शनिवार, 26 जुलाई 2008
अमेरिकी छात्रों को मिली हिंदी की किताब
ह्यूस्टन । हिंदी के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भाषा के रूप में उभरने को देखते हुए टेक्सास के स्कूलों ने इसकी शिक्षा में बढत ले ली है। अमेरिका के टेक्सास प्रांत ने अपने उच्च विद्यालय के छात्रों के लिए पहली बार हिंदी की पाठ्यपुस्तक पेश की है।
480 पन्नों की पुस्तक नमस्ते जी को तैयार करने में भारतीय मूल के शिक्षक अरुण प्रकाश को करीब आठ साल लगे। प्रकाश 1980 के दशक में शिक्षा और व्यापार के सिलसिले में टेक्सास प्रांत के ह्यूस्टन आए। जब 1989 में उन्होंने स्कूलों में हिंदी पढाना शुरू किया तो कक्षा में सिर्फ आठ छात्र थे। इनमें से सात भारतीय मूल के थे।
प्रकाश ने बताया कि शुरुआत में उन्हें सिर्फ 15 डालर प्रतिदिन का मेहनताना दिया गया। इस राशि से सिर्फ गैस खरीदा जा सकता था। प्रकाश ने शिक्षण के लिए औपचारिक तौर पर प्रशिक्षण नहीं लिया था और न ही उनके पास वर्कशीट था। इसी ने उन्हें पुस्तक लेखन की प्रेरणा दी।
इस नौसिखिए शिक्षक ने खुद पाठ तैयार किए और उन्हें हाथ से लिखा। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि उन्होंने हिंदी फोंट से युक्त कंप्यूटर हासिल नहीं कर लिया।
वर्र्षो तक प्रकाश ने पाठ्य सामग्री की फोटोकापी कराकर उसे पुस्तक का रूप देकर छात्रों में बांटा। लेकिन आने वाले वर्ष में पहली दफा हिंदी के छात्र प्रकाश द्वारा लिखित हार्डकवर पाठ्यपुस्तक हासिल करेंगे।
दशकों से अमेरिका में उच्च विद्यालय के छात्र लैटिन, स्पैनिश, फ्रेंच और जर्मन की कक्षाएं लेने में सक्षम हैं। लेकिन जिस तरह से भारत बडी आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है उसको देखते हुए लोगों में उसकी मुख्य भाषा के प्रति भी दिलचस्पी बढ रही है। टेक्सास अमेरिका का चौथा प्रांत है जहां सबसे अधिक संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते हैं। वह हिंदी के क्षेत्र में अग्रणी बनने को तैयार है।
आस्टिन स्थित यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास में हिंदी, उर्दू, फ्लैगशिप कार्यक्रम के निदेशक हर्मन वैन ओलफेन ने कहा कि हिंदी सीखने के प्रति दिलचस्पी बढ रही है क्योंकि सरकार ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भाषा के लिए और अधिक वक्ताओं की आवश्यकता महसूस की है। विश्वविद्यालय को पिछले साल स्नातक छात्रों के लिए भारत और पाकिस्तान की मुख्य भाषा का पहला राष्ट्रीय प्रायोजित संस्थान शुरू करने के लिए सात लाख डालर का अनुदान मिला।
यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास के हिंदी उर्दू फ्लैगशिप कार्यक्रम की समन्वयक डार्लिन बास्किंग ने कहा कि हिंदी और उर्दू को उच्च विद्यालय स्तर पर लाने की इच्छा बढ रही है लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
पाठ्यपुस्तक उच्च विद्यालय स्तर की हिंदी के पहले दो वर्र्षो को कवर करती है और यह एक साल के कालेज स्तर की हिंदी के समतुल्य है। इसमें रंग बिरंगी तस्वीरें और उदाहरण तथा वर्कशाप की सीडियां हैं। प्रकाश को अमेरिकन काउंसिल आन टीचिंग आफ फारेन लैंग्वेजेज ने मास्टर शिक्षक के रूप में मान्यता दी है और उन्होंने हिंदी के 20 संभावित शिक्षकों को इस साल प्रशिक्षण दिया।
डिस्कवर एशिया प्रोफेशनल डेवलपमेंट वर्कशाप नौ से 20 जून तक चला और स्टारटाक अनुदान से वित्तपोषित हुआ। यह राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश की नेशनल सिक्योरिटी लैंग्वेज पहल का हिस्सा है।
(याहू से साभार)
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दृष्टिकोण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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