शुक्रवार, 5 मार्च 2010
विश्व खेल रत्न हैं मास्टर ब्लास्टर
प्रशांत रायचौधरी
भले ही सचिन तेंडुलकर को अभी भी भारत रत्न अवार्ड नहीं मिला हो लेकिन खेलप्रेमियों की निगाह में वे विश्व खेल रत्न तो बन ही गए हैं। उन्हें वही सम्मान प्राप्त है जो रोजर फेडरर (टेनिस), यूसेन बोल्ट (धावक), माइकल शूमाकर (फॉमरूला-1 कार रेसर), क्रिश्टियानो रोनाल्डो (फुटबॉल) व माइकल फेल्प्स (तैराकी) को प्राप्त है। ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में 24 फरवरी को शाम के छह बजकर 14 मिनट में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने वनडे क्रिकेट का विश्व का पहला दोहरा शतक बनाने के बाद आसमान की ओर देख कर भगवान व अपने स्वर्गीय पिता को तो याद किया ही लेकिन शायद उनके जेहन में कहीं न कहीं सईद अनवर भी रहे होंगे। अनवर ने सचिन के नेतृत्व में खेल रही भारतीय टीम के खिलाफ 13 साल पहले 194 रन बना कर विश्व कीर्तिमान रचा था। तब से उनके मन में एक बोझ था कि उनके नेतृत्व में विश्व कीर्तिमान बन गया और उनकी रणनीति फेल हो गई। अब उन्हें इस बात से भी बेहद खुशी मिली होगी कि अनवर ने सचिन द्वारा उनके रिकॉर्ड तोड़े जाने पर कहा कि मेरी भी इच्छा थी कि कभी यदि रिकॉर्ड टूटे तो सचिन ही तोड़े। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर वनडे मैच में उन्होंने कवर ड्राइव,करारे हुक्स, पुल शॉट, लेट कट्स व कलाई के सहारे आकर्षक फ्लिक्स का जो शानदार प्रदर्शन किया उसे भूलाना मुश्किल है। उन्होंने पहले 100 रन 90 गेंदों में और बाद के 100 रन सिर्फ 47 गेंदों में पूरे किए। सचिन की इस बेमिसाल पारी के बाद उन्हें डॉन ब्रेडमैन, ब्रायन लारा व रिकी पोंटिंग से श्रेष्ठ होने की उपमा दी जा रही है जबकि सचिन ने मासूमियत से कहा कि रिकॉर्ड बनते ही टूटने के लिए है। मैं चाहता हूं कि मेरा रिकॉर्ड कोई भारतीय ही तोड़े। सचिन के इस कथन से साबित होता है कि उनमें कोई अहंकार नहीं है और वे जमीन से जुड़े हुए हैं। महान लिटिल मास्टर सुनील गावसकर ने तो यहां तक कह दिया कि अब सचिन को टेस्ट में 450 रन व वनडे में 250 रन बनाने के बारे में सोचना चाहिए। गावसकर ने एक बात बिल्कुल सही कही है कि सचिन अभी भी क्रिकेट के बच्चे से लगते हैं जिसमें रनों की जबर्दस्त भूख है। सचिन रन के लिए ऐसे मचलते हैं कि लगता है कि वे अंत तक नाबाद रहेगे। ग्वालियर वनडे में वे ओपन करने आए और अंत तक नाबाद रहे।
फील्डिंग भी की : सचिन ने दोहरा शतक बनाने के बाद जब फील्डिंग का मौका आया तो बिना थके अंत तक फील्डिंग करते रहे। उन्होंने इससे पहले जयपुर वनडे में भी आखिरी गेंद पर चौका बचाया था जिससे भारत एक रन से रोमांचक जीत दर्ज कर सका था। दूसरी ओर सईद अनवर ने जब 194 रन की पारी खेली थी तब उन्होंने शाहिद आफरीदी का रनर के रूप में उपयोग किया था। सचिन भले ही फिट हों लेकिन उन्होंने कहा है कि वे अब फिटनेस पर और ज्यादा ध्यान देंगे।इसका मतलब है कि उनके बल्ले से कीर्तिमानों की बारिश जारी रहेगी।
अब शतकों के शतक की चर्चा: सचिन के नए कीर्तिमान के बाद अब चर्चा होने लगी है कि क्या वे इसी साल शतकों का शतक पूरा करने में कामयाब होंगे। फिलहाल उन्होंने टेस्ट में 47 व वनडे में 46 शतक लगाए हैं। वे मंजिल से 7 शतक दूर हैं। सचिन ने इस साल अभी तक चार शतक व एक दोहरा शतक लगाए हैं जबकि अभी इस साल का दूसरा माह भी खत्म नहीं हुआ है।
अनवर से है बेहतर पारी : अनवर व सचिन ने 1989 से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश किया। सईद अनवर ने अपने कैरियर के आठवें साल में 194 रन का कीर्तिमान रचा था जबकि सचिन को इस कीर्तिमान के लिए बीस साल तक इंतजार करना पड़ा। अनवर ने 29 साल की उम्र में व सचिन ने लगभग 37 साल की उम्र में व्यक्तिगत वनडे रन का विश्व कीर्तिमान रचा। अनवर ने जब भारत के खिलाफ 194 रन की पारी खेली थी तब लगा था कि इससे बेहतर पारी हो ही नहीं सकती लेकिन सचिन ने ग्वालियर में जिस अंदाज में बल्लेबाजी की वह अनवर से बेहतर इस मायने में भी थी कि उन्होंने ढलती उम्र में करिश्मा किया। ऐसा लग रहा था कि गेंद पतंग की तरह उड़ रही हो।
अब आगे क्या : जहां तक सचिन का सवाल है तो अब उनका सपना शतकों के शतक के अलावा भारत को विश्व कप विजेता बनाने की है। जाहिर सी बात है कि सचिन इसके लिए अपने प्रदर्शन में और निखार लाएंगे और इसका लाभ टीम इंडिया को मिलेगा। सचिन से प्रेरित होकर टीम के अन्य साथी भी नए-नए कीर्तिमान रचने की कोशिश करेंगे और शायद तभी सचिन का कहा सही साबित होगा कि किसी भारतीय ने ही उनका रिकॉर्ड तोड़ा है।
प्रशांत रायचौधरी
लेबल:
व्यक्तित्व
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
uplabdhiya kisee padvee kee mohtaz nahee hotee .
जवाब देंहटाएंlekh accha laga .
unkee mahanata unke ahankar rahit kathano se swath hee spasht hotee hai...
जवाब देंहटाएंbadiya aalekh...