शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

बच्‍चे मन के सच्‍चे

साथियो
बच्‍चे मन के सच्‍चे होते हैं। इनके भोलेपन पर न जाने कितने नाराज चेहरे कुर्बान हो जाते हैं। इनमें सबसे बड1ी बात यह होती है कि ये सब को एक जैसा समझते हैं। इनक पास बताने के लिए कई बातें हैं, पर आज के पालकों के पास इतना समय ही नहीं है कि इनकी बातें सुनें। इसलिए ये कभी कभी भगवान को अपना मित्र ामनकर उन्‍हें पत्र लिखने बैठ जाते हैं। वे पत्र भगवान तक पहुँचे या नहीं, पर कही और पहुँच गए। आप उन पत्रों की बानगी देखे और बालपन को समझने की कोशिश करें। सारे पत्र अंग्रेजी में हैं, इसका आशय यह कदापि नहीं कि ईश्‍वर को हिंदी नहीं आती। खैर, पत्र पढ़ें-----
डॉ महेश परिमल















डॉ महेश परिमल

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात की है आपने, पढ़ कर मन द्रवित हो गया.
    हिन्दीकुंज

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  2. वाह ....बचों के भगवान को लिखे ख़त .....?

    आपने ये अद्भुत संकलन पेश किया .....!!

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  3. कल 14/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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