शुक्रवार, 30 जनवरी 2009
हौसला बुलंद हो तो मंजिल कठिन नहीं
वाराणसी। हौसला बुलंद हो तो मंजिल कठिन नहीं होती। दृष्टिहीन लेकिन अत्यंत प्रतिभावान कृष्णगोपाल तिवारी उन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो थोड़ी-सी विफलता मिलने पर ही आत्मबल खो बैठते हैं। जौनपुर के टीडी कालेज से स्नातक करने वाले कृष्णगोपाल के आईएएस बनने में उनका अंधत्व कभी बाधक नहीं बना। ट्रेनिंग के लिए मसूरी जाने से पहले कृष्णगोपाल अपने मार्गदर्शक व उत्तर रेलवे के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज शर्मा [आईआरटीएस] का आशीर्वाद लेना नहीं भूले।
आदर्श शिष्य की तरह वह अपने गृह जनपद अंबेडकर नगर से अपने पिता स्वामीनाथ तिवारी के साथ बृहस्पतिवार को कैंट स्टेशन पहुंचे और शर्मा के कक्ष में जाकर कृतज्ञता ज्ञापित की। गुरु मनोज शर्मा अपने शिष्य की प्रतिभा के तो पहले से ही कायल हैं। उन्होंने अपनी कुर्सी पर शिष्य को बैठाकर उसके प्रति सम्मान जताया और अपने जीवन के हर क्षेत्र में पूरी ईमानदारी बरतने की सीख दी। अब तक 86 प्रतिभाओं को हिस्ट्री, फिलॉसफी व जनरल स्टडी में मार्गदर्शन देकर आईएएस में सफलता दिलानेवाले शर्मा ने बताया कि कृष्ण जब मुझसे नई दिल्ली में मिले तो उनमें आईएएस बनने का माद्दा देखकर ही उन्हें मार्गदर्शन शुरू किया। कृष्ण अंबेडकरनगर जिले का दसवानपुर [भीटी] गाव के निवासी है।
उन्होंने प्राथमिक शिक्षा काही गाव से, जूनियर से इंटर तक की शिक्षा अजय प्रताप इंटर कालेज भीटी से ली। इसके बाद जौनपुर स्थित टीडी कॉलेज से बीए व कानपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई की। मां पवित्रा देवी को अपना आदर्श मानने वाले कृष्णगोपाल अपने बड़े भाई बालगोपाल को प्रेरणास्त्रोत मानते हैं। इनके पिता अहमदाबाद मिल में काम करते थे। मिल बंद होने के कारण काम छूट गया और घर आकर रहने लगे। घर की आर्थिक तंगी के बीच तमाम तरह के ताने व चुनौतियों का सामना करते हुए कृष्णगोपाल ने वर्ष 2007 में अर्थशास्त्र व इतिहास से देश की सर्वोच्च परीक्षा आईएएस में 142वा स्थान प्राप्त कर बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। इन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला है। अपनी पढ़ाई के बाबत कृष्णगोपाल ने बताया कि मित्रों से सुन-सुनकर पाठ याद किया। टेलीविजन व आडियो टेप की मदद से पुस्तकों का अध्ययन किया। सिविल सेवा में जाने के इच्छुक लोगों के लिए उनका कहना है कि अगर हम कुछ कर सकते हैं तो सभी कर सकते हैं।
लेबल:
जिंदगी
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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बहुत प्रभावित करता है, आपका लेख!
जवाब देंहटाएंवास्तव में , कृष्णगोपाल तिवारी जी जैसे लोगों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
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