बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

वानखेड़े को सामने लाकर आर्यन का मामला दबाने की साजिश

ड़ी अजीब हालत है, जिसने आरोप लगाया, उस पर कार्रवाई के बजाए जिस पर आरोप लगे हैं, उस पर कार्रवाई की जा रही है। आर्यन के मामले में जिस तरह से नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े पर जो शख्स आरोप लगा रहा है, उसे देखकर यह कतई नहीं लगता है कि वह करोड़ों रु पए की डिलींग करने वाला है। यह सब समीर वानखेड़े को सामने लाकर आर्यन का मामला दबाने की एक साजिश है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वानखेड़े ने कई बार कहा है कि कोई उनका पीछा कर रहा है, उनके परिवार वालों को धमकियां मिल रही हैं। उनके इस बयान पर ध्यान नहीं दिया गया, अब उन्हें ही फंसाने की कोशिश की जा रही है। वानखेड़े पर कई तरह के आरोप लगा दिए जाए, इससे यह तो साबित नहीं होता है कि आर्यन ने ड्रग्स नहीं ली?

कोई यह समझता क्यों नहीं है कि आरोप लगाने का यह मामला इतनी जल्दी सोशल नेटवर्क पर कैसे आ गया? आर्यन को छोड़ देने के बदले में 25 करोड़ रुपए की मांग की गई। मामला 16 करोड़ में तय हो गया। इस मामले को महाराष्ट्र के नेताओं ने तुरंत ही अपने हाथों में ले लिया। वहां तीन पार्टियों की सरकार है। इसलिए उनमें ही आपस में स्पर्धा चल रही है कि कौन किस तरह से इस मामले को अपने हित में इस्तेमाल कर सकता है। अब वानखेड़े को चोर साबित करने की स्पर्धा शुरू हो गई है। समीर वानखेड़े बॉलीवुड को बदनाम कर रहे हैं, ऐसा आक्षेप जब महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मिलक ने लगाया, तभी यह साफ हो गया कि आर्यन के मामले को कमजोर साबित करने का षड्यंत्र जोर-शोर से शुरू हो गया है। इसके पहले सुशांत सिंह की संदिग्ध मौत के समय महाराष्ट्र के नेताओं के हाथों पुलिस एक तरह से कठपुतली बन गई थी।

3 अक्टूबर को आर्यन की गिरफ्तारी हुई, उसके बाद 24 अक्टूबर को उसने मुंह खोला ओर बताया कि मुझसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर ले लिए गए हैं। देखा जाए, तो यह भी अपराध ही है। उधर समीर वानखेड़े ने स्वयं पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि मैं सारे आरोपों का जवाब देने को तैयार हूं, पर पहले मेरे परिवार की सुरक्षा की जाए। आर्यन के मामले में जो गवाह हैं, वे लगातार गायब होते जा रहे हैं। इनमें से एक गवाह के.पी.गोस्वामी भी गुमशुदा है। उसी के मोबाइल से आर्यन खान के जेल में होने के वीडियो में यह बताया गया है कि आर्यन किसी के साथ बात कर रहा है। 

आर्यन के मामले को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। इसके पहले जब तीन साधुओं का गला रेत दिया गया था, तब भी काफी विवाद हुआ था। गृहमंत्री देशमुख ने पुलिस महानिदेशक से डांस बार वालों से 100 करोड़ रुपए वसूल कर उन्हें देने का बयान सामने आया था। इससे गृहमंत्री की काफी फजीहत हुई थी। उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। पुलिस महानिदेशक को भी सस्पेंड कर दिया गया था। आर्यन मामले में भी यह तय है कि महाराष्ट्र के नेता वानखेड़े को जेल भेज देंगे। अब तक की स्थिति से यही कहा जा सकता है कि वानखेड़े की टीम इन आरोपों ने भयभीत नहीं है। आर्यन के मामले में कोई तो ऐसा है, जो पूरे मामले को अपने हाथों में लेकर उसे अपने तरीके से संचालित कर रहा है। यह हाथ बहुत ही अनुभवी है। मामले को डायवर्ट करने की पूरी तैयारी है। एक गवाह वानखेड़े पर रिश्वत का आरोप लगा रहा है, तो दूसरा भाग गया है। अंदर की बात यह है कि बॉलीवुड को उत्तर प्रदेश खींच ले जाने की चाल के सामने महाराष्ट्र सरकार के नेता और विशेषकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने कई बार बॉलीवुड को उत्तर प्रदेश आमंत्रित किया है। जब आर्यन पकड़ा गया, तब कई चेहरे शाहरुख खान को समर्थन देने लगे। तभी समीर वानखेड़े को टारगेट बनाया गया और 25 करोड़ में आर्यन को छोड़ देने की बात सामने आई। 

हमारे देश में चाहे वह सेलिब्रिटी हो या राजनेता, यदि किसी पर अपना वरदहस्त रखते हैं, तो यह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए कि जिस पर वरदहस्त है, वह कानून से ऊपर है। समीर वानखेड़े पर लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए। यह आवश्यक है, पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि आर्यन खान ने ड्रग्स नहीं लिया। सबसे पहले तो आरोप लगाने वाले की स्थिति देखनी चाहिए। क्या वह इसके काबिल है। उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए, उसके बाद ही उसने जिस पर आरोप लगाया है, उसकी स्थिति देखनी चाहिए। आरोप लगाने के पहले कुछ सबूत भी तो होने चाहिए, केवल आरोप लगाने से कुछ नहीं होता, सबूत सामने हों, तो आरोप की गंभीरता समझ में आती है। पर इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। लगता है, यहां वह उक्ति काम कर गई है कि पैसा बोलता है...।

डॉ. महेश परिमल

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