मंगलवार, 26 मई 2009
देश के दो महान नेता
ममता दी की सादगी
ममता बनर्जी भारतीय राजनीति की उन गिनी-चुनी महिलाओं में हैं जिन्होंने तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुए अपना अलग मुकाम बनाया है। आज पूर्वी भारत की वह सबसे शक्तिशाली महिला राजनेता हैं। बनर्जी की राजनीति की तरह ही उनका व्यक्तित्व भी बेहद रोचक है। अपने रूखे स्वभाव के लिए मशहूर ममता के बारे में कम लोगों को पता है कि वह एक संवेदनशील चित्रकार और कवियित्री हैं। शास्त्रीय संगीत में भी उनका अ'छा दखल है।
मंत्रालय का चाय-बिस्कुट भी स्वीकार नहीं
ममता बनर्जी की सादगी एक मिसाल है। वह अब भी कोलकाता के कालीघाट इलाके की झु'गी वस्तियों में एक कमरे के मकान में रहती हैं। दिल्ली भी आती हैं तो जूनियर सांसदों के लिए बने छोटे फ्ïलैट में रहती हैं। एनडीए सरकार के दौरान रेल मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाली बनर्जी ने उस समय मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को चकित कर दिया जब वह हर चाय के कप और बिस्कुट के पैसे का भुगतान अपनी जेब से करने लगीं। पार्टी में बनर्जी के सबसे करीबी सिपाही और उनका दाहिना हाथ समझे जाने वाले रतन मुखर्जी का कहना है कि ममता ने कभी एक कप चाय के पैसे का खर्च भी मंत्रालय पर नहीं डाला।
तुनुकमिजाज
उनके तुनुकमिजाजी के किस्से भी अनेक हैं। इसकी मिसालें भी कम नहीं हैं कि अपनी पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेताओं को उभरने नहीं देतीं। इसकी बड़ी मिसाल वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी खुद हैं।
दुर्गा के अनन्य भक्त हैं प्रणब दा
कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता प्रणब मुखर्जी की विद्वता तो जगजाहिर है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वह देवी के अनन्य उपासक हैं। चाहे कड़ाके की सर्दी हो या दिल्ली की जानलेवा गर्मी, प्रणब दा हर रोज सुबह चंडी पाठ की स्तुति करके ही निकलते हैं। दुर्गा की स्तुति से जुड़े सभी श£ोक उन्हें कंठस्थ हैं। एक दिन इसकी बानगी संसद में भी देखने को मिली जब भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा दुर्गा पर छपी किसी विवादास्पद किताब का मुद्ïदा उठा रहे थे। प्रणब मुखर्जी ने मल्होत्रा को बीच में टोकते हुए दुर्गा शप्तशती का श£ोक सुनाया और यह जाहिर कर दिया कि धर्म ग्रंथों के बारे में उनकी जानकारी कितनी मजबूत है।
प्रणब दा के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू है उनका क्षण में गुस्सा आना। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होना उनका स्वभाव है, जिसके चलते उनके करीबी अक्सर डरते हैं। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि जिस तेजी से उन्हें गुस्सा आता है उतनी ही तेजी से उतर भी जाता है।
लेबल:
अभिमत
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
aaj jaana,toh maine bhi maana ki vakai ye donon neta mahaan hain
जवाब देंहटाएंIS SAARTHAK POST K LIYE
HAARDIK HAARDIK BADHAI