सोमवार, 25 मई 2009
शरीर के लिए खतरनाक है कोका-कोला का सेवन
लंदन।अति हर चीज की बुरी होती है। ऐसा ही कोला के अधिक सेवन के साथ भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोका कोला और पेप्सी जैसे शीतल पेय के अत्यधिक सेवन से खून में पोटेशियम की मात्रा खतरनाक स्थिति तक कम हो जाती है। नतीजतन, मामूली शारीरिक कमजोरी से लेकर मांसपेशियों के लकवाग्रस्त होने तक का खतरा बढ़ जाता है।
'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लीनिकल प्रैक्टिसÓ में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही गई है। प्रमुख शोधकर्ता और ग्रीस की आयोनिना यूनिवर्सिटी के डॉ. मोजेस एलिसाफ ने बताया कि कोला आधारित शीतलपेय में आमतौर पर मौजूद तीन तत्वों-ग्लूकोज, फ्रक्टोज और कैफीन के अधिक मात्रा में शरीर में जाने के कारण हाइपोकैलेमिया (खून में पोटाशियम का स्तर कम होना) की शिकायत होती है।
कंपनियों का आक्रामक प्रचार :
अमेरिका के ओहियो में स्थित लुइस स्टोक्स क्लीवलैंड वीए मेडिकल सेंटर के डॉ. क्लीफोर्ड पैकर ने कहा, 'हमारे पास इस बात पर विश्वास करने के पूरे कारण हैं कि शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों की आक्रामक मार्केटिंग, लोगों में कैफीन की लत आदि के कारण विकसित देशों में लाखों लोग प्रतिदिन दो से तीन लीटर कोला का सेवन करते हैं।Ó
दो उदाहरण :
अध्ययन रिपोर्ट में दो लोगों के उदाहरण दिए गए हैं, जिन्हें कोला के अधिक सेवन के कारण स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याएं हुर्ईं।
पहला :
हर रोज 4 से 10 लीटर कोला पीने वाले आस्ट्रेलिया के एक व्यक्ति को फेफड़ों में लकवे की शिकायत हो गई। हालांकि इलाज के बाद वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया और डाक्टरों ने उसे कोला कम पीने की हिदायत दी।
दूसरा :
21 वर्ष की एक गर्भवती युवती को कमजोरी, उलटी और भूख न लगने की शिकायत पर अस्पताल में भरती कराया गया। वह बीते छह साल से हर रोज करीब तीन लीटर कोला का सेवन कर रही थी। जांच में पता चला कि उसके दिल की धड़कनें भी अनियमित चल रही हैं।
जो पहले से पता है :
कोला के अधिक सेवन से मोटापा, डायबिटीज और दांतों व हड्डियों की समस्या होने की बात पहले से ही पता है।
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आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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ज्ञानवर्द्धक आलेख .. पर फिर भी लोग कोला का सेवन नहीं छोडेंगे।
जवाब देंहटाएंकोका कोला पर रोक लगनी चाहिये ।
जवाब देंहटाएंअक्सर ज्यादा पढ़े लिखे लोग ही कोका कोला पीते हैं ।
जवाब देंहटाएं