार को करीब से न देखे, इसमें यह आवश्यक नहीं होता कि वह कौन सा कार्यक्रम पेश कर रहा है, बल्कि यह आवश्यक होता है कि कार्यक्रम कौन पेश कर रहा है। टीवी कार्यक्रमों के निर्माताओं के लिए ये स्टार्स आज उपयोगी साबित हो रहे हैं, वे उनका भरपूर दोहन कर रहे हैं, बदले में ये स्टार भी करोड़ों में खेल रहे हैं। आज स्थिति यह है कि टीवी चैनलों के स्टार आज गुम हो गए हैं और बॉलीवुड के स्टार छा गए हैं ।
डॉ. महेश परिमल
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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Yugs, daw nabasahan ko naman ni sa iban nga blog?
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