इलाहाबाद .यह कार्यशालाएं हैं छोटी-छोटी लेकिन इनके संदेश बड़े हैं। इनमें शामिल बच्चे न हिंदू हैं न और न मुसलमान। वे सिर्फ बच्चे हैं और हिंदुस्तानियत के मूल भाव में ही बड़े होना चाहते हैं।
इसीलिए करेली के आशीष कुमार की कुरान की आयतें पढ़ते हुए जरा सी भी झिझक नहीं महसूस होती और 12 साल के इमरान को सुबह उठकर सूर्य नमस्कार करते देखा जा सकता है। इन बच्चों की अपने धर्म में आस्था है लेकिन अन्य धर्मो के प्रति भी सम्मान है। इससे जुड़े लोग कहते हैं कि हमारी कोशिश इंसानियत की बुनियाद मजबूत करना है और हम इसी सोच के साथ काम कर रहे हैं।
शहर के मुस्लिम बहुल इलाके करेली में जब कुछ प्रगतिशील युवाओं ने 'आओ मजहब सीखें' करके कार्यशाला आयोजित करने का इरादा किया तो उन्हें लोगों के तंज भी सुनने पड़े। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें सबका सहयोग हासिल हुआ और उस वक्त तो उनका मकसद ही पूरा हो गया जब कई हिंदू बच्चे भी इस कार्यशाला में शामिल हो गए। इन बच्चों में अपने पड़ोसियों का धर्म जानने की जिज्ञासा थी।
गंगागंज में रहने वाली रेखा कुमारी एवं मोनिका कुशवाहा के मन में मुस्लिम महिलाओं को परदे में देख काफी जिज्ञासा हुआ करती थी। वे कहती हैं कि अब हमें परदे की हकीकत मालूम है। यह सभ्यता और महिलाओं के सम्मान से जुड़ा हुआ है। इसके अनुसरण की बात इस्लाम के साथ अन्य धर्मो में भी है।
कार्यशाला के संचालक मो. इकबाल अमीर कहते हैं कि हम बच्चों में मजहबी सम्मान की भावना पैबस्त करना चाहते थे और इसमें हमें सफलता मिलती दिख रही है। करेली के आशीष कुमार, सदियापुर के आकाश श्रीवास्तव एवं नूरउल्लारोड के अमित गुप्ता का कहना था कि यहां पर आकर उन्हें इस्लाम धर्म के पांचों फराएज- नमाज, हज, जकात, रोजा एवं तौहीद [एकेश्वरवाद] की जानकारी मिली। कार्यशाला के शिक्षक फैजान एक शेर में अपनी बात कुछ यूं पेश करते हैं-
तुम भी पियो हम भी पियें रब की मेहरबानी
प्यार के कटोरे में गंगा का पानी
धर्म जो हमारा है धर्म जो तुम्हारा है
धर्म सबका प्यारा है बस भरम ने मारा है
दूसरी तरफ तेलियरगंज स्थित चिन्मय मिशन में आयोजित बाल प्रतिभा विकास शिविर 'जागृत' में मुस्लिम बच्चों ने हिंदू रीति रिवाजों के संस्कार सीखे। यहां पर गत दो वर्षाें से प्रतिभाग कर रहे बारह वर्षीय इमरान सुबह नमाज-हदीस से फारिग होकर हिन्दू विधि विधान के अनुरूप दिनभर की गतिविधियों को भी संचालित करते हैं। उनकी दिनचर्या में सूर्य नमस्कार, भोजन के पूर्व हाथ धो कर भोजन मंत्र पढ़ना, संध्या आदि शामिल है।
इमरान के अलावा यहां पर काशिफ, जोजेफ रेहान सहित दर्जनों बच्चे हैं जो अन्य धर्म के होते हुए भी सनातन धर्म की बारीकियों से रूबरू होते रहे हैं। अजान सुन कर शुरू हुई सुबह की शुरुआत प्रात: स्मरण, शांति पाठ व ध्यान आदि जैसे कर्मकांडों तक पहुंचती है। चिन्मय मिशन के स्वामी चैतन्यानंद सामाजिक समरसता पर जोर देते हुए कहते हैं कि इन सब का मूल भाव यह है कि बच्चों में योग के अलावा श्लोक, नीतियुक्त, कहानियां, पर्यावरणदेश प्रेम, बड़ों का सम्मान, जीवों पर दया आदि के मौलिक भाव होने चाहिए और यही इस कार्यशाला का उद्देश्य रहा है। चिन्मय मिशन की कार्यशाला गत दिवस संपन्न हुई । बहरहाल यहां के लोग अपना संकल्प पूरा होने से खुश हैं।
अजहर अंसारी
गुरुवार, 11 जून 2009
आओ पियें, प्यार के कटोरे में गंगा का पानी
लेबल:
जिंदगी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें