मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017
कुछ कविताएँ - योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
कविता का अंश....
नन्ही चिड़िया सोच रही है,
कैसे भरूँ उड़ान्?
आसमान में झुण्ड लगा है,
गिद्धों, बाज़ों का।
वहशीपन क़ायम है घर के ही
दरवाज़ों का।
ऐसे में कैसे मुमकिन है,
अपनों की पहचान?
क़दम-क़दम पर अनहोनी के
अपने ख़तरे हैं।
किया भरोसा जिस पर, उसने ही
पर कतरे हैं।
हर दिन, हर पल की दहशत अब
छीन रही मुस्कान।
ऊँचाई छूने की मन में हौंस
मचलती है।
किन्तु सियासत रोज़ सुनहरे
स्वप्न कुचलती है।
दीवारों पर लिखा हुआ है-
'मेरा देश महान'
ऐसी ही अन्य भावपूर्ण कविताओं का आनंद ऑडियो की मदद से लीजिए....
सम्पर्क - ई-मेल- vyom70@yahoo.in
लेबल:
कविता,
दिव्य दृष्टि
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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