शुक्रवार, 10 जुलाई 2009
गांवों को रोशन करेगी सोलर लालटेन
एक ऐसे समय में जब ऊर्जा के लिए परमाणु के रास्ते को सबसे कारगर बताया जा रहा है और चारों ओर भारत - अमेरिका परमाणु सौदे के फायदे गिनाए जा रहे हैं, अक्षय ऊर्जा के स्त्रोतों पर चल रहा काम परवान चढ़ रहा है।
इसी क्रम में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और रात्रि विद्यालयों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए अप्लाइड मैटेरियल्स और नेशनल एनर्जी फाउंडेशन( एनईएफ )ने ग्रामीण इलाकों में संयुक्त रूप से सोलर लालटेन बांटने का फैसला किया है। बिजली की कमी से जूझ रहे उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में लोगों को सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से रूबरू कराने के लिए यह पहल की गई है।
दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु के कांचीपुरम में 25 और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में रात्रि विद्यालयों में पहले ही ये लालटेन दिए जा चुके हैं। अप्लाइड मैटेरियल्स बेंगलुरु की आईटी और बिजनेस प्रोसेस सल्यूशंस कंपनी है। अप्लाइड मैटेरियल्स के प्रेजिडेंट डॉ . मधुसूदन अत्रे ने अक्षय ऊर्जा के स्त्रोतों पर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा , ' तेल के अंतरराष्ट्रीय संकट को देखते हुए हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत का इस्तेमाल करने के प्रयास करने चाहिए। ' अभी सौर ऊर्जा के विकास में उच्च लागत और उपकरण के रखरखाव पर खर्च होने वाली भारी राशि बाधा बनी हुई है।
ऊर्जा एवं पर्यावरण संतुलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनियां वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत से ऊर्जा पाने वाली तकनीक को आम आदमी की पहुंच में लाने के प्रयास कर रही हैं। अभी सोलर लालटेन बांटने का प्रोजेक्ट पिछली योजना का विस्तार है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 40 लालटेन बांटे गए थे और उस योजना को भारी सफलता मिली थी।
अत्रे ने कहा,' हमने ये लालटेन बेंगलुरु की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी कोटक ऊर्जा से हासिल किए हैं। इस बार लिए गए लालटेन की कीमत 17-20 लाख रुपए के बीच आई है। हमने कर भुगतान पूर्व आय का एक फीसदी सामाजिक कार्यों के लिए खर्च करने का फैसला किया है।
एनईएफ के प्रेजिडेंट और आईआईटी मुंबई में प्रोफेसर चेतन सोलंकी कहते हैं, ' ग्रामीण इलाके में सोलर लालटेन बहुत उपयोगी हैं। दिन में बच्चे अपने माता - पिता के साथ काम में हाथ बंटाते हैं और ज्यादातर वे शाम को स्कूल जाते हैं। इसके इस्तेमाल से 2 फायदे हैं - एक तो वातावरण साफ रहता है और दूसरा, छात्रों एवं शिक्षकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र होता है। '
वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत और उनके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं। ताजा फैसले में सरकार ने मिट्टी के तेल पर दी जा रही सब्सिडी का कुछ हिस्सा सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए बांटने का फैसला किया है। प्रोफेसर सोलंकी कहते हैं कि सरकार द्वारा इस दिशा में प्रयास शुरू करने में देर हुई और प्रयासों को लागू किए जाने में अब भी गंभीरता नहीं बरती जा रही है।
उन्होंने कहा' सरकारी प्रयास कभी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचते, जबकि इन्हें बनाने का उद्देश्य काफी मददगार साबित हो सकता है।'गौरतलब है कि देश में सौर, पवन और अन्य अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों से पैदा हो रही बिजली कुल उत्पादन का 8 फीसदी है जबकि परमाणु ऊर्जा से अब तक महज 3 फीसदी ही उत्पादन हासिल किया जा सका है।
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प्रबंधन
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
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