मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009
असुरक्षित सीमाओं पर फैला आतंकवाद
डॉ. महेश परिमल
आज देश की कोई भी सीमा सुरक्षित नहीं है। उधर चीन लगातार अतिक्रमण कर रहा है, पाकिस्तान तो आजादी के बाद से ही सरदर्द बना हुआ है। बंगला देश से शरणार्थी के नाम आने वाले अपराधी अब पूरी तरह से देश पर छा गए हैं। असुरक्षित सीमाओं की ओर सरकार का ध्यान अभी गया है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उधर पाकिस्तान हमारे लिए सरदर्द बना हुआ है। पहले तो उसके निशाने पर केवल भारत था, इसलिए उसने आतंकवाद को पनाह दी। आतंकवादियों को पाला। उन्हें हर तरह की सहायता की। उनकी बदौलत ही आतंकवादियों ने भारत में घुसपैठ की। यहाँ निर्दोषों की हत्या की। आगजनी कर देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाया। एक बार तो ये आतंकवादी संसद की देहरी तक पहुँच गए। पिछले 62 साल से हमारा देश इसी पाकिस्तान के कारण परेशान रहा है। आज कश्मीर की जो हालत है, उसके पीछे यही पाकिस्तान है। भारत को लेकर उसके इरादे कभी नेक नहीं रहे। भारत अपनी कुछ कमजोरियों की वजह से पाकिस्तान के खिलाफ कभी मुँहतोड़ जवाब नहीं दे पाया। हर मामले में पाकिस्तान से सबल होने के बाद भी भारत ने अभी तक उस पर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की, यह समझ से परे है।
खैर, जैसा कि कहा गया है कि बबूल बोकर आप किसी स्वादिष्ट फल की अपेक्षा नहीं रख सकते। ठीक वही हाल आज पाकिस्तान का है। आज यह देश आतंकवाद का सरगना बन गया है। एक नहीं कई आतंकवादी संगठन वहाँ सुरक्षित हैं।इसके बाद भी वह आतंक से खुद को बचा नहीं पा रहा है। भारत में जब दीपावली मनाई जा रही थी, तब वहॉं खून की होली खेली जा इन आतंकवादियों की नजर भारत और अफगानिस्तान पर है। आज पाकिस्तान पूरी तरह से एक असुरक्षित देश बनकर रह गया है। अब हो यह रहा है कि जिन आतंकी संगठनों को उसने भारत के लिए तैयार किया था, अब वही संगठन उसके लिए खतरा बन गए हैं। पाकिस्तान के भीतर ही आतंकवाद की आग जल रही है। अफगानिस्तान से भागे अधिकांश आतंकी संगठन पाकिस्तान में ही शरण ले रहे हैं। इन संगठनों का एक सिरे से सफाया आज की जरूरत है।
पाकिस्तान का खूंखार आतंकवादी बैतुल्लाह महसूम मारा गया, इसका यह आशय कदापि नहीं है कि पाकिस्तान में शांति स्थापित हो गई है। ऐसे तो दर्जनभर खूंखार आतंकवादी पाकिस्तान में भरे हुए हैं। तहरीक-ए- तालिबान का सरगना बैतुल्लाह अपने ससुराल में पत्नी से मिलने आया था, तब अमेरिका के ड्रोन अटेक में मारा गया। पहले तो तालिबान में यह प्रचार किया गया कि बैतुल्लाह अभी जिंदा है, पर बाद में यह स्वीकार कर लिया गया कि वह अमेरिकी हमले में मारा गया है। वैसे कुछ हद तक इसका श्रेय पाकिस्तान ले रहा है, पर सभी जानते हैं कि इस संबंध में करने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है। जो कुछ भी किया, अमेरिकी सैनिकों ने किया। पाकिस्तान के लिए तो बैतुल्लाह जैसे अनेक मोस्ट वांटेड आतंकवादी सरदर्द बने हुए हैं।
आज अमेरिका पाकिस्तान पर यह दबाव बना रहा है कि केवल एक बैतुल्लाह से काम नहीं चलने वाला, आतंकवादियों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया जाए। वैसे यह केवल पाकिस्तान के बस की बात नहीं है। क्योंकि इन आतंकवादियों की पहुँच काफी दूर तक है। सबसे बड़ी शह तो इन्हें पाकिस्तान से ही मिली है। अब पाकिस्तान इन आतंकवादी संगठनों के आगे कितना कड़क हो पाता है, यह सभी जानते हैं।
बैतुल्लाह मारा गया, उसके बाद उसका स्थान 28 वर्षीय हकीमुल्लाह महसूद ने ले लिया। आतंकी इसे जुल्फीकार महसूद के रूप में जानते हैं। यह आतंकी भी मोस्ट वांटेड है। बम विस्फोट की अनेक साजिशों का यह सूत्रधार रहा है। पहले तो पाकिस्तान सरकार यह मान रही थी कि यह शख्स मर गया है, पर जब उसने बंदूक नोक पर जब तहरीक-एक-तालिबान की कमान सँभाली, तब उसे होश आया। यदि इसका आपराधिक रिकॉर्ड देखा जाए, तो हकीममुल्लाह, बैतुल्लाह से भी अधिक खतरनाक है। पाकिस्तान में ऐसे कई खूंखार आतंकवादी अपने-अपने संगठन चला रहे हैं। जिसमें मौलाना फैजल्लुहा का समावेश होता है। आतंकवादी इसे मुल्लाह रेडियो के नाम से जानते हैं। इसी तरह लश्कर-ए- जंगवी का सरगना मातीउर रहमान है। यह अलकायदा की तमाम आतंकी योजनाओं को तैयार करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसी तरह एक और संगठन है तहरीक-ए-तालिबान, इसका सरगना मौलवी फकीर मोहम्मद अमेरिकी सैनिकों की पकड़ से भाग गया था। कहा जाता है कि उसी तरह तहरीक-ए- पाकिस्तान का दूसरा आतंकी करी हुसैन महमूद स्यूसाइड बोम्बर का टीचर है। दक्षिण वजीरीस्तान में वह मासूमोंं को यह सिखाता है कि आत्मघाती हमला किस तरह से किया जाए। आतंकी संगठन इसे उस्ताद एफियादीन के नाम से जानता है। मतलब यह कि फियादीन हमला किस तरह से किया जाए, यह उसका प्रशिक्षण देता है। 1994 में बेनजीर भुट्टो की सरकार गिराने की जिम्मेदारी जिसे सौंपी गई थी, वही करी सैफुल्ला अख्तर अफगानिस्तान से भाग आया था।
अफगानिस्तान में जब तालिबानों का वर्चस्व था, तब तालिबान के प्रधानमंत्री मुल्लाह उमर का यह सलाहकार था। बेनजीर पर जो प्राणघातक हमला हुआ, उसके पीछे इसी खूंखार आतंकी का हाथ था, ऐसा माना जाता है। यह आतंकी इस समय वजीरीस्तान में है। इसी तरह एक और आतंकवादी है, जो पाकिस्तान में छिपा बैठा है। इसका नाम है मौलाना फजलुर रहमान खलील। ओसामा बिन लादेन के इंटरनेशनल इस्लामिक फं्रट के साथ यह जुड़ा था। सोवियत संघ के खिलाफ काफी समय से यह जिहाद चला रहा है। अगस्त 1998 में जब अल कायदा के अड्डे पर अमेरिका ने हमला किया, तब रावलपिंडी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में इसने यह कहा था कि यदि हममें से एक आदमी भी मारा जाता है, तो हम 100 अमेरिकन को मार डालेंगे। इसके बाद तो यह महाशय अचानक कहाँ गायब हो गए, पता ही नहीं चला।
मौलाना मसूद अजहर 1994 में श्रीनगर आया था, ऐसा माना जाता है। यहाँ आकर उसने आतंकियों को प्रशिक्षण दिया था। तभी वह पकड़ा भी गया था। इसकी रिहाई के लिए इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर कंधार ले जाया गया था। उसके बाद ही सौदेबाजी हुई। इसी सौदेबाजी में उसे छोड़ दिया गया था। इसके बाद आईएसआई ने उसे पूरी तरह से सुरक्षित स्थान पर छिपा दिया था। खूुखार आतंकियों में एक और नाम है प्रोफेसर हफीज मोहम्मद सईद। मुंबई में हमले के बाद पाकिस्तान ने इसे पकड़ा तो था, पर सबूत के अभाव में उसे छोड़ दिया था। काफी समय से भारत को परेशान करने वाला एक और आतंकवादी है सईद सलाल्लुद्दीन। इसके संगठन हैजुबुल्लाह मुजाहिदीन में अधिकांश आतंकी कश्मीर के हैं। पाकिस्तान इन्हें कश्मीर की आजादी के लिए लडऩे वाले क्रांतिकारी बताता है।
पाकिस्तान में छिपे इस आतंकवादियों संगठनों में से आधे की नजर भारत पर है। शेष अफगानिस्तान में तबाही मचाना चाहते हैं। ये लोग पाकिस्तानी शासकों के भी विरोधी हैं, क्योंकि पाकिस्तान बार-बार अमेरिकी मदद माँग रहा है। इन सभी आतंकवादियों को पाकिस्तान ही पाल-पोस रहा है। इस लोगों को नेस्तनाबूत करने की हिम्मत पाकिस्तान सरकार के पास तो है ही नहीं। कई बार तो ये संगठन पाकिस्तानी सरकार पर ही हावी हो जाते हैं। इसीलिए पाकिस्तान आज पूरी तरह से अस्थिर देश बन गया है। केवल आतंकवादियों के खौफ और अमरीकी मदद से आखिर कब तक यह देश टिक पाएगा, यह एक विचारणीय प्रश्न है।
डॉ. महेश परिमल
लेबल:
आज का सच
जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती. हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 1980 से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 2000 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन. आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी. शालेय और विश्वविद्यालय स्तर पर लेखन और अध्यापन. धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन. हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान. संप्रति स्वतंत्र पत्रकार।
संपर्क:
डॉ. महेश परिमल, टी-3, 204 सागर लेक व्यू होम्स, वृंदावन नगर, अयोघ्या बायपास, भोपाल. 462022.
ईमेल -
parimalmahesh@gmail.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Post Labels
- अतीत के झरोखे से
- अपनी खबर
- अभिमत
- आज का सच
- आलेख
- उपलब्धि
- कथा
- कविता
- कहानी
- गजल
- ग़ज़ल
- गीत
- चिंतन
- जिंदगी
- तिलक हॊली मनाएँ
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य दृष्टि - कविता
- दिव्य दृष्टि - बाल रामकथा
- दीप पर्व
- दृष्टिकोण
- दोहे
- नाटक
- निबंध
- पर्यावरण
- प्रकृति
- प्रबंधन
- प्रेरक कथा
- प्रेरक कहानी
- प्रेरक प्रसंग
- फिल्म संसार
- फिल्मी गीत
- फीचर
- बच्चों का कोना
- बाल कहानी
- बाल कविता
- बाल कविताएँ
- बाल कहानी
- बालकविता
- भाषा की बात
- मानवता
- यात्रा वृतांत
- यात्रा संस्मरण
- रेडियो रूपक
- लघु कथा
- लघुकथा
- ललित निबंध
- लेख
- लोक कथा
- विज्ञान
- व्यंग्य
- व्यक्तित्व
- शब्द-यात्रा'
- श्रद्धांजलि
- संस्कृति
- सफलता का मार्ग
- साक्षात्कार
- सामयिक मुस्कान
- सिनेमा
- सियासत
- स्वास्थ्य
- हमारी भाषा
- हास्य व्यंग्य
- हिंदी दिवस विशेष
- हिंदी विशेष
हम अपने आतंरिक आतंकवाद को उपेक्षित कर बढाते रहे, वही अब देश को चैलेन्ज कर रहे हैं. ऊपर से तुर्रा यह कि मानवाधिकार के नाम पर इनके समर्थक भी हैं . आतंकवादिओं का मानवाधिकार बाकी सब को कोई अधिकार नहीं ? सरकार को तो इन लोगों को देशद्रोही घोषित कर देना चाहिए . जो देश को तोड़ने में लगे हैं उनके समर्थकों को और क्या कहा जा सकता है . पता नहीं हमारी सरकार चीन से क्यों डरती है ? उसका मकसद भी धीरे धीरे सामने आ रहा है उसने तो कश्मीर को अलग ही देश दिखा दिया . सिर्फ विरोध जताने से काम नहीं चलेगा अगर चीन गलत वीसा जारी कर रहा है तो ऐसे वीसाधारियों को रोका जाना चाहिए .
जवाब देंहटाएं