गुरुवार, 3 जुलाई 2008
एनिमेशन फिल्में: व्यक्ति के बचपन को लाने की कोशिश
डॉ. महेश परिमल
फिल्मी दुनिया चकाचौंध में डूबी मायावी दुनिया होने के साथ-साथ एक अच्छी प्रयोगशाला भी है। यहाँ फिल्मों से जुड़े नित नवीन प्रयोग होते ही रहते हैं। एक समय यहाँ पारिवारिक फिल्मों का दौर चला। फिर आया ब्लेक एंड व्हाइट फिल्मों का दौर। कॉमेडी फिल्मों का दौर अभी भी जारी है और अब आ रहा है एनिमेशन फिल्मों का दौर। आज तक यही माना जाता था कि एनिमेशन फिल्में अर्थात कार्टून फिल्में केवल बच्चे ही देखते हैं, बड़ी उम्र के लोगों की इसमें कोई रुचि नहीं होती, क्योंकि कल्पनाओं का संसार उन्हें रास नहीं आता। किंतु आज इस विचारधारा में बदलाव आ रहा है। कार्टून फिल्में अब बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी लुभा रही है। शुध्द भारतीय एनिमेशन फिल्म 'हनुमान' बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी काफी लोकपि्रय रही। इसी सफलता ने निर्माता को 'रिटर्न ऑफ हनुमान' बनाने पर विवश किया। इन दोनों फिल्मों की सफलता ने हिन्दी फिल्म जगत के क्षेत्र में एनिमेशन फिल्मों का मार्ग खोल दिया है। इसी का परिणाम है कि आज लगभग 200 करोड़ के बजट की आठ से भी अधिक भारतीय एनिमेशन फिल्में तैयार की जा रही हैं।
हॉलीवुड में तो वैसे भी वर्षों से एनिमेशन फिल्में बनती चली आ रही हैं और सफलता की सीमाओं को छू रही हैं। भारतीय फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी अब एनिमेशन का सहारा लिया जाने लगा है और प्रतिस्पर्धा की दिशा में पाँव पसारे जा रहे हैं। एनिमेशन फिल्मों के लिए बड़े बजट की आवश्यकता होती है। एक लाइव एक्शन फिल्म को मात्र 6 से 8 महीने में भी पूरा किया जा सकता है, किंतु वर्ल्ड क्लास एनिमेशन फिल्म बनाने के लिए कम से कम 18 महीने का समय तो लगता ही है। एक एनिमेशन आर्टिस्ट पूरे दिन कम्प्यूटर पर काम करता है तब कहीं जाकर केवल 2 सेकन्ड की फिल्म तैयार हो पाती है। एनिमेशन फिल्मों के लिए जो राशि लगाई जाती है, उसे वसूल करने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि इसकी कहानी केवल बच्चों को ही नहीं, बल्कि बड़ों को भी प्रभावित करे। तमाम दर्शकों को ध्यान में रखकर इसकी पूर्व तैयारी करने के बाद ही इसे मूर्त रूप दिया जाता है।
एनिमेशन तकनीक का प्रयोग आमिर खान की 'तारें ामीं पर' फिल्म के टाइटल गीत में किया गया है। इस गीत के चित्रों के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग न कर कागज पर ही मिट्टी के रंगों से चित्र बनाकर उसका एनिमेशन तैयार किया गया था। मिट्टी के रंगों के कारण ही यह गीत हमें प्रकृति के करीब ले गया और बच्चों के साथ-साथ बड़े भी अपने बचपन की यादों में डृूब गए।
भारतीय सिने जगत के कुशल निर्माता करण जौहर से लेकर नवोदित निर्मात्री सौंदर्या रजनीकांत भी एनिमेशन फिल्मों की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर सुपर स्टार रजनीकांत से लेकर एक्शन हीरो अजय देवगन और अभिनेत्रियों में काजोल से लेकर आयशा टाकिया भी बिग बजट वाली इन एनिमेशन फिल्मों में काम कर रही हैं। रजनीकांत की बेटी सौंदर्या, जो कि फिल्म निर्माण के कार्य से बिलकुल अनजान है और केवल अपने पिता को बचपन से फिल्मों में काम करते हुए देखा है, वे भी निर्माण के क्षेत्र में उतर रही हैं। अपने अनुभव और आत्मविश्वास के दम पर वे 40 करोड़ के बजट की 'सुलतान, द वारियर' नाम की 3-डी एनिमेशन फिल्म बनाने जा रही हैं। इस प्रोजेक्ट के सह निर्माता रिलायंस-एडलैब्स हैं। इसमें रजनीकांत ब्रांड की एक्शन फिल्मों का सारा मसाला भरा गया है। पिछले एक वर्ष से एनिमेशन स्टूडियों में तैयार हो रही इस फिल्म की इस वर्ष के अंत तक प्रदर्शित होने की संभावना है।
कला फिल्मों के सफल निर्माता गोविंद निहलानी ने भी एनिमेशन फिल्मों के निर्माण में अपनी रुचि दिखाई है। 'हनुमान' बनने के करीब 6 वषर्र् पूर्व से ही वे एनिमेशन फिल्म बनाने के बारे में सोच रहे थे, किंतु कोई फाइनेंशियर न मिलने के कारण उनकी योजना दिमाग के डिब्बे में ही बंद रही। अब फाइनेंशियर मिल जाने के कारण वे 'कमलू' नाम की हल्की-फुल्की 3-डी एनिमेशन फिल्म बना रहे हैं। इस फिल्म में मुख्य पात्र ऊँट का एक बच्चा है। राजस्थान के रेगिस्तान में 'कमलू' के कारनामों पर बनी यह फिल्म 2009 के अप्रेल में प्र्रदर्शित होने की संभावना है। गोविंद निहलानी को विश्वास है कि उनकी यह फिल्म मात्र बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी लोकपि्रय होगी।
हाल में अजय देवगन और काजोल की एनिमेशन फिल्म 'टुनपुर का सुपर हीरो' की चर्चा जोरों पर है। लगभग 40 करोड़ के बजट की इस फिल्म के लिए 120 एनिमेशन विशेषज्ञ स्टूडियो में काम कर रहे हैं। इस फिल्म में रियल लाइफ फिल्म और एनिमेशन का मिश्रण किया गया है। अजय और काजोल इसमें रियल लाइफ पति-पत्नी की भूमिका में हैं। यह रियल लाइफ हीरो कार्टून के पात्रों की दुनिया में पहुंँच जाता है और फिर बनने वाले रोमांचक प्रसंगों को इसमें दिखाया गया है। इस फिल्म का दिग्दर्शन किरीट खुराना कर रहे हैं, जो कि वर्षों पहले सोनी टीवी के लिए वर्ल्डकप के दौरान टाईगर का कार्टून केरेक्टर बनाकर अपनी एनिमेशन कला का परिचय दे चुके हैं।
'कुछ कुछ होता है' फिल्म के सफल निर्माता इसी सुपरहिट फिल्म पर एनिमेशन फिल्म बना रहे हैं। जुगल हंसराज भी 'रोड साइड रोमियो' नामक एनिमेशन फिल्म बना रहे हैं। यू टीवी कंपनी 'अलीबाबा एन्ड द फोर्टी वन थीव्स' नामक एनिमेशन फिल्म बना रही है। इस फिल्म में आज के मुंबई शहर के चिंकू नामक किशोर की कहानी है, जो अरेबियन नाईट्स की दुनिया में पहुँच जाता है। इन सारी फिल्मों में हमारी हिंदी फिल्मों की तरह ही मसाले के रूप में गीत और नृत्य भी होंगे जो दर्शकों को अधिक आकर्षित करेंगे।
अभिनेत्री आयशा टाकिया के पिता निशीथ टाकिया 'अब दिल्ली दूर नहीं' नामक एनिमेशन फिल्म बना रहे हैं। इस फिल्म की कहानी में जंगली जानवरों की समस्या को उभारा गया है। जंगल पर लगातार मानव का अधिकार होता चला जा रहा है, जिससे परेशान होकर जंगल सारे जानवर देश के नेता के सामने फरियाद करने के लिए दिल्ली जाते हैं। इस कहानी के माध्यम से जानवरों के प्रति बच्चों का स्नेह और पर्यावरण व राजनीतिक मुद्दों को दर्शाया गया है। प्राणियों की आवाज की डबिंग के लिए अक्षय खन्ना, गोविंदा, बमन ईरानी, आयशा टाकिया और उर्मिजा मातोंडकर जैसे कलाकारों की आवाज का उपयोग किया गया है।
एनिमेशन फिल्मों के पीछे जो पानी की तरह पैसा बहाया जाता है, उसे वसूल करने के लिए भी विभिन्न उपाय अपनाए जाते हैं, जैसे कि 'हनुमान' फिल्म के प्रदर्शन के साथ ही बाजार में उसके खिलौनों की बिक्री शुरू हो गई। एनिमेशन फिल्मों के निर्माता उसके पात्रों की लोकपि्रयता के लिए उसके खिलौने बाजार में रखकर उससे लाभ कमा लेते हैं। अब तो मोबाइल मार्केटिंग भी बढ़ रहा है। निर्माता मोबाइल गेम्स के माध्यम से भी फिल्म को लोकपि्रय बनाने का प्र्रयास करते हैं। अब यदि यह कहा जाए कि अगला वर्ष एनिमेशन फिल्मों का होगा, तो इसे अतिशयोक्ति न माना जाए।
एनिमेशन फिल्मों का यह अभिनव प्रयोग दर्शकों को कितना आकर्षित करता है, इसका पता तो फिल्म के प्रदर्शन के बाद ही लगेगा। फिलहाल तो निर्माता अपनी कोशिश में लगे हुए हैं। इसके पीछे यकीनन एक मनोवैज्ञानिक सत्य यह भी है कि प्रत्येक वयस्क व्यक्ति में भी एक बालक छुपा होता है। ये निर्माता इसी बालक को बाहर निकालने की कोशिश में करोडा रुपये खर्च कर रहे हैं। यह तो तय है कि करोड़ों की इस कोशिश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में एक क्रांति अवश्य आएगी।
डॉ. महेश परिमल
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बच्चों का कोना
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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जवाब देंहटाएं'रोडसाइड रोमियो' यश राज बैनर की फिल्म है.. ये सिद्ध करता है की अब बड़े बैनर भी इसमे दिलचस्पी ले रहे है. एनिमेटेड मूवीस का भविष्य बहुत उज्जवल है..
जवाब देंहटाएंएक और बात आपकी ब्लॉग्स पे अक्सर ये स्पेम टिप्पणिया आ जाती है.. एक काम करिए ब्लॉग की भाषा बदलकर हिन्दी कर लीजिए.. हिन्दी में कम आते है स्पॅम्स