पीने के पानी की किल्लत दूर करने के लिए अब एक अनोखी मशीन बनाई गई है। यह मशीन हवा से पानी निकालती है। उम्मीद की जा रही है कि माइक्रोवेव के बाद
यह सबसे उपयोगी घरेलू मशीन की खोज साबित होगी।
यह मशीन उसी तकनीक पर आधारित है जिस पर डी-ह्यूमिडीफायर काम करता है। वॉटर मिल नामक नई मशीन हवा से पीने के लिए तैयार पानी तैयार कर सकती है। मशीन बनाने वाली कंपनी का कहना है कि यह विकसित देशों में न सिर्फ बोतलबंद पानी का विकल्प पेश करेगी, बल्कि रोजाना पानी की कमी से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।
मशीन नमी वाली हवा को एक फिल्टर के जरिए खींच लेती है। मशीन के अंदर एक कूलिंग एलीमंट होता है। यह नम हवा को ठंडा कर देता है, जिससे कंडेंस होकर पानी की बूंदें निकलती हैं। मशीन एक दिन में 12 लीटर तक पानी बना सकती है। तूफानी मौसम में हवा में नमी बढ़ जाती है। ऐसी सूरत में वॉटर मिल ज्यादा पानी तैयार कर पाएगी।
वॉटर मिल को बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि इससे पर्यावरण में प्रदूषण न फैले। मशीन के इस्तेमाल में उतनी ही बिजली की खपत होती है, जितनी आम तौर पर रोशनी के लिए तीन बल्ब जलाने में होती है। वॉटर मिल ईजाद करने वाले जॉनथन रिची ने कहा- पानी की मांग बढ़ती ही जा रही है। वॉटर डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम भरोसेमंद नहीं होने के कारण लोग इससे निजात पाना चाहते हैं।
मशीन करीब तीन फुट चौड़ी है। उम्मीद है कि जल्दी ही यह ब्रिटेन के बाजार में आ जाएगी। तब इसकी कीमत 800 पाउंड (करीब 60,000 रुपये) रहने का अनुमान है। मशीन का प्रॉडक्शन कनाडा की एलीमंट फोर नामक फर्म कर रही है। उसका अनुमान है कि मशीन से एक लीटर पानी तैयार करने में करीब 20 पेंस का खर्च आएगा। हालांकि यह मशीन उन इलाकों में कारगर नहीं है जहां सापेक्ष नमी 30 फीसदी से कम हो। लेकिन ब्रिटेन में यह 70 फीसदी से ज्यादा है, इसलिए वहां मशीन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि पर्यावरणविदों का दावा है कि क्लाइमट चेंज के कारण 2080 तक दुनिया में आधी आबादी को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा। हर पांच में से एक इंसान को सेफ ड्रिंकिंग वॉटर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस मशीन से उम्मीद की किरण जगी है।
इसका दूसरा पहलू यह है कि इसके खतरनाक परिणाम भी सामने आऍंगे। जब नमी ही नहीं बचेगी, तब क्या करेंगे, उस जल को पीकर। कभी सोचा किसी ने। अभी तो सब कुछ अच्छा लगेगा। पर यह खतरे की घंटी है, पर्यावरण के विनाश के लिए। इसके लिए हमें अभी से सचेत होना होगा।
शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
...........प्यास लगी है? हवा से पानी बनाइए और पी लीजिए
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पर्यावरण
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
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अरे वाह, यह तो बडे काम का आविष्कार है।
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